'इस उम्र में कौन अपना जन्मस्थान छोड़ता है, मगर अब बांग्लादेश सुरक्षित नहीं', भागकर भारत पहुंचे बुजुर्ग का छलका दर्द
Bangladesh News बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा जारी है। भारत सरकार ने भी वहां की अंतरिम सरकार से हिंसा पर अंकुश लगाने की अपील की। मगर इस बीच अत्याचार से पीड़ित कई हिंदू भारत आने लगे हैं। पश्चिम बंगाल पहुंचे बांग्लादेश हिंदू अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं। उनका कहना है कि बांग्लादेश के हालत काफी भयावाह हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बांग्लादेश से भागकर पेट्रापोल सीमा से होकर बंगाल आ रहे वहां के हिंदू अल्पसंख्यक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें यहां 'शरणार्थी' बनकर रह जाने का डर सता रहा है। बांग्लादेश के गोपालगंज से आए एक वृद्ध ने कहा कि इस उम्र में कौन अपने जन्मस्थान को छोड़कर दूसरे देश में शरणार्थी बनकर रहना चाहेगा लेकिन कोई उपाय नहीं है। बांग्लादेश अब हिंदू अल्पसंख्यकों के रहने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं रह गया है।
घर जमीन छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं
वहीं बड़िशाल से भागकर यहां अपने रिश्तेदार के घर आए आनंद बाला नामक व्यक्ति ने कहा कि मैंने अपनी आंखों के सामने सन् 1971 में जिस देश का निर्माण होते देखा था, उसकी इतनी भयावह हालत हो जाएगी, यह सपने में भी नहीं सोचा था। बांग्लादेश में हिंदू शरणार्थियों के रहने लायक स्थिति नहीं है। घर-जमीन छोड़कर यहां आने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। पुलिस-प्रशासन कोई मदद नहीं कर रहा है। बाला ने आगे कहा कि ऐसी परिस्थितियां अचानक से उत्पन्न नहीं हुई हैं। लंबे समय से इसकी साजिश रची जा रही थी।
चुनाव बाद और बढ़ेगा अत्याचार
वहीं मणिरामपुर से पेट्रोपोल सीमा पहुंचे एक व्यक्ति ने कहा कि बांग्लादेश में आने वाले समय में चुनाव होने की संभावना है। चुनाव के बाद हमारे ऊपर अत्याचार और बढ़ेगा। मीडिया में जो दिख रहा है, वहां इससे कहीं ज्यादा अत्याचार हो रहा है। वहीं भारत में इलाज करवाकर बांग्लादेश लौट रहे सलमान हुसैन नामक व्यक्ति ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की मदद से भारत के बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है। हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच मधुर संबंध कायम रहे।
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