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    क्या अमेरिकी सत्ता पर धनी लोगों का हो रहा 'कब्जा'? विदाई भाषण में बाइडेन ने क्यों दी ऐसी चेतावनी

    Updated: Sat, 18 Jan 2025 05:05 PM (IST)

    20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। मगर उनके शासन व्यवस्था में टेक जगत की हस्तियों और अरबपतियों का जमावड़ा देखने को मिलेगा। नीति निर्माण में भी इनका काफी हद तक दखल होगा। यही वजह है कि मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी विदाई भाषण में कुलीनतंत्र को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अमेरिका इस दिशा में बढ़ रहा है।

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    क्या कुलीनतंत्र की ओर बढ़ रहा अमेरिका?

    डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने विदाई भाषण में एक बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का लोकतंत्र तेजी से कुलीनतंत्र में बदल रहा है। अमेरिकी लोकतंत्र में टेक अरबपतियों के बढ़ते दखल पर बाइडन ने गहरी चिंता व्यक्त की।

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    इतिहास में कुछ क्रूर शासकों का संबंध कुलीन तंत्र से रहा है। मगर ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले बाइडन के इस बयान ने नई चर्चा छेड़ दी है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि यह कुलीन तंत्र क्या है? इसकी उत्पत्ति कहां से हुई और इसका इतिहास क्या है?

    क्या है कुलीन तंत्र?

    कुलीन तंत्र का मतलब कुछ धनी लोगों द्वारा सरकार के कार्यों को नियंत्रित करने से है। पूरी दुनिया को पता है कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अरबपति एलन मस्क का हस्तक्षेप हर क्षेत्र में बड़ा है। इसके अलावा कई अन्य टेक दिग्गज खुलकर डोनाल्ड ट्रंप के साथ देखे जा चुके हैं।

    ट्रंप के शपथ समारोह में कुलीन तंत्र का साया

    20 जनवरी को ट्रंप शपथ लेंगे। इसमें मार्क जुकरबर्ग, एलन मस्क और जेफ बेजोस शामिल होंगे। चुनाव के दौरान एलन मस्क की सुपर पीएसी ने ट्रंप को लगभग 200 मिलियन डॉलर का दान भी दिया था।

    • मेटा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) मार्क जुकरबर्ग ट्रंप के उद्घाटन समारोह की सह-मेजबानी करेंगे।
    • जेफ बेजोस की कंपनी अमेजॉन प्राइम वीडियो ट्रंप की पत्नी मेलानिया पर एक नई डॉक्यूमेंट्री बनाएगी।
    • मेटा, ओपनएआई और अमेजॉन ने ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में 1 मिलियन डॉलर का दान दिया है।

    कैसे हुई कुलीनतंत्र शब्द की उत्पत्ति?

    ग्रीक शब्द 'ओलिगार्किया' से कुलीनतंत्र शब्द की उत्पत्ति हुई है। कुछ लोगों का शासन... इसका शब्दिक अर्थ है। कुलीन तंत्र में एक परिवार ही पीढ़ी दर पीढ़ी शासन करता है। मगर मौजूदा समय में धनी लोग अपनी वित्तीय शक्ति के माध्यम से नेताओं के करीब आते हैं।

    उन्हें हर संभव वित्तीय मदद करते हैं। बाद में सरकार बनने पर सरकारी तंत्र को अपने हिसाब से नियंत्रिण करते हैं। कुछ मामलों में सोशल स्टेटस और सैन्य संबंधों के माध्यम से भी कुलीनतंत्र सत्ता को प्रभावित करता है।

    दो तरह के संघर्ष होते हैं पैदा

    मौजूदा समय में चीन, रूस और अमेरिका को कुलीनतंत्र के रूप में देखा जाता है। दुनिया भर में इस बात की चिंता है कि चीन के बाद अमेरिका जैसी दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं कुलीनतंत्र का हिस्सा बन रही हैं। दार्शनिक अरस्तू ने अपनी पुस्तक राजनीति में लिखा है कि लोकतंत्र कुलीनतंत्र की तुलना में अधिक सुरक्षित और नागरिक संघर्ष से मुक्त है। कुलीनतंत्र में दो तरह के संघर्ष होते हैं।

    • पहला: कुलीनतंत्र के विभिन्न सदस्यों के बीच गुटबाजी।
    • दूसरा: कुलीनतंत्र और लोगों के बीच पैदा हुई गुटबाजी।

    लोकतंत्र व कुलीनतंत्र के बीच झूलता अमेरिका

    अमेरिका कहने को तो लोकतंत्र हैं। मगर यहां की शासन व्यवस्था में कुलीन तंत्र की छाप देखने को मिलती है। नीति निर्माण में आम नागरिकों की अपेक्षा धनी व्यक्तियों का अधिक प्रभाव देखने को मिलता है। कोई भी व्यक्ति अमेरिका में चुनाव के दौरान भारी मात्रा में दान कर सकता है।

    जीतने के बाद वही शख्स नीतियों को प्रभावित करता है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका सैद्धांतिक रूप से एक लोकतंत्र है। मगर वास्तविक रूप में यह एक कुलीनतंत्र है।

    रूस में कुलीन तंत्र का इतिहास

    1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो राज्य संपत्तियां और अन्य संस्थान धनी व्यापारियों के नियंत्रण में आ गए थे। इससे रूस में एक अरबपति कुलीन वर्ग का जन्म हुआ। तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के समय शुरू हुआ कुलीनतंत्र रूस में व्लादिमीर पुतिन के शासन में भी बना हुआ है।

    रूस में इस कुलीन तंत्र से वादा किया जाता है कि जब तक वे उनके प्रति वफादार रहेंगे, तब तक वे उन्हें संपत्ति बनाए रखने दिया जाएगा। रूस के बारे में कहा जाता है कि नेता देश की जनता पर शासन करते हैं और कुलीनतंत्र राजनेताओं पर शासन करते हैं। 1400 के दशक से भी कुलीनतंत्र किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है।

    फिलीपींस

    फिलीपींस पर भी कुलीनतंत्र होने का आरोप लगता है। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने इस व्यवस्था को खत्म करने का दावा किया था। मगर आलोचकों का कहना है कि उन्होंने बस कुलीनतंत्र के एक अलग समूह को प्राथमिकता दी थी। दक्षिण अफ्रीका को भी एक श्वेत नस्लीय कुलीनतंत्र के रूप में देखा जाता है।

    इन देशों में भी कुलीनतंत्र

    कुलीन तंत्र वाले देशों की कोई निश्चित सूची नहीं है। मगर यूक्रेन, तुर्किये, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, उत्तर कोरिया, वेनेजुएला, जिम्बाब्वे, बहरीन और क्यूबा क कुलीनतंत्र का हिस्सा माना जाता हैं।

    कुलीनतंत्र का क्या असर होता है?

    कुलीन तंत्र की वजह से देश का आर्थिक विकास बाधित होता है। आय की असमानता बढ़ती है। इसकी वजह यह है कि मजूदरों को जाने वाला पैसा कुलीनतंत्र के पास जाने लगता है। कुलीन तंत्र में कई बार सरकारें दमनकारी नीतियां भी अपनाती हैं। इस व्यवस्था में मध्यम वर्ग सिकुड़ता है। अमीर और अमीर होते जाते हैं और गरीब और गरीब होते जाते हैं। कुलीनतंत्र में कठपुतली नेताओं का उदय होता है।

    सोर्स: वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की आधिकारिक वेबसाइट

    https://worldpopulationreview.com/country-rankings/oligarchy-countries

    (एजेंसी के इनपुट के साथ)

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