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भैरबी-सैराग परियोजना पर काम तेज गति से

-समय पर काम पूरा करने लक्ष्यमिजोरम की राजधानी को महत्वपूर्ण रेल कनेक्टिविटी मिलेगी जागरण संवाद

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 07:03 PM (IST)
भैरबी-सैराग परियोजना पर काम तेज गति से

-समय पर काम पूरा करने लक्ष्य,मिजोरम की राजधानी को महत्वपूर्ण रेल कनेक्टिविटी मिलेगी जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी:पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियों को बड़ी रेल लाइन से जोड़ने की रेल मंत्रालय की योजना के अनुरूप पूर्वोत्तर सीमा रेलवे मिजोरम में भैरवी - सैराग नयी रेलवे लाइन परियोजना को निष्पादित कर रहा है। बेहतर रेल कनेक्टिविटी न केवल मिजोरम के लोगों के लिए बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आíथक विकास का वाहक बनेगा। राज्य के व्यापारी बहुत सस्ते और प्रभावी लागत पर पर्यावरण के अनुकूल तरीके से दैनिक उपभोग की वस्तुओं और निर्माण सामग्री को लाने में सक्षम होंगें। राज्य के किसान अपने उत्पाद को विभिन्न राज्यों के व्यापक बाजार में सस्ते दर और समयबद्ध तरीके से भेजने में सक्षम होंगे।

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भैरबी - सैराग नयी रेलवे लाइन परियोजना को वर्ष 2008-09 में मंजूरी दी गयी थी। पूरी परियोजना की लंबाई 51.38 किमी. और इसकी अनुमानित लागत रु. 5521.45 करोड़ हैं। पिछले वर्ष तक इस परियोजना के निष्पादन में 3763.63 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस पूरी परियोजना में 55 बड़े और 87 छोटे पुल होंगे। परियोजना में 5 सड़क उपरिपुल और 6 सड़क अधोपुल भी होंगे। पूरी परियोजना में कई सुरंगों के निर्माण भी शामिल हैं। कुल 12639.20 मीटर (अनुमानित) सुरंग कार्य भी इस परियोजना में किये जाएंगे। इस परियोजना के निर्माण के लिए 487.47 हेक्टेयर (अनुमानित) भूमि अधिग्रहण और 347.89 लाख क्यूविक मीटर मिट्टी कार्य किया गया है। इस परियोजना में भैरबी के बाद होर्टोकी, कवनपुई, मौलखाग और सैराग नामक चार स्टेशन होंगे। सैराग स्टेशन से मिजोरम की राजधानी आइजोल ज्यादा दूर नहीं है।

हाल में 2021-22 के लिए प्रस्तुत किये गये बजट में भैरबी - सैराग परियोजना की अनवरत प्रगति के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। गत वर्ष (2020-21) के लिए भी 475 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। आवंटन की इस राशि के साथ रेल मंत्रालय इस परियोजना को मार्च 2023 तक पूरा करना चाहता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रस्तावित सभी रेल कनेक्टिविटी परियोजनाओं का पूरा होना पूर्वोत्तर क्षेत्र के व्यापक विकास के लिए भारत सरकार की पॉलिसी के अनुरूप बेहतर परिवहन के जरिये परिवर्तन की ओर अग्रसर करेगा।


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