आखिर कौन हैं चीन के शिविरों में कैद लाखों उइगर मुस्लिम, जिनसे सत्ता खाती है खौफ
पिछले कुछ समय से चीन उइगर मुस्लिमो को लेकर लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। चीन हमेशा से ही इन्हें अपने लिए खतरा मानता आया है और हमेशा से ही ये लोग चीन की सरकार और सेना के निशाने पर रहते आए हैं।
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। पिछले कुछ समय से चीन उइगर मुस्लिमो को लेकर लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। चीन हमेशा से ही इन्हें अपने लिए खतरा मानता आया है और हमेशा से ही ये लोग चीन की सरकार और सेना के निशाने पर रहते आए हैं। इस संबंध में हाल ही में आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि चीन की तरफ से इन पर निगरानी रखने के नाम पर लाखों उइगर मुस्लिमों को शिविरों में कैद कर दिया गया है। यह रिपोर्ट बताती है कि चीन 20 लाख अन्य उइगर मुसलमानों को विचारधारा बदलने का पाठ भी पढ़ा रहा है। यूएन ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है। चीन में इस साल अप्रैल में जारी श्वेत पत्र के अनुसार, उइगर और हुई समुदाय के साथ देश में करीब दो करोड़ मुस्लिम आबादी है। उइगरों की तुलना में हुई मुस्लिमों को शांतिपूर्ण माना जाता है। उइगर मुस्लिमों को लेकर जताई जा रही चिंता के बीच बेहद कम लोग इनके बारे में जानते हैं। आज हम आपको इनके बारे में जानकारी दे रहे हैं।
शिनजियांग प्रांत में बहुसंख्यक हैं उइगर मुस्लिम
दरअसल, उइगर मुस्लिम चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में बहुसंख्यक हैं और चीन ने इस प्रांत को स्वायत्त घोषित कर रखा है। इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है। तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से ऊपर है। इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक है। यहां के इस बहुसंख्यक समुदाय को कम करने के लिन चीन की सरकार ने यहां पर हॉन समुदाय के लोगों को बसाना शुरू किया था। चीन की सरकार ने यहां के ऊंचे पदों पर भी हॉन समुदाय के लगों को बिठा रखा है। इसका नतीजा अब सामने आने लगा है।
कभी पूर्वी तुर्किस्तान था आज का शिनजियांग
चीन द्वारा हमेशा से ये कहा जाता रहा है कि इस प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम चीन से अलग होने की मांग के तहत 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' चला रहे हैं। अमेरिका ने 'ईस्ट तुर्किस्ताना इस्लामिक मूवमेंट' को उइगरों का एक अलगाववादी समूह कहा है। लेकिन वह ये भी मानता है कि यह संगठन आतंकी घटनाओं को अंजाम नहीं दे सकता है। इसको समझने के लिए हमें इतिहास के कुछ पन्ने पलटने होंगे। दरअसल, आज का शिनजियांग पूर्व का पूर्वी तुकिस्तान है। 1949 में इसको एक अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी गई थी। लेकिन इसी वर्ष यह चीन का हिस्सा बन गया। 1990 में जब सोवियत संघ का पतन हुआ तब इस क्षेत्र के लोगों ने भी खुद को आजाद कराने के लिए काफी प्रयास किया। उस वक्त इस आंदोलन को मध्य एशिया में कई मुस्लिम देशों ने भी समर्थन दिया था।
कौन है डोल्न इसा
डोल्कन इसा उइगर मुस्लिमों के बड़े नेता है। वह जर्मनी में रहते हैं और म्यूनिख स्थित वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (डब्लूयूसी) की एग्जीक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन हैं। दो वर्ष पहले उनका भारत आने का प्रोग्राम था, लेकिन भारत ने उनका वीजा रद कर दिया था। इसकी वजह ये थी कि उनके खिलाफ इंटरपोल की तरफ से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। 2014 में चीन ने इसा को मोस्ट वांटेड की लिस्ट में शामिल किया है। इसा पर 2014 में शिनजियांग प्रांत हिंसा फैलाने का भी आरोप है।
उइगर मुस्लिमों पर पाबंदी
इस क्षेत्र में चीन ने उइगर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगा रखा है। हाल ही में चीन की सरकार ने वहां की एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। 2014 में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई थी। इसके तर्क में कहा गया था कि कानून से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है। इससे पहले 2014 में शिनजियांग की सरकार ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों के रोजा रखने और मुस्लिम नागरिकों के दाढ़ी बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी। चीन का यहां तक कहना है कि धार्मिक गतिविधियां देश के कानून के तहत होनी चाहिए।
विरोध के चलते नहीं तोड़ पाए मस्जिद
इसके अलावा कुछ दिन पहले चीन के स्वायत्त क्षेत्र निंगसिआ हुई के वुजहांग शहर में स्थित वेईझोऊ जामा मस्जिद को गिराने के लिए भी अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। लेकिन भारी प्रदर्शन के चलते इसको फिलहाल टाल दिया गया। चीनी अधिकारियों का कहना है कि 2015 में इस मस्जिद का पुनर्निर्माण किया गया था। कई गुंबदों और मीनारों के साथ मध्य-पूर्व शैली में बनी इस मस्जिद के निर्माण से पहले इजाजत नहीं ली गई थी। यदि चीनी शैली के मुताबिक मस्जिद में गुंबदों को तोड़कर उसकी जगह पैगोडा बना दिया जाए, तो इसे तोड़ा नहीं जाएगा लेकिन हुई मुस्लिम समुदाय को यह स्वीकार्य नहीं है।
शिनजियांग में हिंसा का इतिहास
- 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हुई हिंसा में 200 लोग मारे गए जिनमें अधिकांश हान चीनी थे।
- 2009 में उरुमची में ही हुए दंगों में 156 उइगर मुस्लिम मारे गए थे। तुर्की ने इसको एक बड़ा नरसंहार करार दिया था।
- 2010 में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ हुई हिंसा।
- 2012 में विमान हाइजैक करने के आरोप में छह उइगर गिरफ्तार किए गए। यह विमान हाटन से उरुमची जा रहा था।
- 2013 में प्रदर्शन कर रहे उइगर मुस्लिमों पर पुलिस ने फायरिंग की जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई।
- 2016 में बीजिंग में एक कार बम धमाके में पांच लोग मारे गए जिसका आरोप उइगरों पर लगा।
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