अमेरिकी खुफिया एजेंसी के पूर्व अधिकारी ने खोली पाकिस्तान की पोल, परमाणु हथियारों पर क्या कहा?
सीआईए के पूर्व अधिकारी रिचर्ड बार्लो ने खुलासा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति 1989 तक दावा करते रहे कि पाकिस्तान परमाणु हथियार नहीं बनाएगा, जबकि अमेरिका ने जानबूझकर उसे एफ-16 लड़ाकू विमान दिए, जिन पर परमाणु हथियार तैनात किए जा सकते थे। बार्लो के अनुसार, सीआईए भी पाकिस्तान के परमाणु संपन्न बनने से खुश नहीं था, लेकिन CIA केवल सलाह दे सकता था।
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पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर पूर्व CIA अधिकारी का बड़ा खुलासा। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व अधिकारी रिचार्ड बार्लो ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति 1989 तक दावा करते रहे कि पाकिस्तान परमाणु हथियार नहीं बनाएगा। यही नहीं, अमेरिका ने जानबूझकर पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान दिए, जबकि उन्हें पता था कि पाकिस्तान इनपर परमाणु हथियार तैनात कर सकता है।
समाचार एजेंसी एएनआई के साथ इंटरव्यू के दौरान रिचार्ड बार्लो ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। उनके अनुसार, CIA भी पाकिस्तान के परमाणु संपन्न देश बनने से खुश नहीं था, मगर इसमें वो कुछ नहीं कर सके।
CIA के पूर्व अधिकारी ने क्या कहा?
रिचार्ड का कहना है, "1989 तक सभी राष्ट्रपति कहते रहे कि पाकिस्तान परमाणु हथियार नहीं बनाएगा। CIA भी इससे खुश नहीं था, लेकिन हम सुझाव देने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे। हम निर्वाचित नहीं थे। हमारा काम सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों को खुफिया जानकारी देना है, वहां हमारा काम खत्म हो जाता है। इसके आगे कोई भी चीज हमारे नियंत्रण में नहीं होती, आगे की जिम्मेदारी अमेरिका के निर्वाचित लोगों की होती है।"

ब्रास टैक संकट का जिक्र
पाकिस्तान के द्वारा परमाणु परीक्षण का जिक्र करते हुए बार्लो कहते हैं 1987 में न्यू यॉर्कर में एक इंटरव्यू छपा था, इसमें ब्रास टैक संकट का जिक्र किया गया था। यह संकट भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु लड़ाई से जुड़ा था, जिसमें पाकिस्तानी बम के पिता माने जाने वाले डॉक्टर अब्दुल कादीर खान ने कबूल किया था कि पाकिस्तान परमाणु संपन्न देश बन चुका है।
रिचार्ड बार्ले आगे कहते हैं-
1993 में न्यू यॉर्कर में एक और आर्टिकल छपा था, जिसमें पाकिस्तान के द्वारा एफ-16 लड़ाकू विमान में परमाणु हथियार रखने की खुफिया जानकारी सामने आई थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को इससे अलग रखा गया था। पाक आर्मी चीफ जनरल मिर्जा असलम बेग और राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने परमाणु परीक्षण की बागडोर अपने हाथ में ली थी।
EP-11 with Ex-CIA Officer Richard Barlow (1985–1988) on Pakistan’s Nuclear Program premieres today at 5 PM IST | ANI Broadcast
— ANI (@ANI) November 7, 2025
“It’s a shame Indira didn’t approve it. Would have solved a lot of problems,” On reported Israel-India proposal for a preemptive strike on Pakistan’s… pic.twitter.com/IrCnOo9vwX
अमेरिका ने क्यों दिया पाकिस्तान का साथ?
दरअसल यह वही समय था, जब सोवियत संघ ने 1989 में अफगानिस्तान से वापसी कर ली थी। ऐसे में अफगानिस्तान में कदम जमाने के लिए अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत थी। उस समय अफगानिस्तान, अमेरिका की पहली प्राथमिकता था, जिसके सामने पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण को भी नजरअंदाज कर दिया गया था।
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