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    Ganga Sagar Mela 2025: 'सब तीरथ एक बार, गंगासागर बार-बार', एक सेतु कैसे बदल देगा गंगासागर का सूरत-ए-हाल

    Updated: Wed, 15 Jan 2025 11:30 PM (IST)

    बंगाल सरकार ने अपने पिछले राज्य बजट में मूड़ी गंगा नदी पर सेतु के निर्माण की घोषणा कर दी है। सेतु बन जाने पर गंगासागर मेनलैंड से जुड़ जाएगा। फिर गंगासागर तीर्थ अभी जितना कठिन व दुर्गम नहीं रह जाएगा और तब शायद सब यह कहने लगेंगे-सब तीरथ एक बार गंगासागर बार-बार। सेतु के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों में भारी उत्साह दिख रहा है।

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    बंगाल सरकार ने गंगा नदी पर सेतु के निर्माण की घोषणा कर दी।(फोटो सोर्स: जागरण)

    विशाल श्रेष्ठ, जागरण। सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार। सदियों पुराना यह नारा अगले कुछ वर्षों में बदल जाएगा। देश-दुनिया के तीर्थयात्रियों व गंगासागर के लोगों की दीर्घकालीन मांग पूरी होने जा रही है। बंगाल सरकार ने अपने पिछले राज्य बजट में मूड़ी गंगा नदी पर सेतु के निर्माण की घोषणा कर दी है।

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    सेतु बन जाने पर गंगासागर मेनलैंड से जुड़ जाएगा। फिर गंगासागर तीर्थ अभी जितना कठिन व दुर्गम नहीं रह जाएगा और तब शायद सब यह कहने लगेंगे-सब तीरथ एक बार, गंगासागर बार-बार। सेतु के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों व मकर संक्रांति पर पुण्य स्नान करने यहां आए तीर्थयात्रियों में भारी उत्साह दिख रहा है।

    सेतु बन जाने से लोगों को ज्वार भाटा पर नहीं रहना होगा निर्भर 

    अयोध्या से पहुंचे राम लखन यादव ने कहा-'मैं तीसरी बार यहां आया हूं। हर बार काफी परेशानी झेलनी पड़ी है। नदी में भाटा पड़ जाने के कारण चार घंटे स्टीमर सेवा बंद थी इसलिए उस पार इंतजार करना पड़ा। सेतु बन जाने पर हमें ज्वार-भाटा पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।'

    पटना से पहुंचे गौतम भारद्वाज ने कहा,"मकर संक्रांति पर लाखों तीर्थयात्री यहां आते हैं। आप जितने भी स्टीमर चला लें, कम ही पड़ेंगे। हमें खुशी है कि सेतु बनने जा रहा है। इससे हमारे जैसे लाखों तीर्थयात्रियों को बहुत सुविधाहोगी।"

    मेडिकल इमरजेंसी हो जाने के बाद नदी पार करना मुश्किल: उत्तम मुनियान

    गंगासागर के मृत्युंजय नगर इलाके के रहने वाले उत्तम मुनियान ने कहा-'यह हमारे लिए मनचाही इच्छा पूरी होने जैसी है। मूड़ी गंगा पर सेतु नहीं होने से कितनी परेशानी झेलनी पड़ती है, यह हम ही जानते हैं। रात नौ बजे के बाद स्टीमर सेवा बंद हो जाती है। उसके बाद मेडिकल इमरजेंसी हो जाने पर नदी पार करना मुश्किल हो जाता है। जिन लोगों को ट्रेन पकड़नी होती है, उन्हें घंटों पहले घर से निकलना पड़ता है क्योंकि नदी में भाटा आने पर स्टीमर सेवा कई घंटे बंद रहती है।'

    गंगासागर के रूद्रनगर इलाके के रहने वाले पेशे से व्यवसायी शंकर दास ने कहा-'सेतु बन जाने पर यहां सालभर तीर्थयात्री आएंगे। व्यवसाय के लिए नई राहें खुलेंगी। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।'

    मालूम हो कि गंगासागर के लोग मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं।यहां मुख्य रूप से धान व पान की खेती होती है। मत्स्य पालन भी होता है। कुछ कुटीर उद्योग भी हैं। बाकी लोग कामकाज करने रोजाना नदी पार करके डायमंड हार्बर व काकद्वीप जाते हैं।

