अमेरिका से खुद को डिपोर्ट करने वाली छात्रा ने कहा- खतरनाक था माहौल; हमास का किया था समर्थन
अमेरिका से खुद को डिपोर्ट करने वाली भारतीय छात्रा रंजनी ने उस भयावह पल को बयां किया है जब पहली बार संघीय एजेंटों ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में उनके अपार्टमेंट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने बताया कि माहौल बेहद अस्थिर और खतरनाक लग रहा था। उन्होंने दरवाजा नहीं खोला था। हमास का समर्थन करने के कारण कोलंबिया यूनिवर्सिटी की छात्रा रंजनी का वीजा पांच मार्च को रद कर दिया गया था।
एजेंसी, न्यूयार्क। अमेरिका से खुद को डिपोर्ट करने वाली भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन ने उस भयावह पल को बयां किया है, जब पहली बार संघीय एजेंटों ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में उनके अपार्टमेंट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने बताया कि माहौल बेहद अस्थिर और खतरनाक लग रहा था। उन्होंने दरवाजा नहीं खोला था। हमास का समर्थन करने के कारण कोलंबिया यूनिवर्सिटी की छात्रा रंजनी का वीजा पांच मार्च को रद कर दिया गया था।
कनाडा जाने वाली उड़ान से निकलीं रंजनी
इसके बाद उन्होंने खुद को अमेरिका से डिपोर्ट कर लिया था। रंजनी की तलाश में आठ दिन पहले तीन आव्रजन एजेंट पहली बार उनके अपार्टमेंट पहुंचे थे। इसके अगले दिन रात में वे फिर पहुंचे, लेकिन तब वह अपार्टमेंट में नहीं थीं। इसके बाद उन्होंने अपना सामान समेटा और अपनी पालतू बिल्ली को एक दोस्त के पास छोड़ लागार्डिया एयरपोर्ट से कनाडा जाने वाली उड़ान में सवार हो गईं।
तीसरी बार वारंट के साथ पहुंचे एजेंट
पिछले गुरुवार को तीसरी बार एजेंट न्यायिक वारंट के साथ पहुंचे और उनके अपार्टमेंट में दाखिल हुए, लेकिन तब तक वह देश छोड़ चुकी थीं। 37 वर्षीय रंजनी ने शुक्रवार को कहा, 'माहौल बहुत अस्थिर और खतरनाक लग रहा था। इसलिए मैंने तुरंत यह फैसला लिया।'
रंजनी को आतंकियों का समर्थक बताया
रंजनी ने छात्र वीजा पर शहरी नियोजन में डाक्टरेट की छात्रा के रूप में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था। उन्होंने 11 मार्च को कस्टम एंड बार्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) के होम एप का उपयोग कर खुद को डिपोर्ट कर लिया था।
गृह सुरक्षा विभाग ने एक बयान में रंजनी को आतंकियों का समर्थक बताया है। उन पर हिंसा की वकालत करने और आतंकी संगठन हमास का समर्थन करने वाली गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। हालांकि विभाग ने अपने आरोपों के समर्थन में कोई साक्ष्य मुहैया नहीं कराया है।
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