Move to Jagran APP

गंगोत्री धाम में कीजिए हिमालय के विराट दर्शन, पढ़िए पूरी खबर

हिमालय के प्रसिद्ध फोटोग्राफर एवं संन्यासी स्वामी सुंदरानंद (93) का हिमालय में आर्ट गैलरी एवं योग-ध्यान केंद्र स्थापित करने का सपना साकार हो चुका है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 08:52 PM (IST)
गंगोत्री धाम में कीजिए हिमालय के विराट दर्शन, पढ़िए पूरी खबर
गंगोत्री धाम में कीजिए हिमालय के विराट दर्शन, पढ़िए पूरी खबर

उत्‍तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। हिमालय के प्रसिद्ध फोटोग्राफर एवं संन्यासी स्वामी सुंदरानंद (93) का हिमालय में आर्ट गैलरी एवं योग-ध्यान केंद्र स्थापित करने का सपना साकार हो चुका है। गंगोत्री धाम में तैयार इस आर्ट गैलरी का नाम 'तपोवन हिरण्यगर्भ' (हिमालय तीर्थ) रखा गया है, जिसका आज विधिवत रूप से लोकार्पण होगा।

loksabha election banner

गंगोत्री में स्थापित इस पांच मंजिला आर्ट गैलरी में तीन मंजिल ऐसी हैं, जहां मुख्य द्वार से लेकर सीढिय़ों और दीवारों पर हर जगह हिमालय की कंदराएं, चोटियां, घाटियां, स्थानीय संस्कृति व पौराणिक लोकजीवन को जीवंत करती हजारों तस्वीरें लगी हैं। जबकि एक मंजिल पर योग हॉल और एक पर अलग-अलग ध्यान केंद्र बनाए गए हैं। भारतीय संसद से लेकर यूरोप, अमेरिका आदि मुल्कों में हिमालय की तस्वीरों का स्लाइड-शो दिखा चुके स्वामी सुंदरानंद बताते हैं कि विकटता में जीवनभर हिमालय की जो तस्वीरें उन्होंने उतारीं, उनका जीवंत स्मारक तैयार हो चुका है।

बताया कि गैलरी में हिमालय की एक हजार दुर्लभ तस्वीरें लगाई गई हैं। इसके अलावा करीब एक लाख तस्वीरें डिजिटल फार्मेट में हैं। ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के शौकीन बाबा ने सिर्फ गंगोत्री और गोमुख ग्लेशियर की ही 50 हजार से अधिक तस्वीरें उतारी हैं। इसके अलावा' पर्वत समेत एक दर्जन से ज्यादा चोटियों, ट्रैक रूट, ताल, बुग्याल, वन्य जीव, वनस्पति और पहाड़ की संस्कृति को दर्शाती तस्वीरें भी उन्होंने कैमरे में कैद कीं। 

नहीं मिला योग्य शिष्य 

करीब ढाई करोड़ की लागत से तैयार इस आर्ट गैलरी को स्वामी सुंदरानंद ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुपुर्द कर दिया है। इसकी पुष्टि खुद स्वामी सुंदरानंद ने दो माह पूर्व 'दैनिक जागरण' से बातचीत में की थी। स्वामी सुंदरानंद ने बताया कि आर्ट गैलरी के संचालन और अपनी विरासत को संजोने के लिए उन्हें कोई योग शिष्य नहीं मिला पाया। इसी कारण उन्होंने कोई शिष्य भी नहीं बनाया और आर्ट गैलरी आरएसएस को सौंप दी। 

स्वामी सुंदरानंद का परिचय

अविभाजित आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्थिति अनंतपुरम गांव

में वर्ष 1926 में जन्मे स्वामी सुंदरानंद को बचपन से ही पहाड़ अपनी ओर खींचते थे। पांच बहनों में सुंदरानंद अकेले भाई हैं। पढ़ाई के लिए अनंतपुरम, नेल्लोर व चेन्नई जाने के बाद भी स्वामी सुंदरानंद सिर्फ चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए। वर्ष 1947 में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और भुवनेश्वर, पुरी, वाराणसी, हरिद्वार होते हुए वर्ष 1948 में वह गंगोत्री पहुंचे। यहां तपोवन बाबा के सानिध्य में रहने के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। इसका उल्लेख स्वामी सुंदरानंद ने अपनी आत्मकथा में भी किया है। 

62 साल से कर रहे हिमालय को कैमरे में कैद

स्वामी सुंदरानंद बताते हैं कि वर्ष 1955 में वह 19510 फीट ऊंचे कालिंदी खाल ट्रैक से गुजरने वाले गोमुख-बदरीनाथ पैदल मार्ग से सात साथियों के साथ बदरीनाथ जा रहे थे। इसी बीच अचानक बर्फीला तूफान आ गया, जिससे वह साथियों के साथ जैसे-जैसे सुरक्षित निकल पाए। इस घटना के बाद उन्होंने हिमालय के विभिन्न रूपों को कैमरे में कैद करने की ठान ली। 25 रुपये में एक कैमरा खरीदा और शुरू हुआ फोटोग्राफी का सफर। बताते हैं कि हिमालय में अपने सात दशक के सफर में उन्होंने करीब ढाई लाख तस्वीरों का संग्रह किया। साथ ही जीवन के अनुभवों को वर्ष 2002 में अपनी पुस्तक हिमालय : 'थ्रू द लेंस ऑफ ए साधु' (एक साधु के लेंस से हिमालय दर्शन) में प्रकाशित किया। पुस्तक का विमोचन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। 

यह भी पढ़ें: देश के अंतिम गांव में भाव-विभोर कर गया नारायण का माता मूर्ति से मिलन, पढ़िए पूरी खबर

1962 में सेना के रहे गाइड

गंगोत्री हिमालय के हर दर्रे से परिचित स्वामी सुंदरानंद वर्ष 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान भारतीय सेना की बॉर्डर स्काउट के पथ-प्रदर्शक रह चुके हैं। सुंदरानंद बताते हैं कि भारत-चीन युद्ध के दौरान एक माह तक सेना के साथ रहकर उन्होंने कालिंदी, पुलम सिंधु, थागला, नीलापाणी, झेलूखाका बॉर्डर एरिया में जवानों का मार्गदर्शन किया।

 यह भी पढ़ें: यहां औषधीय उपयोग के लिए होगी भांग की खेती, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.