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सांस्कृतिक परिसर में तब्दील होगा बांग्लादेश स्थित संगीतकार सचिन देव बर्मन का घर

संगीतकार सचिन पर लिखी गई 596 पेज की पुस्तक का संपादन करने वाले वकील व प्रसिद्ध इतिहासकार गोलम फारुक ने बताया कि 1906 में कुमिला के दक्षिणी चरथा गांव राजबाड़ी (महल) में पैदा हुए सचिन देव बर्मन ने अपने जीवन के शुरुआती 18 साल यहीं बिताए।

By JagranEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Sun, 25 Sep 2022 07:52 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 07:52 PM (IST)
सचिन देव उच्च अध्ययन के लिए पहले कोलकाता गए

ढाका, एजेंसी। बांग्लादेश के कुमिला जिले में प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन के महलनुमा घर को एक सांस्कृतिक परिसर में तब्दील करने की तैयारी है। इस परियोजना के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार ने 1.10 करोड़ टका (86 लाख रुपये) मंजूर किए हैं। इस घर को 30 नवंबर, 2017 को संरक्षित स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

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संगीतकार सचिन देव बर्मन का जीवन

संगीतकार सचिन पर लिखी गई 596 पेज की पुस्तक का संपादन करने वाले वकील व प्रसिद्ध इतिहासकार गोलम फारुक ने बताया कि 1906 में कुमिला के दक्षिणी चरथा गांव राजबाड़ी (महल) में पैदा हुए सचिन देव बर्मन ने अपने जीवन के शुरुआती 18 साल यहीं बिताए। बर्मन के संगीत का निखार उनके सितारवादक पिता की देखरेख में हुआ।

सचिन देव की कंपोजिंग

उनके पिता त्रिपुरा शाही परिवार के वंशज थे। बाद में वह त्रिपुरा वापस लौट आए। इसके बाद सचिन देव उच्च अध्ययन के लिए पहले कोलकाता गए, फिर 1944 में वहां से फिल्मी करियर बनाने मुंबई आ गए। उन्होंने जिन प्रसिद्ध हिंदी फिल्मों की कंपोजिंग की उनमें प्यासा, कागज के फूल, गाइड, अभिमान और मिली शामिल है। 

इसके बाद धीरे-धीरे एसडी बर्मन हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक और संगीतकार बन गए। उन्होंने अस्सी से भी ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया। एसडी बर्मन ने हिंदी फिल्मों में बहुत से दिल को छूने वाले कर्णप्रिय यादगार गीत दिए हैं। उन्होंने गाइड में अल्ला मेघ दे, पानी दे., वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहां, फिल्म प्रेम पुजारी में प्रेम के पुजारी हम हैं., फिल्म सुजाता में सुन मेरे बंधु रे, सुन मेरे मितवा जैसे गीतों को अपनी आवाज देकर उन्हें अमर बना दिया।

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