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    'गिराने से बेहतर है मरम्मत करा दें...', सत्यजीत रे के घर को तोड़ने के फैसले पर भारत ने बांग्लादेश से क्या कहा?

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 10:53 PM (IST)

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में सत्यजित राय के पैतृक घर को तोड़े जाने पर चिंता जताई है। उन्होंने इसे बंगाली संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए बांग्लादेश सरकार से विरासत की रक्षा करने की अपील की है। ममता बनर्जी ने भारत सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। यह घर 2007 से उपयोग में नहीं था।

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    बांग्लादेश में सत्यजित राय के पैतृक घर को तोड़े जाने पर ममता ने चिंता व्यक्त की। )फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बांग्लादेश के मैमनसिंह में मशहूर फिल्म निर्माता सत्यजित राय के पैतृक घर को तोड़े जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चिंता व्यक्त की है।

    मुख्यमंत्री ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट में लिखा कि राय परिवार बंगाली संस्कृति के रखवालों और वाहकों में से एक है। सत्यजित राय के दादा साहित्यकार उपेंद्र किशोर रायचौधरी बंगाली पुनर्जागरण के एक स्तंभ थे। इसलिए मुझे लगता है कि यह घर बंगाल के सांस्कृतिक इतिहास से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।

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    उन्होंने लिखा कि मैं बांग्लादेश सरकार और उस देश के सभी नेकदिल लोगों से इस विरासत घर की रक्षा करने की अपील करूंगी। भारत सरकार को इस मामले को देखना चाहिए।

    2007 से नहीं हुआ था इस घर का उपयोग

    प्रकाशित खबर में दावा किया गया है कि जिला मुख्यालय में हरिकिशोर राय रोड पर पुराने घर का इस्तेमाल मयमनसिंह शिशु अकादमी के रूप में किया गया था। 2007 से इस घर का उपयोग नहीं किया गया है।

    कैसे छिड़ा विवाद?

    शिशु अकादमी परित्यक्त घर को ध्वस्त करने और एक बहुमंजिला इमारत बनाने की योजना पर काम शुरू कर रही है। इससे विवाद छिड़ गया है। शिशु अकादमी ने 1989 में तत्कालीन सैन्य शासक हुसैन मोहम्मद इरशाद के समय में इमारत का उपयोग शुरू किया था।

    'विध्वंस पर पुनर्विचार होना चाहिए'

    बता दें कि ढाका के होरिकिशोर रे चौधरी रोड स्थित यह सौ साल पुरानी संपत्ति रे के दादा, प्रसिद्ध साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी की थी। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बांग्लादेश में इस संपत्ति की ऐतिहासिक स्थिति और बंगाल के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का हवाला देते हुए भारत सरकार ने अहम टिप्पणी की है।

    भारत सरकार की ओर से इस संबंध में कहा गया है कि यह बेहतर होगा कि इस विध्वंस पर पुनर्विचार किया जाए और इसे साहित्य संग्रहालय और भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति के प्रतीक के रूप में मरम्मत और पुनर्निर्माण के विकल्पों पर विचार किया जाए।

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