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    ब्रिक्स करेंसी बनेगी या नहीं, एस. जयशंकर ने कर दिया साफ; ट्रंप की धमकी पर दिया सीधा जवाब

    Updated: Sat, 07 Dec 2024 11:54 PM (IST)

    कुछ समय से ब्रिक्स करेंसी की सुगबुगाहट तेज होने लगी थी। कई मौकों पर इसका जिक्र भी हुआ। मगर राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-चीन समेत ब्रिक्स देशों को सीधे धमकी दी। उन्होंने 100 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही। मगर अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोहा फोरम में ब्रिक्स करेंसी के बारे में नया अपडेट दिया है।

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    दोहा फोरम को संबोधित करते विदेश मंत्री एस. जयशंकर। ( फोटो- एएनआई )

    एएनआई, दोहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि डॉलर को कमजोर करने में ब्रिक्स को कोई दिलचस्पी नहीं है। उनकी यह प्रतिक्रिया अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी के जवाब में आया है। जयशंकर शनिवार को दोहा फोरम को संबोधित कर रहे थे।

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    ट्रंप प्रशासन के साथ हमारे संबंध अच्छे

    जयशंकर ने पिछले ट्रंप प्रशासन के साथ भारत के सकारात्मक संबंधों पर प्रकाश डाला। कहा कि पिछले ट्रंप प्रशासन के साथ हमारे संबंध बेहद अच्छे रहे। मैं लोगों को याद दिलाना चाहता हूं कि ट्रंप के कार्यकाल में ही क्वाड को फिर से शुरू किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंधों का भी उल्लेख किया।

    ब्रिक्स मुद्रा को कोई प्रस्ताव नहीं

    उन्होंने कहा कि जहां तक ब्रिक्स की टिप्पणियों का सवाल है तो हमने हमेशा कहा है कि भारत कभी भी डी-डॉलराइजेशन के पक्ष में नहीं रहा है। अभी ब्रिक्स मुद्रा रखने का कोई प्रस्ताव नहीं है। अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।

    बातचीत की तरफ बढ़ रही यूक्रेन युद्ध की सुई

    जयशंकर से रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत की भूमिका के बारे में भी सवाल किए गए। इस पर उन्होंने कहा कि सुई युद्ध जारी रखने की बजाय बातचीत की वास्तविकता की ओर अधिक बढ़ रही है। भारत मॉस्को जाकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करके और कीव जाकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात करके पारदर्शी तरीके से एक-दूसरे तक संदेश पहुंचाकर सामान्य सूत्र खोजने की कोशिश कर रहा है।

    नवोन्मेषी, सहभागी कूटनीति संघर्षों को सुलझाने में मदद कर सकती है। जयशंकर ने संघर्षों के कारण भारत सहित कई देशों के लिए तेल, उर्वरक और शिपिंग आदि की बढ़ती लागत पर प्रकाश डाला।

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