ताइवान, टिकटॉक और विश्व शांति, शपथ से पहले ट्रंप और चिनफिंग के बीच फोन पर क्या हुई बात?
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से शपथ ग्रहण से पहले शुक्रवार को फोन पर बात की। दोनों नेताओं ने रणनीतिक संचार चैनल स्थापित करने और प्रमुख मुद्दों पर नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई। चिनफिंग ने ट्रंप को दूसरी जीत पर बधाई दी। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी बातचीत की पुष्टि की।
रॉयटर्स, बीजिंग। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और शी चिनफिंग ने शुक्रवार देर रात फोन पर बात की।
यह बातचीत 20 जनवरी को होने वाले ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पहले हुई है। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका-चीन संबंध मुख्य फोकस में रहने की उम्मीद है।
ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर इसकी पुष्टि की कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बात की। उन्होंने कहा कि अन्य चीजों के अलावा व्यापार, फेंटेनल और टिकटॉक के बारे में बात हुई। राष्ट्रपति शी और मैं विश्व को अधिक शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
ट्रंप ने दी टैरिफ की धमकी
ट्रंप ने अमेरिका में सभी चीनी आयातों पर 60 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की धमकी दी है। लेकिन उन्होंने पहले भी शी के साथ अपने संबंधों की प्रशंसा की है और सुझाव दिया है कि चीन यूक्रेन में युद्ध जैसे अंतरराष्ट्रीय संकटों में मध्यस्थता करने में मदद कर सकता है।
शपथ ग्रहण में नहीं आएंगे चीनी राष्ट्रपति
ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में चीनी राष्ट्रपति शामिल नहीं होंगे। इस कार्यक्रम में चीन का प्रतिनिधित्व उपराष्ट्रपति हान झेंग करेंगे। ट्रंप ने दिसंबर में मीट द प्रेस पर एक साक्षात्कार में कहा था कि वह चुनाव जीतने के बाद से शी के साथ संवाद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा था कि चीन के नेता के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने ताइवान पर चर्चा नहीं की, लेकिन अन्य मुद्दों पर चर्चा की।
ताइवान चीन की संप्रभुता से जुड़ा: चिनफिंग
शी चिनफिंग ने ट्रंप से कहा कि अलग-अलग परिस्थितियों वाले दो बड़े देशों के बीच कुछ मतभेद होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि अहम यह है कि एक-दूसरे के हितों और चिंताओं का सम्मान किया जाए और उचित समाधान निकाला जाए।
उन्होंने कहा कि ताइवान का सवाल चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से जुड़ा है। अमेरिकी पक्ष को इस पर विवेकपूर्ण तरीके से विचार करने की जरूरत है। बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। उसने इसे अपने में शामिल करने की कसम खाई है। दोनों नेताओं ने उम्मीद जताई है कि चीन और अमेरिका संबंधों की अच्छी शुरुआत होगी।
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