नॉर्वे से न्यूजीलैंड तक... दुनियाभर के देश क्यों चाहते भारत से व्यापार समझौता? ट्रंप को बड़ा मैसेज देने का प्लान
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बाद से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल का माहौल है। यूरोपीय देश समेत आधार दर्जन देश भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने की तैयारी में है। न्यूजीलैंड के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू हो चुकी है। जल्द ही रूस पेरू चिली हंगरी नॉर्वे और ग्वाटेमाला के साथ व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू हो सकती है।

राजीव कुमार, नई दिल्ली। इन दिनों यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के अलावा आधा दर्जन देश भारत के साथ द्विपक्षीय स्तर पर व्यापार समझौता करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं हर देश जल्द से जल्द इस समझौते का अमलीजामा पहुंचाना चाहता है। इस तेजी के लिए मुख्य रूप से अमेरिका के ट्रंप सरकार की शुल्क नीति जिम्मेदार दिख रही है। ट्रंप सरकार की नीति को देखकर वैश्विक स्तर पर अब बहुराष्ट्रीय व्यापार समझौते की बहुत गुंजाइश नहीं दिख रही है।
अमेरिका को संदेश देगा भारत
भारत भी इन देशों के साथ समझौते से अमेरिका को यह संदेश देना चाहता है कि उसके अलावा कई देश भी भारत के साथ व्यापार बढ़ाने के तीव्र इच्छुक हैं। हालांकि अमेरिका के साथ भी भारत के व्यापार समझौते की बातचीत का पहला चरण इस साल पूरा हो जाएगा। सोमवार को न्यूजीलैंड के साथ फिर से व्यापार समझौते पर वार्ता शुरू हो गई।
व्यापार समझौते के कतार में ये देश
यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन, ओमान के साथ पहले से ही व्यापार समझौते पर वार्ता चल रही है। सोमवार को वाणिज्य मंत्रालय में स्वीडन के प्रतिनिधिमंडल के साथ भी व्यापार समझौते को लेकर बातचीत हुई। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जल्द ही नॉर्वे, हंगरी, ग्वाटेमाला, पेरू, चिली व रूस के साथ भी व्यापार समझौते की बातचीत की शुरुआत हो सकती है।
छोटे देशों से क्यों समझौता कर रहा भारत?
रूस के उप प्रधानमंत्री इस सिलसिले में भारत आने वाले हैं। पेरू और चिली जैसे देशों के साथ व्यापारिक समझौते से भारत दक्षिण अमेरिका में अपनी पैठ को मजबूत कर सकेगा। न्यूजीलैंड, पेरू और चिली छोटे देश जरूर हैं, लेकिन छोटे-छोटे देशों को मिलाकर भी व्यापार के आकार को बड़ा किया जा सकता है।
न्यूजीलैंड के साथ भारत सालाना वस्तु और सेवा दोनों मिलाकर मात्र 1.5 अरब डॉलर का व्यापार करता है। फिर भी न्यूजीलैंड के साथ समझौते पर वार्ता हो रही है। दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि इस प्रकार के छोटे देशों में भारत को अपने मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े आइटम को भेजने का अवसर मिलेगा।
भारत दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश है और सभी देश भारत की खुली अर्थव्यवस्था के साथ व्यापारिक समझौता करना चाह रहे हैं। आपसी लाभ को देखते हुए हम सभी प्रकार के व्यापारिक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। - सुनील बर्थवाल, वाणिज्य सचिव
जरूरी नहीं है दो अप्रैल से पारस्परिक शुल्क लागू हो पाए
अमेरिका ने भारत के साथ आगामी दो अप्रैल से पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा जरूर कर दी है, लेकिन इसके लागू होने में संशय दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका अभी पारस्परिक शुल्क को लेकर सर्वे करा रहा है, जिसकी रिपोर्ट अमेरिकी सरकार को आगामी एक अप्रैल तक सौंपी जाएगी। दूसरी तरफ भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते से जुड़ी वार्ता की पहल कर दी है।
भारत और अमेरिका दोनों ही इस दिशा में पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। हालांकि व्यापारिक समझौते के दौरान दोनों देश अपना-अपना हित देखेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी साफ कर दिया है कि भारत भी अमेरिका की तरह इंडिया फर्स्ट की नीति अपनाएगा।
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