'भारतीय लोगों से बस इतना कहना चाहूंगा कि...'; रूसी तेल से ट्रंप के सलाहकार को लगी मिर्ची
अमेरिकी व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के रूस से तेल आयात पर विवादित बयान दिया है जिसमें उन्होंने ब्राह्मण समुदाय पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया। इस बयान की भारत में कड़ी आलोचना हो रही है और इसे सामाजिक संरचना में हस्तक्षेप माना जा रहा है। नवारो ने पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात पर भी सवाल उठाए और भारत की विदेश नीति पर तंज कसा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रंप की शुल्क नीति की वजह से भारत और अमेरिका के संबंधों में वैसे ही तल्खी है, रही सही कसर राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो अपने अमर्यादित बयानों से पूरा करने में जुटे हैं। नवारो ने रूस से भारत के तेल आयात को लेकर निशाना साधते हुए दावा किया कि इस व्यापार से भारत के "ब्राह्मण" समुदाय को भारी मुनाफा हो रहा है, जबकि आम जनता को कोई फायदा नहीं पहुंच रहा।
इस बयान का भारत में काफी आलोचना हो रही है और इसे भारतीय समाज की सामाजिक संरचना में हस्तक्षेप और जातिगत तनाव भड़काने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हाल के वर्षों में किसी विदेशी अधिकारी की तरफ से भारत में जातिगत व्यवस्था को सरकार की नीतियों से जोड़ करने देखने की संभवतः पहली घटना है।
पीटर नवारो का विवादित बयान
नवारो पिछले एक पखवाड़े से कभी अपने आलेखों के जरिए तो कभी न्यूज चैनलों में बयान दे कर भारत-अमेरिकी संबंधों पर प्रहार कर रहे हैं। नवारो ने फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मैं भारतीय लोगों से बस इतना कहना चाहूंगा कि वे समझें कि यहां क्या हो रहा है। आपके पास ब्राह्मण हैं जो भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। हमें इसे रोकना होगा।"
पिछले दो हफ्तों में भारत के रूस से सस्ते तेल की खरीदने की नीति को नवारो “यूक्रेन युद्ध को वित्तीय सहायता” देने वाला और भारत की व्यापार नीतियों को “टैरिफ का महाराजा” कहकर तंज कस चुके हैं।
PM मोदी के ट्रंप-पुतिन से मिलने पर उठाए सवाल
नवारो ने यह भी सवाल उठाया कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बावजूद भारत रूस और चीन जैसे देशों के साथ नजदीकी क्यों बढ़ा रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें की हैं।
नवारो ने इन मुलाकातों पर नाराजगी जताई है। भारत ने आधिकारिक तौर पर पहले ही उनके बयानों को नजरअंदाज किया है और आज भी। लेकिन सोशल मीडिया पर नवारो की टिप्पणी को लेकर अपमानजनक और अनुचित माना गया है। कुछ लोगों ने इसे भारत की आंतरिक राजनीति में दखल देने और जातिगत विभाजन को भड़काने की कोशिश करार दिया।
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