बहू की हत्या में दोषी ससुर, भसूर और गोतनी आजीवन कारावास की सजा से बरी, कलकत्ता हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला
कलकत्ता हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए विवाहिता की हत्या के दोषी ससुर भसूर व गोतनी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। पहले निचली अदालत ने तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि साक्ष्यों की कमी के कारण निचली अदालत का फैसला सही नहीं है और जुर्माने की राशि वापस की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए विवाहिता की हत्या के दोषी ससुर, भसूर व गोतनी को आजीवन कारावास की सजा से बरी कर दिया है। निचली अदालत ने तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। छह साल बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस फैसले को बदल दिया।
न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति प्रसेनजीत बिस्वास की खंडपीठ ने तीनों को जेल से रिहा करने का आदेश दिया। खंडपीठ ने कहा कि सुबूतों के अभाव में इस मामले में निचली अदालत का फैसला बरकरार नहीं रखा जा सकता। हाई कोर्ट ने सुबूतों के अभाव में निचली अदालत के फैसले को दोषपूर्ण माना। खंडपीठ ने आदेश दिया कि निचली अदालत के फैसले के अनुसार तीनों को जमा की गई जुर्माने की राशि भी वापस मिलेगी।
शादी के बाद से ही टुम्पा को किया गया प्रताड़ित
अदालत के अनुसार, बांकुड़ा के पत्रासयार निवासी टुम्पा मल्लिक का विवाह गणेश मल्लिक नाम के व्यक्ति से हुआ था। टुम्पा के पिता ने आरोप लगाया कि उसके ससुर मदन मल्लिक, भसूर तपन मल्लिक और उसकी पत्नी रानू मल्लिक शादी के बाद से ही टुम्पा को प्रताड़ित करते थे। छह जुलाई 2009 को टुम्पा की पिटाई की गई थी। बाद में टुम्पा के पिता को खबर मिली कि उनकी बेटी को जली हुई हालत में बांकुड़ा मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है।
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद टुम्पा अपने माता-पिता के साथ रह रही थी। उस समय वह फिर से बीमार पड़ गई और 14 सितंबर 2009 को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 24 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने इस घटना में मृतका के ससुर, भसूर व गोतनी को गिरफ्तार कर हत्या का मामला दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की। बिष्णुपुर कोर्ट ने 2019 में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
हाई कोर्ट में दोषियों के वकील मैनाक बख्शी ने कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद टुम्पा की मौत जलने के घाव से हुए संक्रमण के कारण हुई। अस्पताल में पहली बार भर्ती होने के बाद पुलिस ने उसके बयान को मृत्यु के दौरान दिया गया बयान बताया था। जबकि दूसरी बार अस्पताल में भर्ती होने और 10 दिनों तक जीवित रहने के बावजूद मृतका का बयान नहीं लिया गया था।
वह बयान पुलिस या मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि टुम्पा की मां ने सिखाया था कि बयान में क्या कहना है। इसके अलावा टुम्पा का बयान गवाहों के बयान से मेल नहीं खा रहा था।
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