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    उत्‍तराखंड में बर्फबारी से 20 हजार आबादी का जीवन संकट में

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Thu, 19 Jan 2017 07:00 AM (IST)

    न पानी, न बिजली और न ही खाद्यान्न। इन गांवों को जाने वाले रास्ते भी बर्फ से ढके हुए हैं। हालत ये है कि ये ग्रामीण संचार व्‍यवस्‍था ठप होने के चलते अपनी परेशानी बता भी नहीं सकते।

    उत्‍तराखंड में बर्फबारी से 20 हजार आबादी का जीवन संकट में

    उत्तरकाशी, [जेएनएन]: उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्र से लगे हुए 40 गांवों के करीब 20 हजार ग्रामीणों का जीवन संकट में है। न पानी, न बिजली और खाद्यान्न भी पूरा नहीं। इन गांवों को जाने वाले रास्ते भी बर्फ से ढके हुए हैं। सबसे अधिक परेशानी ये है कि इन गांवों में संचार सुविधा भी नहीं है। जिससे इन गांवों के ग्रामीण अपनी परेशानी बता सकें।

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    शीतकाल के दो माह का समय जिले के 40 गांवों पर भारी गुजरता है। इस बार भी भारी बर्फबारी होने के कारण इन गांवों का सड़क मार्ग व निकटवर्ती बाजारों से सम्पर्क कट गया है। अभी भी इन गांवों में बर्फबारी का सिलसिला जारी है। जो इन ग्रामीणों की मुश्किलें और बढ़ा रहा है।

    इन गांवों में प्रशासन ने दिसंबर माह में जनवरी व फरवरी माह का चावल और चीनी तो भेजी है। लेकिन, गेहूं और कैरोसीन आज तक नहीं पहुंचा है। इन गांवों की बदकिस्मति यहां है कि इन गांवों में आज तक बिजली नहीं पहुंची। घरों में उजाले के लिए लैम्प व लालटेन का सहारा लेना पड़ता है तो उसके लिए भी कैरोसीन नहीं मिली है।

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    गेहूं न मिलने के कारण इन ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह परेशानी इन ग्रामीणों की फरवरी अंतिम सप्ताह तक जारी रहेगी। जब तक इन गांवों को जोडऩे वाला पैदल मार्ग तथा सड़कें सुचारु नहीं होती।

    सड़क से 25 किलोमीटर पैदल की दूरी पर स्थित ओसला गांव के रणवीर ङ्क्षसह बताते हैं कि इस बार दिसंबर से गेहूं का कोटा नहीं मिला है। इसके साथ ग्रामीणों के सामने इस बार कैरोसीन की परेशानी खड़ी हो गई है। गांव में चूल्हा जलाने के लिए भी कैरोसीन नहीं मिल पा रही है। उजाले के लैम्प व लालटेन जलाना तो दूर की बात है।

    सड़क मार्ग से 11 किलोमीटर की पैदल दूरी पर फिताड़ी गांव के प्रधान बरफियालाल कहते हैं कि इस बार ग्रामीणों को गेहूं का कोटा मिला नहीं नहीं। गांव में ग्रामीणों के सामने खाद्यान्न संकट भी पैदा हो गया है। जबकि बीते वर्ष फरवरी माह तक का खाद्यान्न व कैरोसीन दिसंबर माह में भी मिल गया था।

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    इन गांवों में है परेशानी

    मोरी ब्लाक के ओसला, पवांणी, गंगाण, ढाटमीरा, सिरगा, सांवणी, सटूड़ी, लिवाड़ी, कासला, राला, फिताड़ी, हरीपुर, नुराणु, हड़वाड़ी, सेवा, बरी, खाना, ग्वलागांव, किराणु, माकुड़ी, रेक्चा, पुरोला ब्लाक के सर, पोंटी, चिमडार, लेवटाड़ी, छानिका, गौल, सर, ङ्क्षडगाड़ी, नौगांव ब्लाक के खरसाली, बीफ, फूल चट्टी, जानकी चट्टी, कुठार, निशणी, ङ्क्षपडकी, मदेश, भटवाड़ी ब्लाक मुखबा, हर्षिल, धराली आदि गांव है। इन गांवों में 20 गांवों तो ऐसे हैं जिनकी सड़क से पैदल दूरी 10 किलोमीटर से अधिक है।

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    बर्फ पिघला कर हो रहा पानी का जुगाड़

    जिले के करीब 40 गांव बर्फबारी से ढके हुए हैं। इन गांवों में अधिकतम तापमान भी माइनस में ही चल रहा है। स्थिति यह है कि इन गांवों को आने वाली पेयजल लाइनों के अंदर पानी जम गया है। जिससे लाइनें कई स्थानों पर फट भी गई है। यहां तक की इन गांवों में धारे-नौलों (प्राकृतिक जल स्रोत) ने भी बर्फ का रूप ले लिया है। पानी के इंतजाम करने के लिए बर्फ को पिघलाकर किया जा रहा है। गांव के आसपास जो स्थानीय पेयजल स्रोत थे उन्होंने भी बर्फ का रूप धारण कर दिया है। खरसाली गांव के अनुराग उनियाल कहते हैं कि बर्फबारी व ठंड होने से पानी की आपूर्ति ठप होने से गांव में सबसे अधिक परेशानी पशुओं लिए हो रही है। पशुओं के लिए पानी का इंतजाम भी बर्फ को पिघलाकर किया जा रहा है। यह स्थिति एक गांव की नहीं बल्कि 40 गांवों की है।

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    अधिकारियों के तर्क

    उत्तरकाशी जल संस्थान के ईई विरेंद्र वर्मा ने बताया कि ठंड के कारण जब पानी बर्फ बन जाता है तो पाइप बर्फ जाते हैं। इस तरह की परेशानी हर साल आती है। अभी उनके पास ऐसी तकनीकी नहीं है जिससे पानी जमे न और पाइप फटे ना। जिन स्रोतों से पानी टेप किया जाता है वे स्रोत भी जम जाते हैं। जो गांव सड़क से जुड़े हैं उन गांवों में हैंडपंप लगाया गया है।

    उत्तरकाशी के पूर्ति अधिकारी आईडी नौटियाल मोरी, पुरोला, नौगांव व भटवाड़ी ब्लाक के करीब 40 गांवों के लिए शीतकाल को कैरोसीन व गेहूं का कोटा स्वीकृत नहीं हो पाया है। जिसके कारण इन गांवों में दिसंबर, जनवरी व फरवरी माह का कैरोसीन व गेहूं अभी नहीं भेजा गया है। शासन को इस संबंध में पत्र भी लिखा गया है।

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