    गृहिणी प्रतिमा मुनियान ने कहा-' सेतु बन जाने से हमारे बच्चों का भविष्य संवरेगा। गंगासागर में अच्छे शिक्षा प्रतिष्ठान नहीं हैं।हमारे बच्चों को रोजाना नदी पार करके पढ़ने जाना पड़ता है। सेतु बन जाने से आने-जाने में काफी सुविधा होगी।'

    जेट युग में भी मुश्किल गंगासागर तीर्थ

    मकर संक्रांति पर गंगासागर आना इस जेट युग में भी बेहद मुश्किल है। गंगासागर, जो सागरद्वीप के नाम से भी जाना जाता है, चारों ओर से पानी से घिरा द्वीप है। यहां आने के लिए विशाल मूड़ी गंगा पार करनी ही पड़ेगी। स्टीमर से 11 किलोमीटर लंबे नदी मार्ग को तय करने में 40-50 मिनट लग जाते हैं।

    मकर संक्रांति के समय तीर्थयात्री सड़क, रेल अथवा हवाई मार्ग से मुड़ीगंगा के उस पार काकद्वीप के लाट नंबर-8 तक तो आसानी से पहुंच जाते हैं लेकिन उनकी 'असली तीर्थ यात्रा' उसके बाद शुरू होती है। नदी में भाटा पड़ जाने अथवा घने कोहरे के कारण उन्हें घंटों किनारे कतार में खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। कोई अगर हवाई मार्ग से गंगासागर आना चाहे भी तो संभव नहीं है क्योंकि इतना बड़ा तीर्थस्थल होने के बावजूद यहां कभी हवाई अड्डे के निर्माण की परिकल्पना नहीं की गई। एक हेलीपैड जरूर है, जहां केवल मंत्रियों व उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के हेलीकाप्टर लैंड करते हैं।

    लंबे समय तक सरकारी उपेक्षा का शिकार

    न तो केंद्र और न ही बंगाल में पूर्व की सरकारों ने गंगासागर में आधारभूत संरचना विकसित करने पर ज्यादा ध्यान दिया, हालांकि ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद स्थिति में सुधार हुआ लेकिन सेतु नहीं होने के कारण यहां आना अब भी मुश्किल बना हुआ है। सेतु को लेकर केंद्र व बंगाल सरकार में आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा है। पिछले साल राज्य सरकार ने अपने फंड से सेतु के निर्माण की घोषणा कर दी है।

    इस तरह का होगा सेतु

    लाट नंबर-8 और गंगासागर के कचुबेरिया के बीच 3.5 किलोमीटर लंबे सेतु का निर्माण किया जाएगा। चार लेन वाले इस सेतु के निर्माण पर 1,500 करोड़ की लागत आएगी। अगले चार वर्षों में सेतु का निर्माण कार्य पूरा हो जाने की उम्मीद है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जमा पड़ चुकी है।निविदा की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। बताया जा रहा है कि गंगासागर मेले के संपन्न होने के बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

    मुड़ीगंगा की क्यों है ऐसी हालत

    मुड़ी गंगा हुगली नदी की एक धारा है, जो पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती है। यह सागर जैसी दिखती है। ऐसी नदी, जिसके दोनों किनारे नजर नहीं आते। ऊपर से पानी से लबालब, लेकिन अंदर से खाली। दरअसल इस नदी में गहराई ही नहीं है। भाटे के समय इसमें 10 फुट पानी भी नहीं रह जाता, जिसके कारण कई घंटे स्टीमर नहीं चल पाते। कई बार स्टीमर बीच नदी में फंसे रह जाते हैं। यात्री बेबस होकर ज्वार आने का इंतजार करते हैं। तीन-चार घंटे बाद पानी के बढ़ने पर आगे की यात्रा हो पाती है। यह आलम आज से नहीं है। दशकों से मूड़ी गंगा गहराई के लिए तरस रही है।

    बंगाल सरकार और दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन मूड़ी गंगा से गाद निकालने (ड्रेजिंग) को लेकर जितने भी बड़े-बड़े दावे क्यों न करे, समस्या का निवारण नहीं हुआ है बल्कि यह गुजरते वक्त के साथ गंभीर रूप लेती गई है।

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