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    ट्रंप, पाकिस्तान और इजरायल… चीन की धरती से पीएम मोदी ने क्या मैसेज दिया? 10 Points

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 06:57 AM (IST)

    शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने अमेरिका की टैरिफ नीति की निंदा की और आपसी मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देने की बात कही। ईरान पर अमेरिकी हमलों की भी कड़ी निंदा की गई। एससीओ विकास बैंक की स्थापना पर जोर दिया गया और सदस्य देशों के बीच वित्तीय सहयोग को मजबूत करने पर सहमति बनी।

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    चीन की धरती से पीएम मोदी ने किसे क्या मैसेज दिया? (फोटो- एएएनआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका को पहले चीन, रूस और भारत की सदस्यता वाले संगठन ब्रिक्स की आर्थिक घोषणाओं और रणनीतियों से परेशानी थी, लेकिन अब उसे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से भी ऐसी ही समस्या होने जा रही है।

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    तियानजिन में आयोजित शिखर सम्मेलन के बाद सोमवार को जारी घोषणापत्र में अमेरिका की टैरिफ नीति की परोक्ष रूप से निंदा की गई है।

    1. इसमें सदस्य देशों के बीच आपसी मुद्रा में कारोबार को बढ़ावा देने की रणनीति, ईरान पर अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा और आपसी वित्तीय व आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए अलग से व्यवस्था करने की बात की गई है।
    2. कई विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के नेतृत्व में संपन्न इस आयोजन को नई वैश्विक व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। घोषणापत्र में कहा गया है- 'सदस्य देश एकतरफा जबरन उपायों, विशेष रूप से आर्थिक प्रकृति के उपायों का विरोध करते हैं जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अन्य नियमों, विश्व व्यापार संगठन के नियमों और सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।
    3. ये उपाय अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के हितों, जिसमें खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा शामिल है, को नुकसान पहुंचाते हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को कमजोर करते हैं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में बाधा डालते हैं।
    4. सदस्य देशों ने एससीओ के भीतर व्यापार सुविधा पर एक समझौता विकसित करने की पहल पर ध्यान देने की बात भी कही है। घोषणापत्र के अनुसार, एससीओ सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार का समर्थन करते हैं, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (आइबीआरडी) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के शासी निकायों में विकासशील देशों की प्रतिनिधित्व और भूमिका को बढ़ाना है।
    5. घोषणापत्र ने इच्छुक एससीओ सदस्य देशों द्वारा आपसी लेन-देन में राष्ट्रीय मुद्राओं की हिस्सेदारी को धीरे-धीरे बढ़ाने की रोडमैप को तेजी से लागू करने के महत्व पर बल दिया।
    6. एससीओ विकास बैंक की स्थापना के महत्व को पुन: दोहराते हुए इच्छुक सदस्य देशों ने इसकी स्थापना करने और इस वित्तीय संस्थान के कार्यकरण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर परामर्श को तेज करने का निर्णय लिया।
    7. सदस्य देशों ने इंटरबैंक एसोसिएशन (आइबीए) की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो बीस वर्षों के संचालन के बाद वित्तीय क्षेत्र में एक मांग वाला तंत्र बन गया है।
    8. इसमें ईरान को भी शामिल करने की वकालत की गई है, जिससे ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध को सीमित किया जा सकता है। एससीओ ने अपने सदस्य देश ईरान पर हाल ही में अमेरिका और इजरायल द्वारा किए गए हमलों की भी निंदा की है।
    9. घोषणापत्र में हर सदस्य की अधिकांश मांगों को शामिल किया गया है। पहलगाम हमले और पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक ट्रेन पर हुए आतंकी हमले की भी निंदा की गई है।
    10. विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोषणापत्र न केवल अमेरिका की नीतियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए वैकल्पिक व्यापारिक और रणनीतिक गठबंधनों को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करता है।

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