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    बांग्लादेश में 20 अधिवक्ता करेंगे चिन्मय कृष्ण दास की पैरवी, 2 जनवरी को जमानत पर होगी सुनवाई

    Updated: Tue, 31 Dec 2024 10:28 PM (IST)

    हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर दो जनवरी को चटगांव अदालत में सुनवाई होगी। इस बार 20 अधिवक्ता उनकी पैरवी करेंगे। 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में चिन्मय को गिरफ्तार किया गया था। उनके वकील को अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल करने का मौका नहीं दिया गया था। इस बीच कोलकाता में इस्कॉन भक्तों ने मंगलवार को बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की प्रार्थना की।

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    दो जनवरी को होगी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर सुनवाई। ( फाइल फोटो )

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बांग्लादेश के ढाका और चटगांव के 20 अधिवक्ता दो जनवरी को चटगांव कोर्ट में इस्कॉन संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत के लिए पैरवी करेंगे। चिन्मय कृष्ण दास गत 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के बाद से जेल में बंद हैं। चिन्मय कृष्ण दास के मुख्य अधिवक्ता रवींद्र घोष को अग्रिम जमानत याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी गई है।

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    बंगाल आए अधिवक्ता रवींद्र घोष

    रवींद्र घोष इस समय अपने इलाज के सिलसिले में बंगाल आए हुए हैं। हालांकि, वे अपने कनिष्ठ अधिवक्ताओं के संपर्क में हैं और जमानत याचिका पर बहस के लिए उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। मालूम हो कि इस्कॉन संन्यासी का समर्थन करने वाले चटगांव कोर्ट के कम से कम 30 अधिवक्ताओं पर बांग्लादेश सीआरपीसी की गैर-जमानती धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

    बार एसोसिएशन से नहीं मिली अनुमति

    चटगांव बार एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं को चिन्मय कृष्ण दास की ओर से खड़े होने की अनुमति नहीं दी है, इसलिए उन्हें दो जनवरी को उनकी पैरवी के लिए अन्य तरीकों पर विचार किया जा रहा है। घोष ने कहा कि गत दो दिसंबर को चटगांव कोर्ट में अधिवक्ताओं के एक वर्ग ने मेरा पीछा किया था।

    मैं केवल पुलिस सुरक्षा के कारण चोटिल होने से बच गया था। इसे दोहराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। अगर बांग्लादेश सरकार में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की सद्इच्छा है तो कुछ कट्टरपंथी इसे कैसे चुनौती दे सकते हैं?' बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास के साथियों को भी बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया है।

    हसीना के जाने के बाद बढ़ा अत्याचार

    जुलाई महीने में बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का आंदोलन भड़का। मगर बाद में यह समाप्त हो गया। इसके बाद दोबारा छात्रों ने बड़ा आंदोलन किया। इस बार शेख हसीना को सत्ता से हटाने उनकी मांग थी। देखते-ही देखते आंदोलन हिंसक हो गया।

    पांच अगस्त को शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत आना पड़ा। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का दौर जारी है। लगातार उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। उधर, बांग्लादेश अब भारत से शेख हसीना की वापसी की मांग कर रहा है। हालांकि बांग्लादेश की मांग पर भारत ने अभी तक आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तनाव है।

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