26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने चली नई चाल, कहा- 'भारत गया तो टॉर्चर किया जाएगा; बचने की उम्मीद भी कम'
पिछले महीने डोनाल्ड ट्रंप ने मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने का एलान किया था। मगर अब राणा ने एक नई चाल चली है। वह भारत आने से बचने की कोशिश में जुटा है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नई याचिका में तहव्वुर राणा ने भारत आने पर यातना देने का आरोप लगाया है। अमेरिका में 2009 में राणा को पकड़ा गया था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 26/11 मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश में जुटा है। अब उसने एक नई चाल चली है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तहव्वुर राणा ने भारत में टॉर्चर करने का आरोप लगाया है। उसने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की।
याचिका में कहा कि अगर समय पर ऐसा नहीं किया गया तो यह मामला अमेरिका अदालतों के अधिकार क्षेत्र से बाहर चला जाएगा और याचिकाकर्ता जल्द ही मर जाएगा। राणा ने यह भी दावा किया कि भारत में अगर मुकदमे का सामना किया तो बचने की उम्मीद कम है। इससे पहले 21 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट राणा की याचिका को खारिज कर चुका है। इसमें उसने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
डोनाल्ड ट्रंप ने किया था प्रत्यर्पण का एलान
राणा ने अपनी याचिका में कहा कि मैं पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम हूं। इस वजह से प्रत्यर्पण के बाद भारत में यातना मिल सकती हैं। पिछले महीने पीएम मोदी दो दिन की अमेरिकी यात्रा पर वाशिंगटन डीसी पहुंचे थे।
पीएम मोदी के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का एलान किया था। ट्रंप ने कहा कि था कि वह तहव्वुर राणा को तुरंत भारत को सौंप रहे हैं। उन्होंने आगे यह भी कहा कि नई दिल्ली से कई और अनुरोध मिले हैं। आगे और भी प्रत्यर्पण होंगे।
पाकिस्तानी मूल का है राणा
तहव्वुर राणा मूल रूप से पाकिस्तानी है। मगर उसके पास कनाडा की नागरिकता है। राणा ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली को सहायता प्रदान की थी। 2009 में अमेरिका ने हेडली को गिरफ्तार किया गया था। हेडली की मां पाकिस्तानी है और पिता अमेरिकी है। इस वजह से उसके पास अमेरिकी नागरिकता भी है। हेडली को दाऊद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है।
मुंबई हमले में कई थी 166 लोगों की जान
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को दहलाया था। ये आतंकी नाव के सहारे मुंबई में दाखिल हुए थे। आतंकी हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोगों की जान गई थी। 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। सुरक्षाबलों ने चार दिन बाद सिर्फ एक जीवित आतंकी कसाब को पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी।
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