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    गीता गोपीनाथ का IMF से इस्तीफा, दोबारा हावर्ड विश्वविद्यालय लौटेंगी

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Tue, 22 Jul 2025 02:06 AM (IST)

    Gita Gopinath Resigns अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय लौटने की घोषणा की है। आईएमएफ ने उनके उत्तराधिकारी की घोषणा करने की बात कही है। गीता गोपीनाथ आईएमएफ की नंबर-2 की कुर्सी संभालने वाली पहली महिला थीं।

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    IMF की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दिया।(फोटो सोर्स: पीटीआई)

    रॉयटर्स, वॉशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने एलान किया कि वो दोबारा हावर्ड विश्वविद्यालय लौटना चाहती हैं। हालांकि, उन्होंने विस्तार से इस बात की जानकारी नहीं दी है कि उनकी हावर्ड विश्वविद्यालय में क्या भूमिका रहेगी।

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    आईएमएफ ने जानकारी दी कि उचित समय पर  गोपीनाथ के उत्तराधिकारी की घोषणा की जाएगी। आईएमएफ की नंबर-2 की कुर्सी संभालने वालीं गीता पहली महिला हैं। गीता गोपीनाथ पहली महिला हैं, जो आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट बनीं

    गीता गोपीनाथ ने DU से की अर्थशास्त्र की पढ़ाई  

    भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ का जन्म 8 दिसंबर 1971 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था। हालांकि, उनके माता-पिता केरल के कन्नूर से ताल्लुक रखते थे।

    उनकी शुरुआती पढ़ाई कर्नाटक के मैसूर स्थित निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से हुई। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वाद्धालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बीए ऑनर्स किया। इसके बाद उन्हें दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एमए किया। फिर वो अमेरिका चलीं गईं। वॉशिंगटन में उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से 1996-2001 में पीएचडी की।

    दुनिया को आर्थिक मंदी से बचाने में निभाया अहम किरदार

    कोरोना महामारी के दौरान दुनिया को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने में गीता ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने जानकारी दी कि कोरोना महामारी के दौर में वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में कैसे काम किया जाए।  

    उनके वर्क प्लान पर ही आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, डब्ल्यूटीओ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक साथ मिलकर मल्टीलेटरल टास्क फोर्स तैयार किया था, जिसके बाद वैक्सीन निर्माण से लेकर उसके डिस्ट्रीब्यूशन तक की समस्याएं दूर हुईं।

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