Move to Jagran APP

इलाज के लिए सरकारी दर मानो ऊंट के मुंह में जीरा

-नर्सिग होम को मोटी कमाई की बन चुकी है आदत -कम पैसा मिलता देख ही इलाज से कर रहे इंक

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 06:42 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 06:42 PM (IST)
इलाज के लिए सरकारी दर मानो ऊंट के मुंह में जीरा

-नर्सिग होम को मोटी कमाई की बन चुकी है आदत

loksabha election banner

-कम पैसा मिलता देख ही इलाज से कर रहे इंकार

-जिस ऑपरेशन का बिल निजी अस्पताल वाले लाखों में वसूलते हैं उसका दर सरकार द्वारा हजारों में किया गया है

-प्रशासन के दबाव में निजी नर्सिग होम योजना में शामिल तो होते हैं,लेकिन मरीजों को भर्ती करने में टाल-मटोल

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : राज्य सरकार द्वारा लागू स्वास्थ्य साथी कार्ड हो अथवा निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए इएसआइ योजना,इसकी सुविधा लेने में काफी परेशानी होती है। हर जगह मरीजों व उनके परिजनों को इलाज कराने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर सरकारों द्वारा इसे अपने-अपने तरीके से भुनाया जाता है। भुनाएंगे भी क्यों नहीं। चुनावों में जनता को लुभाने का इससे बड़ा अवसर भला क्या होगा। ऐसा ही मामला राज्य की महत्वाकांक्षी योजना स्वास्थ्य साथी कार्ड में देखने को मिल रहा है। यह हकीकत से कोसों दूर मरीजों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार लोगों को मुफ्त में चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराने के के लिए स्वास्थ्य साथी नामक एक महत्वाकांक्षी योजना लेकर आई है। इस कार्ड के बनाने के लिए जोर-शोर से अभियान भी चल रहा है,लेकिन इसके लाभ को लेकर लोगों के मन में काफी संदेह है। 'दुआरे-दुआरे' अभियान के माध्यम से काफी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य साथी कार्ड मिल गया है। अभी भी कार्ड देने की प्रक्रिया चल ही रही। हालांकि कार्ड मिलना बड़ी बात नहीं है। इस योजना का सही ढंग से क्रियान्वयन करना बड़ी बात है। पिछले अंक में हमने मरीजों की परेशानियों को प्रमुखता से प्रकाशित किया। यह बताया कि कैसे निजी अस्पताल प्रबंधन के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण स्वास्थ्य साथी कार्ड होते हुए भी मरीज दम तोड़ रहे हैं।

आखिर निजी अस्पताल प्रबंधन वाले स्वास्थ्य साथी कार्ड धारक मरीजों को भर्ती करने में आना-कानी क्यों करते हैं, इसकी हमने पता करने की कोशिश की। उसके बाद पता चला कि सरकार जिस दर पर निजी नर्सिग होम में स्वास्थ्य साथी कार्ड के तहत इलाज कराना चाहती है,वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। कम दर के कारण ही बात नहीं बन रही है। जब इस बारे में पड़ताल की गई तो मालूम चला कि अगर निजी नर्सिग होम वाले प्रशासन सरकार द्वारा निर्धारित दर पर स्वास्थ्य साथी कार्ड धारक मरीजों का इलाज करने लगें तो उनकी मोटी कमाई बंद हो जाएगी।

निजी अस्पतालों के विश्वसनीय सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य साथी योजना के तहत ओपेन हॉर्ट सर्जरी की कीमत सरकार द्वारा 80 हजार रुपये निर्धारित की गई है। जबकि निजी अस्पताल वाले ओपेन हॉर्ट सर्जरी के लिए मरीजों से दो से तीन लाख रुपये वसूलते हैं। इसी तरह से घुटना प्रत्यारोपण के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने इस योजना में 85 हजार रुपये निर्धारित की है। जबकि निजी अस्पताल वाले बिना किसी स्कीम में तीन से चार लाख रुपये का बिल ठोंक देते है। गॉल ब्लाडर समेत अन्य सामान्य ऑपरेशन का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य साथी कार्ड योजना के तहत 19500 रुपये निर्धारित की गई है। जबकि निजी अस्पतालों में इसका बिल 50 हजार रुपये ज्यादा वसूला जाता है। ऐसे कुछ निजी अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य साथी योजना में इलाज के लिए निर्धारित दर में कम से कम 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा हो तो बात बन जाए। राज्य सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।

सरकारी दबाव में भरते हैं हामी

बताया गया कि सरकार के दबाव में नर्सिग होम वाले स्वास्थ्य साथी योजना में अपने अस्पताल को शामिल तो कर देते हैं, लेकिन जब आपातकालीन स्थिति में मरीज को भर्ती करने की बात आती है तो बहानेबाजी शुरू हो जाती है। किसी न किसी तरह का बहाना बनाकर मरीजों को भर्ती करने से मना कर देते हैं।

पहले ही होनी चाहिए थी बैठक

निजी अस्पताल से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि किसी सरकारी स्वास्थ्य योजना में शामिल करने से पहले सरकार व नर्सिग होम प्रबंधन के बीच बैठक होनी चाहिए। उसके बाद एक वास्तविक रेट निर्धारित किया जाना चाहिए। जिससे आगे चलकर मरीजों की चिकित्सा हो सके और किसी मरीज को चिकित्सा के आभाव में अपनी जान ना गंवानी पड़े।

----------------

स्वास्थ्य साथी के लिए सरकारी दर

1.ओपन हार्ट सर्जरी-80000

2.घुटना प्रत्यारोपण-85000

3.सामान्य सर्जरी-19500

---------------

जब स्वास्थ्य साथी कार्ड की संख्या बढ़ रही है तो अधिक से अधिक अस्पतालों को भी इस योजना में शामिल किया जा रहा है। इस योजना का लाभ पाने से मरीज वंचित ना हों, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

-गौतम देव,पर्यटन मंत्री


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.