सऊदी अरब ने यमन पर बरसाए बम, UAE के हथियारों की खेप को मिसाइल से उड़ाया
सऊदी अरब ने यमन के बंदरगाह शहर मुकल्ला पर बमबारी की है, जिसका निशाना संयुक्त अरब अमीरात से आए हथियारों का शिपमेंट था। सऊदी का दावा है कि ये हथियार अलग ...और पढ़ें

इस घटना के बाद यमन में गृहयुद्ध फिर से भड़क सकती है। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सऊदी अरब ने मंगलवार को यमन के बंदरगाह शहर मुकल्ला पर बमबारी की है। ये निशाना संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आने वाले हथियारों के शिपमेंट पर था।
सऊदी का दावा है कि हथियार अलगाववादी ताकतों के लिए थे। इसके साथ ही सऊदी ने यूएई को चेतावनी भी दी है। यह हमला एक ऐसे देश में हुआ है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्ग के किनारे बसा है और अब फारस की खाड़ी इलाके में नए खतरे पैदा कर सकता है।
इस घटना के बाद यमन में गृहयुद्ध फिर से भड़क सकती है। वहां पहले से ही क्षेत्रीय ताकतों की जटिल लड़ाई चल रही है। अलगाववादी साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) ने इस महीने हदरामाउत और महरा प्रांतों पर कब्जा कर लिया, जिसमें तेल सुविधाएं भी शामिल हैं।
सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार हमले के बाद एक सैन्य बयान जारी किया गया है। बयान के अनुसार, UAE के पूर्वी तट पर एक बंदरगाह शहर फुजैराह से निकलकर यह जहाज वहां पहुंचा था।
इसमें कहा गया है, "जहाजों के चालक दल के पास जहाजों पर निष्क्रिय ट्रैकिंग उपकरण थे और उन्होंने STC की सेनाओं के लिए बड़ी मात्रा में हथियार और लड़ाकू वाहन उतारे थे।"
यमन का लंबा खींचता गृहयुद्ध
यमन दस साल से ज्यादा समय से गृहयुद्ध में फंसा है। इसमें संप्रदायिक और क्षेत्रीय शक्तियों की दखलंदाजी शामिल है। ईरान समर्थित हूती विद्रोही देश के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों पर काबिज हैं। इसमें राजधानी सना भी शामिल है।
दूसरी तरफ, सऊदी अरब और यूएई समेत एक ढीला क्षेत्रीय गठबंधन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दक्षिणी सरकार का समर्थन करता है। इस युद्ध ने मानवीय संकट पैदा किया है और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। लेकिन 2022 से हिंसा में कमी आई थी, क्योंकि दोनों पक्षों में एक तरह का गतिरोध आ गया था।
एसटीसी की बढ़ती साख
यूएई समर्थित अलगाववादियों की इस नई चाल ने हैती विरोधी साथियों के बीच राजनीतिक व्यवस्था को उलट दिया है। युद्ध 2014 में शुरू हुआ, जब हूतियों ने अपने उत्तरी गढ़ सादा से मार्च किया और सना पर कब्जा कर लिया, जिससे मान्यता प्राप्त सरकार को निर्वासन में जाना पड़ा।
अगले साल सऊदी और यूएई ने सरकार को बहाल करने के लिए युद्ध में कूद पड़े। अब नई लड़ाई एसटीसी को अंतरराष्ट्रीय सरकार की ताकतों और उनके सहयोगी कबीलों से भिड़ा रही है, जबकि दोनों ही हैती विद्रोहियों के खिलाफ बड़े शिविर का हिस्सा हैं।

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