Nepal Deputy PM: नेपाल में डिप्टी PM लमीछाने हारे नागरिकता की लड़ाई, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना नेपाली नागरिक
नेपाल में उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रवि लमीछाने अपनी नागरिकता की लड़ाई गंवा बैठे हैं। उन पर नेपाल का नागरिक न होने का आरोप लगा था जिसे जांच में सुप्रीम कोर्ट ने सही पाया है। इसके चलते कोर्ट ने लमीछाने की संसद की सदस्यता रद कर दी है।
काठमांडू, आईएएनएस। नेपाल में उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रवि लमीछाने अपनी नागरिकता की लड़ाई गंवा बैठे हैं। उन पर नेपाल का नागरिक न होने का आरोप लगा था जिसे जांच में सुप्रीम कोर्ट ने सही पाया है। इसके चलते कोर्ट ने लमीछाने की संसद की सदस्यता रद कर दी है। उनका मंत्री पद खतरे में पड़ गया है। फिलहाल उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हरिकृष्ण कार्की की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने लमीछाने की नागरिकता के विषय में दायर याचिका पर फैसला दिया है। पीठ ने उप प्रधानमंत्री द्वारा संसदीय चुनाव के दौरान प्रस्तुत नागरिकता प्रमाण पत्र अवैध करार दिया है। पत्रकार रहे लमीछाने जून 2022 में सक्रिय राजनीति में आए थे, उस समय उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी नाम का राजनीतिक दल गठित किया था।
उनकी पार्टी ने हाल ही में हुए संसदीय चुनाव में 14 सीटें जीती हैं। इसके बाद 14 दिसंबर को युवराज पौडेल और रविराज बासौला नाम के अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि लमीछाने नेपाली नागरिक नहीं हैं, इसलिए उनका चुनाव रद किया जाए और मताधिकार छीना जाए। साथ ही राजनीतिक दल के अध्यक्ष का उनका दर्जा भी खत्म किया जाए क्योंकि नेपाल के संविधान में विदेशी नागरिक को पार्टी के नेतृत्व का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि नेपाल के संविधान के अनुसार किसी अन्य देश की नागरिकता लेने वाले व्यक्ति की नेपाली नागरिकता स्वत: रद हो जाती है। नेपाल में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था नहीं है। इसलिए लमीछाने के अमेरिका का नागरिक बनते ही उनकी नेपाल की नागरिकता खत्म हो गई।
इससे पहले लमीछाने के बिना वर्क परमिट लिए नेपाल में पत्रकार के रूप में कार्य करने के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई गई थी, क्योंकि किसी भी विदेशी नागरिक को नेपाल में कार्य करने के लिए वर्क परमिट की जरूरत होती है। लगातार आलोचना के बाद लमीछाने ने मई 2018 में अमेरिका की नागरिकता छोड़ दी और उसका साक्ष्य आव्रजन विभाग में प्रस्तुत किया। लेकिन नेपाल की नागरिकता लेने के लिए उन्होंने दोबारा आवेदन नहीं किया। यही बात सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ गई और शीर्ष न्यायालय ने संसद की उनकी सदस्यता को रद कर दिया।