एक मानवीय भूल की वजह से खतरे में पड़ी करोडों लोगों की जान, जानें पूरा मामला
एक गलती की वजह से हवाई के करीब 1.43 मिलियन लोगों की सांसें अटकी रहीं और वो अपने लिए सुरक्षित जगह तलाशते रहे।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। उत्तर कोरिया से बढ़ते खतरे के बीच हवाई में वो सब हुआ जिसकी उसने कभी कल्पना तक नहीं की थी। ये सब उस वक्त हुआ जब कोरियाई प्रायद्वीप के दो देश उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच बातचीत का सिलसिला जारी हो रखा है। दरअसल शनिवार की सुबह करीब 8:07 बजे हवाई द्वीप पर लोगों ने अपने मोबाइल पर जो अलर्ट सुना उसके बाद उनके होश फाख्ता हो गए। यह अलर्ट था न्यूक्लियर अटैक का। दरअसल हवाई में मोबाइल अलर्ट और सायरन के जरिए यह मैसेज फ्लैश किया गया था कि बैलेस्टिक मिसाइल अटैक होने वाला है, लिहाजा सभी नागरिक अपने लिए सुरक्षित जगह तलाश लें।
अटक गई थीं सांसे
इस मैसेज ये हवाई द्वीप पर मौजूद सभी लोगों की सांसे अटका दी थीं। मैसेज को लेकर हर कोई परेशान था, सभी के जेहन में इसको लेकर सबसे पहला ध्यान उत्तर कोरिया की तरफ गया था। लेकिन हकीकत में इसके पीछे उत्तर कोरिया कहीं नहीं था। हालांकि इसके बाद दूसरा मैसेज अलर्ट सुबह करीब 8:43 बजे लोगों के फोन पर आया कि मिसाइल अटैक की पूर्व सूचना गलती से भेज दी गई थी। इस तरह का कोई अटैक नहीं हुआ है। लेकिन इतनी देर तक वहां के लोगों की सांसे अटकी हुई थीं।
गलती से खफा प्रतिनिधी
इस गलती के बाद वहां के लोगों में काफी गुस्सा है। हवाई के प्रतिनिधि मैट लॉपरेसिटी ने तो यहां तक कह दिया है कि वह इस गलती से काफी खफा है और जो कोई भी इसके लिए जिममेदार है उन्हें अपनी नौकरी से हाथ तक धोना पड़ सकता है। उनके अलावा हवाई के सिनेटर ब्रायन स्कैट्ज ने भी ट्विटर बताया कि यह एक ह्यूमन ऐरर के चलते हुआ है। हवाई के गवर्नर ने भी बाद में इसकी पुष्टि की है। उनका कहना था कि किसी कर्मी ने गलती से न्यूक्लियर अटैक के अलर्ट का बटन दबा दिया था जिसके बाद सभी लोगों के फोन पर खतरे की घंटी बज गई थी। यहां पर यह बात ध्यान में रखने वाली है कि भले ही इस बार ये अलर्ट गलती से गया हो लेकिन इसने वहां के लोगों को उस खतरे से जरूर रूबरू करवा दिया है जो उन्हें उत्तर कोरिया से लगता है।
हवाई के गवर्नर ने बताया है ‘Blunder Mistake’
इस पूरी घटना के बाद एक बड़ा सवाल यह भी उठा है कि इस तरह के अटैक का अलर्ट भेजना क्या इतना आसान है। इस वाकये के बाद हवाई के गवर्नर ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस पूरी घटना को एक ‘ब्लंडर मिस्टेक’ बताया है। उनका कहना था कि कर्मी ने गलती से न सिर्फ इस बटन को दबा दिया बल्कि उसने टेस्ट अलर्ट की जगह लाइव अलर्ट को भी सिलैक्ट कर दिया था। उनके मुताबिक इसको ऑन करने के बाद रोकना नामुमकिन है। यही वजह थी कि बाद में ट्विटर पर मैसेज के इसको बताया गया कि यह गलती से हुआ था। दूसरा मैसेज भेजने में 38 मिनट की देरी भी इसलिए ही हुई क्योंकि इसको मैनुअल तरीके से भेजना था। लेकिन इस गलती से सबक लेते हुए इस तरीके को भी दुरुस्त करने की कवायद की जाएगी।
अलर्ट भेजने का ये है तरीका
आपको बता दें कि इस द्वीप और पूरे देश में बैलेस्टिक मिसाइल के अलर्ट के लिए इंटिग्रेटेड पब्लिक अलर्ट एंड वार्निंग सिस्टम बना हुआ है। इसके जरिए ही मैसेज या अलर्ट भेजा जाता है। इसके अलावा खतरा होने पर टीवी पर भी इसको ब्रॉडकास्ट किया जाता है। एफसीसी पब्लिक सेफ्टी एंड होमलैंड सिक्योंरिटी ब्यूरो के पूर्व चीफ रिटायर्ड एडमिरल डेविड सिंपसन के मुताबिक सभी को मैसेज भेजने के लिए सिस्टम के तहत कई सर्वरों का इस्तेमाल किया जाता है जहां प्री रिकॉर्डिड मैसेज के जरिए अलर्ट दिया जाता है। यह न सिर्फ हवाई बल्कि पूरे देश पर लागू है। एफसीसी के चीफ अजित पाई ने भी ट्वीट कर इसकी जांच किए जाने की बात कही है।
एक नजर में हवाई द्वीप समूह
अब जरा आपको हवाई द्वीप की जानकारी दे दी जाए। हवाई करीब 132 छोटे और बड़े द्वीपों का एक समूह है जो 1898 तक एक स्वतंत्र राष्ट्र हुआ करता था। लेकिन बाद में इसको अमेरिका ने अपने कब्जे में ले लिया और 1900 में यह अमेरिका का हिस्सा बन गया था। 21 अगस्त 1959 को अमेरिका ने इसको अपना 50वां राज्य घोषित किया था। सेंट्रंल पेसिफिक में स्थित हवाई में छह बड़े द्वीप है जिसमें हवाई सबसे बड़ा है। यहीं पर पर्ल हार्बर का मैमोरियल भी है। 2017 की जनगणना के मुताबिक हवाई की जनसंख्या करीब 1.43 मिलियन है। हवाई के साथ एक बेहद दिलचस्प जानकारी यह भी जुड़ी है कि इसका अपना टाइम जोन है जिसको हवाई स्टेंडर्ड टाइम के नाम से जाना जाता है। हवाई पर ही दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी मोना लोआ भी मौजूद है। नासा के मून मिशन के दौरान अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों को यहीं पर तैयारी भी करवाई गई थी। यह करीब 2400 किमी में फैला है। हवाई में सबसे अधिक इंग्लिश बोली जाती है। इसके अलावा यहां पर स्पेनिश, हवाईयन, चीनी, जर्मनी भी बोली जाती है। इसके अलावा सामरोन, मैंड्रीन भी यहां बोली जाती है।
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