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    अमेरिका के नए 'ब्लू आइड बॉय' बनना चाहते हैं असीम मुनीर, ISI का 'डबल गेम' बेनकाब; अब क्या करेंगे ट्रंप?

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 10:00 PM (IST)

    पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की अमेरिका यात्रा द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने से ज्यादा वित्तीय मदद और राजनीतिक संरक्षण पाने की कोशिश है। आईएसआई द्वारा पोषित आतंकी नेटवर्क का इस्तेमाल कर वह अमेरिका के ब्लू आइड ब्यॉय बनने की कोशिश में हैं। पाकिस्तान की सेना ने अतीत में भी अमेरिका से मदद लेकर अपने विनाशक एजेंडे को आगे बढ़ाया है।

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    असीम मुनीर की अमेरिका यात्रा क्या पाकिस्तान फिर दोहराएगा धोखा (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर अमेरिका में हैं। जून के बाद यह उनकी दूसरी अमेरिका यात्रा है।

    उनकी इस यात्रा को पाकिस्तान और अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने के प्रयास के तौर पर कम और वित्तीय मदद हासिल करने, राजनीतिक संरक्षण और अमेरिका में नए सिरे से पाकिस्तानी सेना का प्रभाव बढ़ाने की मंशा के तौर पर देखा जा रहा है।

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    ग्लोबल ऑर्डर रिपोर्ट के मुताबिक, इन सबका दोहन पाकिस्तान का 'मिलिट्री इंडस्ट्रियल टेररिज्म काम्प्लेक्स' करेगा। आइए जानते हैं असीम मुनीर अपने जेहादी नेटवर्क के साथ किस तरह से अमेरिका के नए 'ब्लू आइड ब्यॉय' बनने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

    ISI ने पैदा किए तालिबान और अलकायदा

    पाकिस्तान की सेना ने शीत युद्ध के दौर से ही अमेरिका से पैसा, हथियार और राजनयिक संरक्षण हासिल किया है। उसने इन सबका इस्तेमाल पाकिस्तान की भलाई के लिए करने के बजाए अपने संकीर्ण और विनाशक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया।

    पिछली सदी के आठवें दशक में अफगानिस्तान में सोवियत संघ से लड़ने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को अरबों रुपये दिए। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इससे एक जेहादी नेटवर्क तैयार किया। आगे चलकर इस नेटवर्क से ही तालिबान और अलकायदा का जन्म हुआ।

    एक तरफ पाकिस्तान की सेना अमेरिकी वफादारी का दम भरती रही, दूसरी तरफ उसने ओसामा बिन लादेन को अपनी मिलिट्री एकेडमी से कुछ ही दूरी पर दुनिया से छिपा कर रखा।

    आतंक के खिलाफ लड़ाई में ISI का डबल गेम

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 में अमेरिका में आतंकी हमला हुआ और बुश प्रशासन ने आतंक के खिलाफ लड़ाई का एलान किया। अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख गैर नाटो सहयोगी का दर्जा दिया।

    इसके बावजूद तालिबान का नेतृत्व पाकिस्तान की जमीन से पूरी स्वतंत्रता के साथ अपना काम करता रहा। एक तरफ अमेरिका के सैनिक अफगानिस्तान में जान गंवा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान ने तालिबान के आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराई। पाकिस्तान का यह धोखा रणनीतिक था।

    आतंकी समूहों को रणनीतिक हथियार

    पाकिस्तान एक तरफ आतंकवाद से लड़ने का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामित आतंकी समूहों को समर्थन और संरक्षण दे रहा है। पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूह लगातार फल-फूल रहे हैं। यह दोनों संगठन भारत और अफगानिस्तान में आतंकी हमलों के लिए जाने जाते हैं।

    इसके अलावा यह पूरी दुनिया में आतंकी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं। ये संगठन पाकिस्तान सरकार के सुरक्षा कवर के तहत काम करते हैं, जो इनको अपने भू-राजनीतिक हितों के लिए आतंकी हमले करने का निर्देश देती है। पाकिस्तान का काउंटर टेररिज्म नरेटिव एक मुखौटा है जो यह सुनिश्चित करता है कि अमेरिकी मदद और हथियारों की सप्लाई जारी रहे।

    एक और डबल गेम की तैयारी

    यूएस सेंट्रल कमांड के साथ पाकिस्तान की बढ़ती करीबी पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है। खास तौर पर आईएसआई के धोखेबाजी के लंबे इतिहास को देखते हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस सेंट्रल कमांड की इंटेलिजेंस और प्लानिंग तक पाकिस्तान की पहुंच मध्य पूर्व में स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।

    पाकिस्तान की सेना के आतंकी समूहों के साथ मजबूत रिश्ते हैं और अमेरिका व उसके सहयोगी देशों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले संगठनों को संवेदनशील इंटेलिजेंस रिपोर्ट लीक करने का उसका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड भी है।

    यूएस सेंट्रल कमांड में पाकिस्तान की हालिया घुसपैठ खाड़ी देशों में उसके अभियानों को खतरे में डाल सकती है क्योंकि वह आतंकी समूहों को अमेरिकी रणनीति की जानकारी दे सकता है। इससे पहले से अस्थिर क्षेत्र में अमेरिका के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

    इतिहास खुद को दोहराने के करीब

    अगर अमेरिका एक बार फिर पाकिस्तान की सेना के खतरनाक मंसूबों को समझने में असफल रहता है, तो इससे न सिर्फ पाकिस्तान का दुस्साहस बढ़ेगा और मध्य पूर्व व दक्षिण एशिया में अस्थिरता पैदा होगी।

    आसिम मुनीर की दो माह में दूसरी अमेरिकी यात्रा को मित्रता मजबूत करने के संकेत के तौर पर नहीं बल्कि चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए। इतिहास खुद को दोहराने के करीब है और जब यह होगा तो धोखे का चक्र फिर से खुद को पूरा करेगा।

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