'UN में सुधार बेहद जरूरी', जयशंकर ने यूएन में उठाया बहुपक्षीय व्यवस्था पर सवाल
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बहुपक्षवाद को खतरे में बताते हुए यूएन और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की वकालत की। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों की प्रभावशीलता कम हो रही है। जयशंकर ने वैश्विक दक्षिण के देशों के समक्ष कोविड महामारी यूक्रेन और गाजा संघर्ष जैसी चुनौतियों का उल्लेख किया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मौजूदा वैश्विक परिवेश में बहुपक्षवाद को बेहद खतरे में बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र और दूसरे बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की जोरदार वकालत की है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र के दौरान मंगलवार को न्यूयॉर्क में समान विचारधारा वाले वैश्विक दक्षिण देशों (विकासशील व गरीब देश) की उच्च स्तरीय बैठक में जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों की प्रभावशीलता कम हो रही है और बहुपक्षीय व्यवस्था पर हमला हो रहा है, जिसके लिए तत्काल सुधार जरूरी हैं।
उन्होंने बहुपक्षीय संस्थानों की असफलता की वजह से वैश्विक दक्षिण के देशों के समक्ष कोविड महामारी, यूक्रेन और गाजा संघर्ष, चरम जलवायु घटनाएं, व्यापार में अस्थिरता, निवेश प्रवाह में अनिश्चितता, ब्याज दरों में अस्थिरता और भयावह मंदी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।जयशंकर ने चेतावनी दी कि, “आधुनिक विश्व व्यवस्था के आधारभूत ढांचे टूट रहे हैं।''
नाम लिये हुए विकसित देशों पर हमला
बगैर किसी देश का नाम लिये हुए विदेश मंत्री विकसित देशों पर हमला किया और कहा कि “बहुपक्षीय संगठनों को अप्रभावी बनाया जा रहा है। सुधारों में देरी की कीमत आज स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।''
ग्लोबल साउथ के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील
जयशंकर ने वैश्विक दक्षिण के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील करते हुए पांच सूत्री प्रस्ताव पेश किया। इसमें यूएन और बहुपक्षवाद में सुधार सर्वप्रमुख है। इन देशों को आपसी में अपनी विशेष अनुभवों या उपलब्धियों को साझा करने को कहा। यह काम वैक्सीन उत्पादन, डिजिटल क्षमताओं, शिक्षा, कृषि और लघु व मझौते उद्योगों जैसे क्षेत्रों में हो सकता है।
व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा
विदेश मंत्री ने विकासशील व कम विकसित देशों के बीच व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा देने का भी मंत्र दिया। इस काम में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
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