गंगासागर में आज लाखों तीर्थयात्री लगाएंगे पुण्य की डुबकी, सुरक्षा के कड़े इंतजाम; नौसेना और NDRF की टीमें तैनात
आज यानी मकर संक्रांति पर गंगासागर में लाखों श्रद्धालु पुण्य डुबकी लगाएंगे। वहीं पिछले 13 दिनों में लगभग 55 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। गंगासागर तट पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगाह रखी जा रही है। कई राज्यों से गोदान करने बड़ी संख्या में पंडित पहुंच चुके हैं। सोमवार को गंगासागर में दो और तीर्थयात्रियों की मौत हुई है।

जागरण संवाददाता, गंगासागर। मकर संक्रांति पर गंगा व सागर के पावन मिलन स्थल पर लाखों तीर्थयात्री मोक्ष प्राप्ति की कामना के लिए मंगलवार को पुण्य की डुबकी लगाएंगे। गंगासागर मेले के आयोजन का दायित्व प्राप्त बंगाल के खेल मंत्री अरूप बिश्वास ने प्रयागराज में कुंभ मेला चलने के बावजूद यहां रिकॉर्ड भीड़ होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि एक जनवरी से 13 जनवरी की शाम पांच बजे तक 55 लाख लोग पुण्य स्नान कर लौट चुके हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
मंत्री ने कहा कि मंगलवार व बुधवार को यहां भीड़ का नया रिकॉर्ड बनेगा। पुण्य स्नान के लिए गंगासागर तट पर सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं। सागर की लहरों पर नौसेना, तटरक्षी बल और एनडीआरएफ की टीमें मुस्तैद हैं। आसमान से ड्रोन से नजर रखी जा रही है। गंगासागर में 1,150 क्लोज सर्किट टीवी कैमरे लगाए गए हैं। गंगासागर के कपिल मुनि मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

गंगासागर पहुंचे सैकड़ों के पंडित
मकर संक्रांति पर वहां विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड व उत्तर प्रदेश से गोदान कराने सैकड़ों पंडित गंगासागर पहुंच चुके हैं। मान्यता है कि गंगासागर में मकर संक्रांति पर पुण्य स्नान के बाद गोदान करने से मृत्यु के बाद वैतरणी आसानी से पार हो जाती है।
दो और तीर्थयात्रियों की मौत
गंगासागर में सोमवार को दो और तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। दोनों मौतें स्वाभाविक बताई गई हैं। मृतकों के नाम देव व राजेश्वर हैं। देव हरियाणा और राजेश्वर उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। इसके पहले रविवार को उत्तर प्रदेश के अवधेश तिवारी नामक तीर्थयात्री की मौत हुई थी।
गंगासागर में 16 साल से पश्चाताप कर रहीं बांग्लादेश की महिला डॉक्टर
बांग्लादेश की एक महिला डॉक्टर गंगासागर में पिछले 16 वर्षों से 'पश्चाताप' कर रही हैं। वह यहां संन्यासिनी जीवन जी रही हैं। दिनभर मंदिरों में पूजा-अर्चना करती हैं। उनके रहने का कोई ठिकाना नहीं है। जहां जगह मिलती है, वहीं सिर छिपा लेती हैं। कभी मंदिर परिसर तो कभी श्मशान में। खाने को जो मिल जाता है, गुजारा कर लेती हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती हैं।
लापता लोगों का पता लगाने वाले संगठन हैम रेडियो, वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग बिश्वास ने बताया कि हमारे ऑपरेटर को डेढ़ साल पहले उनके बारे में जानकारी मिली। उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उनके बांग्लादेशी होने का आभास मिला। इसके बाद हमने ढाका स्थित अमेचर रेडियो एसोसिएशन ऑफ बांग्लादेश के सचिव अनूप भौमिक से संपर्क किया।
इस वज से कर रहीं पश्चाताप
तीन-चार महीने के प्रयास के बाद पता चला कि उनका नाम अर्चना गोलदार है। वह बांग्लादेश के खुलना इलाके की रहने वाली हैं और डाक्टर हैं। 16 साल पहले वह अचानक लापता हो गई थीं। अंबरीश के मुताबिक उनके पति लंकेश्वर गोलदार से संपर्क करने पर पता चला कि अर्चना बीमार बेटी का इलाज कर रही थीं। गलत दवा के प्रयोग से उसकी मौत हो गई थी, जिससे वह सदमे में आ गईं और घर छोड़ गईं।

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