ट्रंप के गाजा प्लान को लगा झटका, गाजावासियों के लिए मिस्त्र ने बनाया स्पेशल प्लान; अब क्या करेगा अमेरिका?
मिस्त्र ने 53 अरब डॉलर की लागत से पांच वर्षों में गाजा के पुनर्निर्माण की योजना बनाई है। इसमें फलस्तीनियों को दूसरी जगह नहीं बसाने की बात भी है जो अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रस्ताव के उलट है। मिस्त्र की योजना को स्वीकृति मिलने की उम्मीद जताई गई है। इसमें गाजा में वाणिज्यिक बंदरगाह प्रौद्योगिकी केंद्र होटल और एयरपोर्ट बनाने का भी प्रस्ताव है।

काहिरा, रॉयटर। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार फरवरी को गाजा पट्टी पर कब्जा कर फलस्तीनियों को दूसरी जगह बसाने और इस क्षेत्र का विकास करने की बात कही थी। उनकी इस योजना से दुनिया हैरान हो गई थी और अरब देशों ने कड़ा विरोध जताया था।
अब ठीक एक महीने बाद ट्रंप के प्रस्ताव से मुकाबले के लिए मिस्त्र ने एक योजना पेश की है। इस पर मंथन करने और मुहर लगाने के लिए अरब नेता मंगलवार को मिस्त्र की राजधानी काहिरा में जुटे।
गाजा से फलस्तीनियों को निकालना चाहते हैं ट्रंप
मिस्त्र ने 53 अरब डॉलर की लागत से पांच वर्षों में गाजा के पुनर्निर्माण की योजना बनाई है। इसमें फलस्तीनियों को दूसरी जगह नहीं बसाने की बात भी है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रस्ताव के उलट है। मिस्त्र की योजना को स्वीकृति मिलने की उम्मीद जताई गई है। इसमें गाजा में वाणिज्यिक बंदरगाह, प्रौद्योगिकी केंद्र, होटल और एयरपोर्ट बनाने का भी प्रस्ताव है।
गाजा में चुनाव की मांग कर सकते हैं अरब देश
हालांकि मिस्त्र की योजना में यह स्पष्ट नहीं है कि 15 महीने के दौरान इजरायल-हमास युद्ध से तबाह गाजा पर कौन शासन करेगा। केवल इस बात का जिक्र है कि गाजा मामलों के लिए एक प्रशासनिक समिति बनाने के मुद्दे पर फलस्तीनियों के निर्णय का समर्थन किया जाएगा। यह संभावना जताई गई है कि अरब देशों के नेता वेस्ट बैंक और गाजा में चुनाव की मांग कर सकते हैं।
इससे पहले मिस्त्र की एक राजनीतिक योजना में काहिरा ने यह संकेत दिया था कि हमास को दरकिनार किया जाएगा। उसकी जगह अरब, मुस्लिम और पश्चिमी देशों की ओर से नियंत्रित संस्थाओं को स्थापित किया जाएगा। हालांकि यह साफ नहीं है कि मिस्त्र के अधिकारी अरब नेताओं के सम्मेलन में यह राजनीतिक योजना भी पेश करेंगे या नहीं।
ऐसे किसी भी प्रस्ताव के लिए तेल समृद्ध संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देशों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि इसके लिए अरबों डॉलर की आवश्यकता होगी।
यूएई गाजा पर शासन करने वाले हमास को अस्तित्व के लिए खतरा मानता है और इसका पूर्ण रूप से निरस्त्रीकरण चाहता है। 1987 में मिस्त्र के मुस्लिम ब्रदरहुड की ओर से स्थापित हमास को इजरायल, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और अन्य देश आंतकी संगठन घोषित कर चुके हैं।
युद्धविराम बढ़ाने के लिए इजरायल ने रखीं शर्तें
इजरायल ने गाजा में युद्ध विराम को आगे बढ़ाने के लिए कई शर्तें रखी हैं। उसने जनवरी से प्रभावी युद्धविराम को आगे बढ़ाने के लिए गाजा के निरस्त्रीकरण और हमास के शासन को समाप्त करने की मांग की है। इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने मंगलवार को कहा, 'दूसरे चरण के लिए कोई समझौता नहीं है।
हम गाजा एवं हमास के पूर्ण निरस्त्रीकरण और हमारे शेष बंधकों की रिहाई की मांग करते हैं। अगर हमास हमारी मांगों पर सहमत होता है तो कल से ही दूसरे चरण का समझौता लागू कर सकते हैं।' इजरायल और हमास के बीच छह सप्ताह के लिए युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए गत जनवरी में समझौता प्रभावी हुआ था। हमास के कब्जे में अब भी 59 बंधक हैं।
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