यहां औषधीय उपयोग के लिए होगी भांग की खेती, जानिए
उत्तराखंड में अब भांग की खेती भी की जा सकेगी। औषधीय उपयोग के लिए भांग की खेती की जाएगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में उद्योगों को बढ़ावा देने को 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि खरीदने या लीज पर देने की जो राह तैयार की जा रही है, उसमें अब भांग की खेती भी जुड़ेगी। तीन माह से ज्यादा समय से राजभवन में अटके उत्तराखंड जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम में संशोधन संबंधी अध्यादेश में अब यह प्रावधान जोड़ा जा चुका है। इससे उत्तराखंड में औषधीय औद्योगिक उपयोग के लिए भांग की खेती की जा सकेगी।
कैबिनेट की बीती चार जून को हुई बैठक में प्रदेश के पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्यान, पर्यटन आदि सेक्टर में औद्योगिक उपयोग के लिए 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने या लीज पर देने को संबंधित एक्ट में संशोधन को भूमि अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी। इस अध्यादेश को सरकार ने राजभवन भिजवाया, लेकिन बाद में इसे वापस मंगाया गया। अब इस अध्यादेश की धारा 156 में बागवानी, कृषि, पशुपालन आदि के लिए जमीन को 30 वर्ष के लिए लीज देने के प्रावधान का विस्तार कर इसमें सौर ऊर्जा और भांग की खेती को भी शामिल किया गया है।
भांग की खेती औद्योगिक औषधीय उपयोग के लिए की जाएगी। इसके पौधे को बायोमास, फाइबर के साथ तेल और मसाले के स्रोत के रूप में भी देखा जाता है। राज्य सरकार इसके औषधीय उपयोग की बेहतर संभावना देख रही है। हालांकि इस अध्यादेश में भांग की खेती जोड़ने के बाद उसकी मंजूरी को लेकर सरकार में हिचक भी साफ दिखाई दे रही है। माना जा रहा है कि इसके विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया जा रहा है। अध्यादेश को अभी राजभवन से मंजूर नहीं मिली है।
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सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में भांग के औद्योगिक उत्पादन की अच्छी संभावनाएं देख रही है। इसके लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (सीआइएमएपी) लखनऊ और कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में भांग की खेती को लेकर शोध कार्यों को प्रोत्साहित किए जाने पर विचार किया जा रहा है। संपर्क करने पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि राज्य सरकार भांग के औषधीय औद्योगिक उपयोग के बारे में विचार कर रही है। केंद्र सरकार की इस संबंध में जो भी गाइडलाइन होगी, अध्ययन करने के बाद उसे क्रियान्वित करने पर विचार होगा।
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