ट्रंप की शपथ से पहले बाइडन का फैसला, इन लोगों के लिए कर दिया बड़ा एलान, जानें क्या है पूरा मामला
अमेरिका के निर्वतमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने डॉ. एंथोनी फौसी सेवानिवृत्त जनरल मार्क मिले और हाउस कमेटी के सदस्यों को माफी दी है। ये वे लोग हैं जिन्होंने कैपिटल हिंसा मामले में जांच की थी। अपने शासन के आखिरी समय पर जो बाइडेन ने अपनी शक्तियों का प्रयोग किया। कुछ देर में ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्टपति के रूप में शपथ लेंगे।
एपी, वॉशिंगटन। निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को डॉ. एंथोनी फौसी, सेवानिवृत्त जनरल मार्क मिले और हाउस कमेटी के सदस्यों को माफी दी है। ये वे लोग हैं जिन्होंने कैपिटल हिंसा मामले की जांच की थी। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के संभावित बदले से बचाने के लिए कार्यकाल के अंतिम घंटों में अपनी असाधारण शक्तियों का उपयोग किया।
जो बाइडन ने कहा कि इन क्षमादानों को इस बात की स्वीकृति के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए कि कोई शख्स गलत काम में शामिल है। हमारा देश इन लोक सेवकों का देश के प्रति उनकी अथक प्रतिबद्धता के लिए ऋणी है। राष्ट्रपति की ओर से कार्यकाल के अंत में क्षमादान देने की प्रथा है, लेकिन यह आमतौर पर उन अमेरिकियों को दिए जाते हैं जिन्हें अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है।
इन लोगों को भी मिला क्षमादान
बाइडन ने शक्ति का उपयोग व्यापक तरीके से किया है। उन्होंने उन लोगों को क्षमा दिया है जिनकी अब तक जांच भी नहीं हुई है। यह निर्णय ट्रंप और भविष्य के राष्ट्रपतियों द्वारा क्षमादान के और भी अधिक व्यापक उपयोग के लिए आधार तैयार करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल फैसला सुनाया था कि राष्ट्रपति को आधिकारिक कार्यों के लिए अभियोजन से व्यापक छूट है। लेकिन राष्ट्रपति के सहयोगियों के लिए ऐसी कोई ढाल नहीं है। आशंका है कि ट्रंप या आने वाले अन्य राष्ट्रपति व्यापक क्षमा का उपयोग सहयोगियों को कार्रवाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कर सकते हैं। इसके अलावा 1975 में दो एफबीआई एजेंट की हत्या करने वाले लियोनार्ड पेल्टियर को भी क्षमादान दे दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप लेंगे राष्ट्रपति पद की शपथ
रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप अब से कुछ देर में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इसको लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप कई बड़े फैसले ले सकते हैं। इसमें सबसे ज्यादा जोर सीमा सुरक्षा पर हो सकता है।
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