शांतिनिकेतन को मानने होंगे UNESCO के कड़े नियम, भवनों से लेकर पेड़-पौधों को उसके मूल स्वरूप में रखना अनिवार्य
विश्व विरासती स्थल का तमगा पाने वाले शांतिनिकेतन को अब यूनेस्को के कई नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। शांतिनिकेतन को विश्व विरासती स्थलों की सूची में शामिल कराने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मनीष चक्रवर्ती ने बताया कि यूनेस्को के नियमों के अनुसार शांतिनिकेतन के दायरे में आने वाले भवनों से लेकर पेड़-पौधों और जलाशयों तक को उसके मूल स्वरूप में रखना होगा।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। विश्व विरासती स्थल का तमगा पाने वाले शांतिनिकेतन को अब यूनेस्को के कई नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। यूनेस्को ने शांतिनिकेतन के मूल स्वरूप को कायम रखने की सख्त हिदायत दी है।
शांतिनिकेतन को मानने होंगे यूनेस्को के नियम
शांतिनिकेतन को विश्व विरासती स्थलों की सूची में शामिल कराने के लिए दो दशक तक चली मुहिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मनीष चक्रवर्ती ने बताया कि यूनेस्को के नियमों के अनुसार शांतिनिकेतन के दायरे में आने वाले भवनों से लेकर पेड़-पौधों और जलाशयों तक को उसके मूल स्वरूप में रखना होगा।
कई सारे नियमों का करना होगा पालन
इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकेगा। नए सिरे से कोई निर्माण भी नहीं हो पाएगा। यहीं नहीं, शांतिनिकेतन में अब से किसी भी अनुष्ठान का पहले की तरह आयोजन नहीं किया जा सकेगा। इसे लेकर भी बहुत सारे नियम हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। पर्यावरण का भी विशेष रूप से ध्यान रखने को कहा गया है। इसके लिए वाहनों को नियंत्रित करने का निर्देश दिया गया है।
किन स्थानों को किया गया है शामिल
उल्लेखनीय है कि शांतिनिकेतन की जिन जगहों को विश्व विरासती स्थल में शामिल किया गया है, उनमें आश्रम भवन, कला भवन, संगीत भवन, उत्तरायण, उपासना गृह व छातिमतला शामिल हैं। उत्तरायण में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का निवास स्थल है।
यूनेस्को ने शांतिनिकेतन की कुल 537.37 एकड़ जगह को विश्व विरासती स्थल में शामिल किया है। शांतिनिकेतन के छात्रावास व खेल के मैदान को इससे बाहर रखा गया है। वहां आने वाले समय में जरुरत पड़ने पर नए निर्माण किए जा सकते हैं। हालांकि, उसके लिए विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रबंधन को नई कमेटी का गठन करना पड़ सकता है। नए निर्माण की स्थापत्य कला यहां के विरासती महत्व के अनुरूप होनी चाहिए।
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