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    न्यूजीलैंड और भारत के बीच हुए 6 समझौते, खालिस्तान संगठनों पर क्या होगा एक्शन? PM लक्सन ने दिया ये जवाब

    भारत और न्यूजीलैंड के बीच छह समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। आपसी सहयोग पर दोनों देशों ने संकल्प जताया है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में न्यूजीलैंड के साथ सहयोग को और सुदृढ़ बनाने पर सहमति बनी है। पीएम मोदी ने चीन के विस्तारवादी नीति पर परोक्ष रूप से निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा हम विस्तारवाद नहीं विकास की नीति में विश्वास रखते हैं।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 17 Mar 2025 09:25 PM (IST)
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    कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे भारत और न्यूजीलैंड। ( फोटो- एएनआई )

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए भारत ने न्यूजीलैंड के साथ अपने रक्षा संबंधों को संस्थागत स्वरूप देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत यात्रा पर आए न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच सोमवार को हुई द्विपक्षीय बैठक के दौरान रक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

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    कट्टरपंथी संगठन के खिलाफ सहयोग का संकल्प

    आतंकवादी, अलगाववादी और कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आपसी सहयोग का भी दोनों देशों ने संकल्प जताया है। पीएम मोदी ने लक्सन से न्यूजीलैंड में कुछ गैरकानूनी संगठनों विशेष रूप से खालिस्तानी आतंकी संगठन की बढ़ रही गतिविधियों को लेकर भारत की चिंता से रूबरू कराया।

    न्यूजीलैंड के पीएम ने दोनों देशों के आपसी संबंधों तथा रणनीतिक हितों के संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस दौरान रक्षा संबंधों को संस्थागत तौर पर आगे बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

    मुक्त व्यापार समझौते पर होगी बात

    परस्पर लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही शिक्षा, खेल, जलवायु परिवर्तन समेत छह क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए भी समझौते हुए। प्रधानमंत्री तथा न्यूजीलैंड पीएम की ¨हद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियों पर भी बातचीत हुई और बैठक के बाद अपने मीडिया से रूबरू होते हुए पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा कि भारत और न्यूजीलैंड एक स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करते हैं।

    मोदी ने कहा ''हम विस्तारवाद की नहीं, बल्कि विकास की नीति में विश्वास करते हैं।'' हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के विस्तारवादी रवैये को लेकर लगातार बढ़ रही वैश्विक चिंताओं के बीच पीएम का यह बयान महत्वपूर्ण है।

    चीन की नीति से सजग न्यूजीलैंड

    दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में भी एक ऐसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई, जहां संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाता है। भारत और न्यूजीलैंड के बीच एफटीए वार्ता शुरू करने पर बनी सहमति की एक प्रमुख वजह हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कुछ छोटे देशों के बाजार पर प्रभुत्व जमाने की चीन की रणनीति है। चीन के बाजारवाद के विस्तार को लेकर सजग न्यूजीलैंड भारत के साथ एफटीए पर आगे बढ़ना चाहता है।

    हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता

    लक्सन ने भी अपने वक्तव्य में समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा चिंताओं को दूर करने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई। प्रतिष्ठित रायसीना डॉयलाग के मुख्य अतिथि के रूप में रविवार को भारत की पांच दिवसीय दौर पर आए न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री और पीएम मोदी की सोमवार को हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता हुई। बैठक के बाद दोनों प्रधानमंत्रियों ने मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित किया।

    इन क्षेत्रों में बढ़ाया जाएगा आपसी सहयोग

    पीएम मोदी ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कर आज हमने अपनी रक्षा तथा सुरक्षा साझेदारी को मजबूत और संस्थागत रूप देने का निर्णय लिया है। संयुक्त अभ्यास, ट्रेनिंग, बंदरगाहों के भ्रमण के साथ-साथ रक्षा उद्योग जगत में भी आपसी सहयोग के लिए रोडमैप बनाया जाएगा। हिन्द महासागर में समुद्री सुरक्षा के लिए संयुक्त टास्क फोर्स-150 में हमारी नौसेनाएं मिल कर काम कर रही हैं।

    आतंकवाद के खिलाफ मिलकर करेंगे काम

    हिंद-प्रशांत क्षेत्र महासागर इनिशिएटिव और सीडीआरआई से जुड़ने के लिए हम न्यूजीलैंड का स्वागत करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ दोनों देश एकमत हैं। चाहे 15 मार्च 2019 का क्राइस्टचर्च आतंकी हमला हो या 26 नवंबर 2008 का मुंबई हमला आतंकवाद किसी भी रूप में अस्वीकार्य है। आतंकी हमलों के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवादी, अलगाववादी और कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ हम मिलकर सहयोग करते रहेंगे।

    गैर-कानूनी तत्वों का मुद्दा उठाया

    मोदी ने कहा कि इस संदर्भ में न्यूजीलैंड में कुछ गैर-कानूनी तत्वों द्वारा भारत-विरोधी गतिविधियों को लेकर हमने अपनी चिंता साझा की। हमें विश्वास है कि इन सभी गैर-कानूनी तत्वों के खिलाफ हमें न्यूजीलैंड सरकार का सहयोग आगे भी मिलता रहेगा। सूत्रों के अनुसार मोदी ने प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठनों की सक्रियता का इस क्रम में खास तौर पर जिक्र करते हुए उठाया। संयुक्त बयान में भी आतंकवाद के सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों और सीमा पार आतंकवाद में आतंकवादी प्रॉक्सी के उपयोग की संपूर्ण निंदा दोहराई गई।

    डेयरी और फार्मा क्षेत्र में निवेश को दिया जाएगा बढ़ावा

    संयुक्त बयान के अनुसार दोनों देशों ने मुख्य रूप से अनियमित प्रवास की चुनौती से निपटने के लिए पेशेवरों और कुशल श्रमिकों के आवागमन को सुविधाजनक बनाने वाली व्यवस्था पर बातचीत की हामी भरी है। प्रस्तावित एफटीए को लेकर मोदी ने कहा कि डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण और फार्मा जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग और निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। भारत के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) और न्यूजीलैंड की सीमा शुल्क सेवा के बीच पारस्परिक मान्यता समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए।

    बंधक, गाजा और यूक्रेन युद्ध पर भी हुई बात

    संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने मध्य पूर्व की शांति और स्थिरता के लिए अपने दृढ़ समर्थन निरंतर वार्ता का आह्वान दोहराया और सभी बंधकों की रिहाई से लेकर गाजा में निर्बाध मानवीय सहायता तेजी से पहुंचाए जाने की बात कही।

    दो-राष्ट्र समाधान के महत्व पर जोर दिया ताकि फलस्तीन एक संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना हो सके और इजरायल के साथ शांति और सुरक्षा के साथ पारस्परिक रूप से मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रह सके। दोनों नेताओं ने यूक्रेन में युद्ध पर भी अपना मत साझा किया और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान के आधार पर न्यायपूर्ण और स्थायी शांति के लिए समर्थन व्यक्त किया।

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