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    बांग्लादेश का उड़ता ताबूत, मिग-21 की सस्ती कॉपी और चीन का कबाड़... MiG-21 या J-7 या फिर F-7, पढ़ें इसकी कहानी

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 10:18 PM (IST)

    बांग्लादेश के ढाका में एयर फोर्स का एक ट्रेनिंग फाइटर जेट क्रैश हो गया। कॉलेज की एक बिल्डिंग से टकराने से 19 लोगों की जान चली गई जिनमें पायलट 16 छात्र और दो टीचर शामिल हैं। यह चीन में बना एफ-7 लड़ाकू विमान था। चीन ने इसे सोवियत संघ के साथ मिलकर बनाया था।

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    चीन का एफ-7 बांग्लादेश में हुआ दुर्घटनाग्रस्त। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश के ढाका में एयर फोर्स का एक ट्रेनिंग फाइटर जेट क्रैश हो गया। ये चीन में बना हुआ एफ-7 लड़ाकू विमान था, जो कॉलेज की एक बिल्डिंग से टकरा गया। इस हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई, जिसमें पायलट, 16 छात्र और दो टीचर शामिल हैं।

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    जो एयरक्राफ्ट क्रैश हुआ है, उसे अक्सर ग्रांडपा फाइटर जेट कहा जाता है। इस चीन ने 1960 के दशक में सोवियत संघ के साथ मिलकर डेवलेप किया था, लेकिन जब चीन-सोवियत के रिश्ते खराब हो गए तो बीजिंग ने मिग-21 की रिवर्स इंजीनियरिंग की और उसे जे-7 या यूं कहें कि एफ-7 (एक्सपोर्ट वैरियंट) बनाया।

    ये देश के करते हैं चीनी एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल

    बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान, म्यांमार, नामीबिया, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, श्रीलंका, सूडान, तंजानिया और जिम्बाब्वे इस विमान का संचालन करते हैं। बांग्लादेश के पास 36 F-7 विमान हैं, जो J-7 का निर्यात संस्करण है। इस बीच, पाकिस्तान कम से कम 120 विमानों के साथ F-17 का सबसे बड़ा संचालक है। चीन के भंडार में ज्यादातर विमान अमेरिकी और रूसी निर्मित लड़ाकू विमानों की कॉपी हैं।

    एक ही हैं जे-7 और एफ-7

    चीन के चेंगदू एअरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (सीएसी) ने जे-7 फाइटर जेट बनाया था। ये सिंगल इंजन वाले हल्के लड़ाकू विमान हुआ करते थे। चीन ने इसे किसी भी मौसम में जमीनी हमला करने के लिए बनाया था। इसी का एक्सपोर्ट वर्जन एफ-7 के नाम से जाना जाता है।

    1961 में, चीन के माओ और सोवियत संघ के निकिता क्रुश्चेव ने एक लाइसेंस के तहत चीन में मिग-21 का उत्पादन करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।मिग-21 को कुछ तकनीकी दस्तावेजों के साथ अगस्त 1962 में शेनयांग कारखाने में भेज दिया गया था, लेकिन दोनों शक्तियों के बीच बिगड़ते संबंधों के कारण समझौता रद्द हो गया और चीन सोवियत सहायता के बिना ही आगे बढ़ गया।

    मिग-21 को कहा जाता है उड़ता ताबूत

    शेनयांग के इंजीनियरों ने सोवियत मिग-21F-13 संस्करण की रिवर्स इंजीनियरिंग शुरू की और अंततः विमान में 249 समस्याओं की पहचान करके उनका समाधान किया, और विमान के लिए कम से कम आठ तकनीकी दस्तावेज तैयार किए।

    1964 में शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन ने J-7I नाम के पहले विमान का उत्पादन शुरू किया, जो लगभग मिग-21 जैसा ही दिखता था, लेकिन आंतरिक रूप से दोनों विमान अलग-अलग थे। मिग-21 को उसके उड़ान सुरक्षा रिकॉर्ड के कारण "उड़ता ताबूत" कहा जाता है, लेकिन दोनों विमानों का दुर्घटना इतिहास अलग-अलग है।

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