Uttarakhand : उत्तरकाशी में दो मंजिला गोशाला में लगी आग, तीन महीने की मासूम की जिंदा जलकर मौत
उत्तरकाशी के बड़कोट क्षेत्र के कोटि गगटाड़ी गांव में आग लगने से तीन महीने की बच्ची की जलकर मौत हो गई। एक ढाई साल के बच्चे को बचा लिया गया। आग लगने का ...और पढ़ें

उत्तरकाशी के बड़कोट क्षेत्र के कोटि गगटाड़ी गांव के पास गोशाला में लगी आग।
संवाद सूत्र जागरण, बड़कोट (उत्तरकाशी): उत्तरकाशी जिले के बड़कोट क्षेत्र कोटि गगटाड़ी गांव के लसरी तोक में छानी में लगी आग से तीन महीने की बच्ची की जलकर मौत हो गई। ढाई वर्ष के बच्चे को बचा लिया गया। आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। छानी में बिजली का कनेक्शन नहीं था। हालांकि खाना बनाने के लिए चूल्हे का प्रयोग किया जाता था।
उधर, बसराली गांव में जसपाल के लकड़ी के आवासीय भवन में शार्ट सर्किट से लगी आग से घर का सामान, आभूषण, बिस्तर व कपड़े आदि जल गए। परिवार के लोगों ने किसी तरह भागकर जान बचाई।
छानी में अचानक लगी भीषण
घटना रविवार शाम आठ बजे की है। शैलेंद्र सिंह चौहान के बगीचे की देखभाल करने वाले नेपाल मूल के मन बहादुर परिवार सहित उन्हीं की दो मंजिला छानी में रहते हैं। छानी में शाम को अचानक आग लग गई।

मासूम आई आग की चपेट में
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी भीषण थी कि पूरा भवन जल गया और परिवार को संभलने का मौका नहीं मिला। मन बहादुर अपनी पत्नी और ढाई साल के बच्चे को लेकर तो बाहर निकल आए लेकिन तीन महीने की रिया आग की लपटों में घिर गई।
Chamoli : उत्तरकाशी जनपद के बड़कोट क्षेत्र कोटि गगटाड़ी गांव के लसरी तोक में गोशाला में आग लगने से तीन महीने की बच्ची की जलकर मौत हो गई।#Uttarakhand pic.twitter.com/eGg2TSsEvD
— Sunil Negi (@negi0010) December 21, 2025
आग लगने के कारण स्पष्ट नहीं
आग की सूचना मिलते ही राजस्व विभाग की टीम नायब तहसीलदार खजान असवाल के नेतृत्व में तत्काल मौके पर पहुंची। टीम द्वारा नुकसान का आकलन किया जा रहा है तथा आग लगने के कारणों की जांच जारी है। फिलहाल आग लगने के कारणों का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में आग बुझाने के पर्याप्त संसाधन और त्वरित आपदा प्रबंधन व्यवस्था न होने के कारण ऐसे हादसों में नुकसान कई गुना बढ़ जाता है।
तत्काल आर्थिक मदद देने की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से पीड़ित परिवार को तत्काल राहत और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है। यह दर्दनाक हादसा एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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