ये है फेसबुक का वाररूम जहां बाथरूम जाने के लिए ही सीट से उठते हैं कर्मी!
इस वार रूम की अपनी कई खासियत हैं। इसमें तैनात कर्मी दिन-रात अपने मॉनिटर पर सर्तक निगाहें जमाए रखते हैं।
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। सोशल मीडिया के जरिए चुनावों को प्रभावित करने की बात से एक तरफ जहां फेसबुक की काफी किरकिरी हुई वहीं कई देशों के नेता भी चर्चा का विषय बने रहे। चुनाव में सोशल मीडिया का उपयोग इस तरह से न हो इसके लिए फिलहाल सभी देशों की निगाह लगी है। भारत भी इस पर निगाह रखे हुए है। भारत में जहां आने वाले एक वर्ष के अंदर लोकसभा चुनाव होने हैं वहीं ब्राजील राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, लिहाजा सभी की नजर सोशल मीडिया पर टिकी है। आपको बता दें कि अमेरिकी चुनाव के दौरान यह बात सामने आई थी कि इन चुनावों को प्रभावित किया गया। बहरहाल, फेसबुक पर इसको लेकर कई तरह के आरोप लगे और फेसबुक ने इन आरोपों को स्वीकार भी किया। लेकिन अब फेसबुक इसको लेकर पूरी तरह से सतर्क है और उसने चुनावों में सोशल नेटवर्क के जरिये फर्जी खबरों को फैलने से रोकने के लिए वार रूम स्थापित किया है।
इस वार रूम की अपनी कई खासियत हैं। इसमें तैनात कर्मी दिन-रात अपने मॉनिटर पर सर्तक निगाहें जमाए रखते हैं। मुस्तैदी का आलम यह है कि वे सिर्फ बाथरूम जाने के लिए ही रूम से बाहर निकलते हैं, जबकि खाना वे अपने डेस्क पर ही खाते हैं। दो दिन पहले ही इसकी पहली झलक मीडिया के सामने आई थी। इस वार रूम में डाटा साइंटिस्ट के अलावा इंजीनियर्स की पूरी एक फौज निगाह रखती हैं। यहां पर मौजूद ये तमाम लोग सोशल मीडिया पर छाने वाली झूठी खबरों संदेशों पर 24 घंटे निगाह रखे हुए है। यहां पर आपको बता दें कि चुनाव प्रभावित करने वाली खबरों में फेसबुक का नाम आने पर जुकरबर्ग को भी शर्मसार होना पड़ा था। यही वजह है कि अब बड़े व्यापक स्तर पर इससे बचने की कवायद फेसबुक ने शुरू की है।
यह वाररूम को फेसबुक के कैलिफोर्निया स्थित मुख्यालय मेनलो पार्क में बनाया गया है। इसमें मौजूद करीब दो दर्जन कर्मी अपने मॉनिटर पर सर्तक निगाहें जमाए रखते हैं। जबकि विशाल डैशबोर्ड पर डाटा दिखाई देता रहता है। कमरे की दीवारों पर कर्मियों को सावधानी बरतने के लिए प्रेरित करने वाले पोस्टर लगे हैं। ऐसे ही एक पोस्टर पर लिखा है, ‘फेसबुक पर कुछ भी किसी और की समस्या नहीं है।'
इसके कर्मी फिलहाल ब्राजील और अमेरिका के चुनावों पर नजरें टिकाए हुए हैं। रूम में इन दोनों देशों के झंडे लगे हैं। घड़ियां भी इन दोनों देशों का समय बता रही हैं। वार रूम फेसबुक में जारी सुधार का प्रमुख हिस्सा है। यहां मौजूद 20 से अधिक टीमें 20 हजार से ज्यादा लोगों के प्रयासों का समन्वय करती हैं। ये सभी फर्जी अकाउंट व झूठी खबरों को रोकने के लिए काम करते हैं। इसमें मदद के लिए फेसबुक ने तथ्यों की जांच करने वालों को भी रखा है। आपको बता दें कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर करीब 1.3 अरब फर्जी अकाउंट होने का अनुमान है।
सोशल मीडिया की व्यापकता और इससे फर्जी सूचनाओं के फैलाव की रफ्तार को देखते हुए जानकार आगाह कर चुके हैं कि इसके जरिये चुनावों को प्रभावित किया जा सकता है। उनका मानना है कि ऐसा होना लोकतंत्र के लिए खतरा है। लिहाजा फेसबुक की यह कवायद फिलहाल 28 अक्टूबर को ब्राजील में होने वाली राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे दौर के मतदान और 6 नवंबर को अमेरिका में मध्यावधि चुनाव को ध्यान में रखकर की गई है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि 2014 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की हैरतअंगेज जीत के कुछ दिन बाद फेसबुक द्वारा चुनाव प्रभावित करने की बात सामने आई थी जिसको जुकरबर्ग ने नजरअंदाज कर दिया था। उस वक्त कहा गया था कि फेक न्यूज के जरिये ट्रंप के पक्ष में हवा बनाई गई और चुनाव को प्रभावित किया गया था। उस वक्त जुकरबर्ग ने इन बातों को पागलप कहकर खारिज कर दिया था। उनके इस रवैये की काफी आलोचना हुई थी। उस समय यह बात सामने आई कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर रूसी एजेंटों द्वारा कथित फर्जी सूचनाओं को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन चलाए गए।
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