Uttarkashi Cloudburst: खीरगंगा नदी में आए सैलाब में बहा प्राचीन कल्पकेदार मंदिर, धराली की था पहचान
उत्तरकाशी में खीरगंगा नदी में आई बाढ़ से प्राचीन कल्पकेदार मंदिर का ऊपरी ढांचा बह गया है। मंदिर का गर्भगृह मलबे में दब गया है। मंदिर समिति द्वारा विस्तारीकरण कार्य चल रहा था जिसमें कई प्राचीन अवशेष मिले थे। यह मंदिर धराली की पहचान था और चारधाम यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण था। बाढ़ ने पूरे क्षेत्र को मलबे से ढक दिया है।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। खीरगंगा नदी में आए सैलाब में प्राचीन कल्पकेदार मंदिर का ऊपरी ढांचा भी चपेट में आकर बह गया है। हालांकि, मंदिर का गर्भगृह जमीन से करीब 7 मीटर नीचे है। ऐसे गर्भगृह के मलबे में दबने की बात कही जा रही है।
यहां कल्पकेदार मंदिर समिति की ओर से मंदिर के विस्तारीकरण का काम करवाया जा रहा था, जिसमें सीढ़ी के आसपास खोदाई करवाई जा रही थी, इस खोदाई में पूर्व में कल्पकेदार मंदिर समूह के 240 मंदिरों के भी कुछ तराशे हुए अवशेष भी निकल रहे थे। लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि मंगलवार को यहां विनाशकारी बाढ़ में कल्पकेदार मंदिर बह जाएगा।
दरअसल, धराली की पहचान कल्पकेदार मंदिर से ही थी। गंगोत्री हाईवे से 50 मीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर को जलमग्न शिवलिंग के रुप में भी जाना जाता था। चारधाम यात्रा के दौरान गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के दर्शनों को आने वाले तीर्थयात्री धराली में रुककर कल्पकेदार मंदिर के दर्शन करना नहीं भूलते थे। लेकिन मंगलवार को जब खीर गंगा नदी में सैलाब आया तो इसने नदी के किनारे पर स्थित कल्पकेदार मंदिर के ऊपरी ढांचे को भी अपनी चपेट में ले गया। यहा पूरा क्षेत्र मलबे से पट गया है।
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