इस गांव में 25 साल से नहीं जोड़ पाए बिजली के टूटे तार
उत्तरकाशी जनपद के भटवाड़ी ब्लॉक स्थित सालू गांव में 25 साल से अंधेरा कायम है। विनाशकारी भूकंप के दौरान यहां बिजली की तार टूट गई थी, तब से ऊर्जा निगम इसे जोड़ नहीं पाया।

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें न घटनास्थल बदला गया है और न पात्र ही। घटनास्थल है ऊर्जा प्रदेश यानी उत्तराखंड। कहानी के मुख्य पात्र हैं गांव सालू, ब्लाक भटवाड़ी (जिला उत्तरकाशी) और ऊर्जा निगम।
कहानी की शुरुआत करते हैं 25 साल पहले वर्ष 1991 से। विनाशकारी भूकंप से बिजली की तार टूट गई और गांव अंधेरे में डूब गया। इस बीच अविभाजित उत्तरप्रदेश में नौ मुख्यमंत्री बदले और वर्ष 2000 में उत्तराखंड भी अस्तित्व में आ गया। नए राज्य में भी सात मुख्यमंत्री राज कर गए। सालू में अंधेरा कायम था और कायम है।
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उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर सालू तक पहुंचना बहुत मुश्किल भी नहीं है। सड़क से महज तीन किलोमीटर पैदल चलकर गांव तक पहुंचा जा सकता है, लेकिन ढाई दशक में ऊर्जा निगम यह दूरी नहीं नाप सका। वक्त के इस वक्फे में पीढ़ियां बदल गईं, बच्चे जवान हो गए और जवान बुढ़ापे की दहलीज पर जा पहुंचे, लेकिन अंधेरे से चल रही जंग खत्म नहीं हुई।
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ग्राम प्रधान दिनेश सिंह बताते हैं कि गांव में 66 परिवार हैं। कुछ घर सोलर लाइट से रोशन हैं, लेकिन ज्यादातर में लालटेन का ही सहारा है। कई बार ऊर्जा निगम के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने के बाद भी हालात नहीं बदले।
बोले पांच दिसंबर को गांव के लोग तत्कालीन जिलाधिकारी दीपेंद्र चौधरी से मिले। डीएम ने भरोसा दिलाया कि लाइन जल्द दुरुस्त कर दी जाएगी। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए तो उम्मीद भी जगने लगी है।
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एक माह में दुरुस्त होगी लाइन
ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता गौरव सकलानी के अनुसार एक माह में क्षतिग्रस्त लाइन को ठीक कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत 35 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं और निविदा भी हो चुकी है।
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इतना वक्त क्यों लगा, पूछने पर बोले 'मामला काफी पुराना है। इस बारे में ठीक-ठीक कह पाना संभव नहीं, लेकिन बजट एक समस्या रहा है।
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