जर्मनी गई इस भारतीय लड़की को कंपनी ने दो दिन में किया बाहर, वजह जानकर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
जर्मनी में नौकरी करने गई भारतीय युवती काजल टेकवानी को इंटर्नशिप शुरू करने के दो दिन बाद ही नौकरी से निकाल दिया गया। काजल ने बताया कि कंपनी ने उनके रवैये में कमी बताई। उन्होंने बर्लिन से म्यूनिख तक शिफ्ट किया था। कंपनी ने उन्हें रहने की जगह भी दी थी। इस घटना पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जर्मनी में नौकरी करने गई एक भारतीय युवती ने अपना अनुभव सोशल मीडिया पर साझा किया है, जो अब चर्चा का विषय बन गया है। काजल टेकवानी नाम की युवती ने बताया कि उन्हें एक स्टार्टअप कंपनी में इंटर्नशीप शुरू करने के सिर्फ दो दिन बाद ही नौकरी से निकाल दिया गया।
काजल ने इसके लिए बर्लिन से म्यूनिख तक शिफ्ट किया था, लेकिन कंपनी ने अचानक उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर कर बताया कि उन्होंने कई इंटरव्यू राउंड क्लियर किए, टास्क भी पूरे किए और दूसरी नौकरी के ऑफर ठुकराकर इस कंपनी को ज्वाइन किया था।
कंपनी ने क्या कारण बताया
कंपनीने उन्हें रहने की जगह दी और पहले दिन उनके काम से भी खुश नजर आई। लेकिन दूसरे ही दिन हालात बदल गए। कंपनी के फाउंडर ने उनके रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनमें जज्बे की कमी है। काजल के मुताबिक, उन्हें फीडबैक के नाम पर रूखे संदेश भी भेजे गए और उसी शाम उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
काजल ने आगे बताया कि वे 1 सितंबर तक रिमोट काम कर रही थी और फिर म्यूनिख शिफ्ट हुई। पहले दिन ऑफिस का माहौल ठीक रहा, लेकिन दूसरे दिन आंख में इंफेक्शन की वजह से वे कुछ मिनट लेट हो गई। हालांकि, उन्होंने पहले से टीम को इसकी जानकारी दी थी, फिर भी उसी शाम उन्हें निकाल दिया गया।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
काजल को निकालने के पीछे कंपनी ने जो वजह बताई उनमें टीम में फिट न होना, ज्यादा अनुभव की उम्मीद और समय पर ऑफिस न पहुंचना शामिल था। काजल ने कहा कि अगर ये सब कारण थे, तो इंटरव्यू के दौरान ही साफ हो जाना चाहिए था।
इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कई लोगों ने इसे भारतीय युवाओं के लिए चेतावनी बताया, तो कुछ ने कहा कि स्टार्टअप कंपनियों में स्थिरता नहीं होती इसलिए वहां नौकरी करने से पहले सोचना चाहिए।
यूजर्स ने शेयर किए अपने एक्सपीरियंस
एक यूजर ने लिखा, "मेरे साथ भी ऐसा हुआ था, लेकिन मुझे उसी दिन नई नौकरी मिल गई। सब कुछ किसी कारण से होता है, शायद आपके लिए भी कुछ अच्छा इंतजार कर रहा हो।" वहीं, कुछ लोगों ने इसे जर्मनी में बढ़ते जेनोफोबिया से जोड़ा, जबकि कुछ ने कहा कि इसे पूरी तरह जर्मनी की पॉलिसी से नहीं जोड़ना चाहिए।
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