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    65 साल में नहीं देखा ऐसा भयावह मंजर... चश्मदीद ने बताई आंखों देखी; जब आई विनाशकारी बाढ़, तब चल रहा था हारदूध मेला

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 04:52 AM (IST)

    मुखबा गांव के सुभाष सेमवाल ने धराली में आई बाढ़ का आंखों देखा हाल बताया। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त एक काला दिन था क्योंकि 1978 में भी इसी दिन बाढ़ आई थी। खीरगंगा नदी में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई जिसमें कई होटल होमस्टे और बाजार नष्ट हो गए। मेले के दौरान आपदा आने से हताहतों की आशंका बढ़ गई है।

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    उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने के बाद क्षेत्र के भवनों को चपेट में लेता नदी का सैलाब। वीडियोग्रैब

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। मुखबा के सुभाष सेमवाल उन चंद लोगों में से एक हैं, जो कि धराली में आई विनाशकारी बाढ़ के चश्मदीद है। मीडिया से बातचीत में सुभाष सेमवाल ने कहा कि उन्होंने अपनी 65 साल की उम्र में ऐसा भयावह मंजर नहीं देखा, जिसमें पूरा गांव और बाजार पलभर में नेस्तनाबूत हो गया।

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    इतिहास विषय के पूर्व प्रवक्ता रह चुके सुभाष सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को ठीक डेढ़ बजे अचानक खीरगंगा नदी में विनाशकारी बाढ़ आई, जिसके बाद कई परिचितों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। कई लोगों के लापता होने की सूचना है।

    उन्होंने कहा कि बाढ़ से बड़े पैमाने पर होटल, होमस्टे व लाज, बाजार आदि तबाह हो गए हैं। बताया कि 5 अगस्त का दिन एक बार फिर काला दिन साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि 5 अगस्त 1978 को भी कंडूड़िया नामक स्थान पर बाढ़ आई थी।

    उन्होंने इस आपदा को अप्रत्याशित और अकल्पनीय बताया। कहा कि वह अपने गांव से इस आपदा को देख रहे हैं, लेकिन उनकी मां गंगा व ईष्ट देवी देवताओं से यही प्रार्थना है कि जन-धन की हानि न हो, सभी लोग कुश रहें।

    धराली गांव में चल रहा था हारदूध मेला, तभी आई विनाशकारी बाढ़

    उत्तरकाशी: मंगलवार को धराली गांव में हारदूध मेले का आयोजन किया जा रहा था, इस मेले में बड़ी संख्या में ग्रामीण जुटे हुए थे। बताया जा रहा है कि इसी मेले के दौरान खीरगंगा नदी में विनाशकारी बाढ़ आई, ऐसे में सैलाब की चपेट में आकर लापता होने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

    जल शक्ति मंत्रालय ने भी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। दरअसल, उपला टकनौर क्षेत्र में प्रतिवर्ष हारदूध मेले भी आयोजन हर्षोल्लास से किया जाता है।

    जानकारी के अनुसार मंगलवार को धराली में भी इस आयोजन के लिए ग्रामीण जुटे हुए थे, मेले के दौरान ग्रामीण सार्वजनिक स्थान पर सोमेश्वर देवता समेत अन्य ईष्ट देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं।

    जलशक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार इस स्थानीय मेले में बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी के बीच इस आपदा के चलते यहां हताहत होने वाले लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

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