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32 वर्ष बाद फिर चर्चा में है नीरजा भनोट, जिन्‍हें पाक ने दिया था तमगा-ए-इंसानियत

एफबीआई की वजह से 32 वर्ष बाद एक बार फिर पैन एएम की नीरजा भनोट चर्चा में हैं। नीरजा को पाकिस्तान ने भी तमगा-ए-इंसानियत से नवाजा था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 12 Jan 2018 04:42 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jan 2018 10:09 AM (IST)
32 वर्ष बाद फिर चर्चा में है नीरजा भनोट, जिन्‍हें पाक ने दिया था तमगा-ए-इंसानियत

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। एक बार फिर आज नीरजा भनोट सभी की जुबान पर है। इसकी वजह बना है एफबीआई। जीहां एफबीआई ने पैन एएम की फ्लाइट को हाईजैक करने वाले चार अपहरणकर्ताओं की तस्वीर जारी की है। इन आतंकियों के नाम मुहम्मद हाफिज अल-तुर्की, जमाल सईद अब्दुल रहीम, मुहम्मद अब्दुल्ला खलील हुसैन और मुहम्मद अहमद अल-मुनवर बताए गए हैं।

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पुरानी तस्‍वीरों को आधार बनाकर जारी की नई तस्‍वीरें

करीब 32 वर्ष बाद एफबीआई ने अपहरकर्ताओं की जिन तस्‍वीरों को जारी किया है उन्‍हें लैब में साल 2000 में एफबीआई को मिली तस्वीरों के आधार पर बनाया गया है। इसकी जानकारी खुद एफबीआई ने ट्वीट कर दी है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने आरोपियों की सूचना देने वालों के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा था। ये चारो आतंकी अबु निदल संगठन(एएनओ) के सदस्य बताए जाते हैं। ये चारों एफबीआई की मोस्ट वांटेड आतंकवादी की सूची में शामिल हैं।

महज 22 वर्ष की थी नीरजा

आपको बता दें कि 5 सितंबर 1986 को अपहरणकर्ताओं ने पैन एएम फ्लाइट 73 को कराची से हाईजैक कर लिया था। इस दौरान नीरजा भनोट सहित 20 लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक यात्री घायल हो गए थे। इस फ्लाइट में कुल 379 यात्री सवार थे। इस हादसे के समय नीरजा की उम्र महज 22 साल थी। भारत की नीरजा भनोट इस फ्लाइट की मुख्य पर्सर के रुप में तैनात थी। नीरजा ने इस विमान के यात्रियों को सकुशल बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी। इसके लिए भारत सरकार ने नीरजा को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा था।

पाक ने दिया तमगा-ए-इंसानियत

इस बहादुरी के लिए उन्हें पाकिस्तान ने भी उन्हें 'तमगा-ए-इंसानियत' के सममान से नवाजा था। नीरजा एयर होस्टेस के अलावा मॉडल भी थी। उन्होंने कुछ ब्रॉन्ड्स के लिए मॉडलिंग भी की थी। वह अपने पति से अलग अपनी मां-पिता के साथ रहती थी। वर्ष 2016 में नीरजा के ऊपर एक हिन्दी फिल्म भी बनाई गई थी जिसमें नीरजा का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था।

क्‍या हुआ था 5 सितंबर 1986 को

5 सितंबर 1986 को निरजा मुंबई से अमेरिका जाने वाली पैन एम 73 फ्लाइट में सवार थीं। फलाइट के कराची पहुंचने के कुछ समय बाद ही इसको हाईजैक कर लिया गया था। यह सभी लिबिया की अबू निदल ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हुए थे। इनका मकसद विमान में मौजूद अमेरिकियों को जान से मारना था। इसके अलावा वह अपने फिलिस्‍तीनी साथियों की जेल से रिहाई चाहते थे। आतंकी 369 यात्रियों से भरी फ्लाइट को क्रैश करना चाहते थे।

विमान में घुसते ही आतंकियों कर दी थी फायरिंग

आतंकियों ने एयरक्राफ्ट के अंदर घुसते ही फायरिंग शुरू कर दी और एयरक्राफ्ट को अपने कब्‍जे में ले लिया था। इससे वहां चारों तरफ अफरातफरी फैल गई थी। विमान के अंदर से लेकर एयर ट्रेफिक कंट्रोल और वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों में इसकी दहशत साफतौर पर देखी जा सकती थी। भनोट के साहस का इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब विमान के पायलट, सहायक पायलट और फ्लाइट इंजीनियर विमान छोड़कर भाग निकले थे उस वक्‍त नीरजा ने ही आतंकियों को समझाने की कोशिश की थी।

आतंकियों के निशाने पर थे अमेरिकी

आतंकी अमेरिकियों को तलाशकर उन्‍हें मार डालना चाहते थे। एक अमेरिकी को उन्‍होंने विमान के गेट पर ले जाकर गोली भी मार दी थी। इससे बचने के लिए नीरजा ने सभी अमेरिकियों के पासपोर्ट अपने पास रख लिए थे। इस विमान में करीब 44 अमेरिकी सवार थे जिनमें से दो को आतंकियों ने मार दिया था। लेकिन नीरजा आतंकियों का समय बीताकर वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों और सरकार को मौका देने की कोशिश कर रही थी। नीरजा ने इस दौरान वह सब किया जो उनके बस में था। मौका मिलते ही नीरजा ने विमान द्वार खोलकर यात्रियों को बाहर निकाल दिया। लेकिन इसी दौरान हुई गोलीबारी में उनकी मौत हो गई थी।

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