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सड़क की भेंट से पेड़ों को बचाने के लिए बांधे रक्षा सूत्र

गंगोत्री हाईवे को चौड़ा करने के लिए देवदार व कैल के पेड़ों की बलि देने के खिलाफ लोग खड़े हो गए हैं। हर्षिल घाटी में पेड़ों पर लोगों ने रक्षा सूत्र बांधकर इसका विरोध शुरू कर दिया।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 05 Jun 2017 10:28 AM (IST)Updated: Mon, 05 Jun 2017 07:28 PM (IST)
सड़क की भेंट से पेड़ों को बचाने के लिए बांधे रक्षा सूत्र
सड़क की भेंट से पेड़ों को बचाने के लिए बांधे रक्षा सूत्र

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: उत्तरकाशी जिले में ईको सेंसिटिव जोन से गुजर रहे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग को ऑल वेदर रोड बनाने की कवायद शुरू होते ही पर्यावरणविदों की चिंताएं बढ़ गई हैं। वजह यह कि छह से आठ मीटर चौड़े गंगोत्री हाईवे को 18 मीटर चौड़ा करने के लिए देवदार और कैल के 6500 से अधिक वृक्षों की कुर्बानी दी जानी है। 

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हालांकि, अभी पर्यावरण मंत्रालय ने इसे हरी झंडी नहीं दी है, लेकिन पर्यावरणविदों ने अभी से इन वृक्षों की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधने शुरू कर दिए हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि कुछ भी करने से पहले हर्षिल घाटी में भागीरथी के किनारे प्रकृति के शृंगार के भाव को जरूर समझा जाए। 

गंगोत्री हाईवे पर झाला से लेकर भैरव घाटी तक सड़क काफी संकरी है। भारत-चीन सीमा पर स्थित इस भाग का सामरिक महत्व तो है ही, कपाट खुलने पर लाखों तीर्थयात्री भी यहां से गंगोत्री आते हैं। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ऑल वेदर रोड योजना के तहत हाईवे की चौड़ाई बढ़ा रही है। 

करीब डेढ़ साल पहले भूतल परिवहन मंत्रालय और उत्तराखंड शासन के बीच हुई बैठक के बाद उत्तरकाशी वन प्रभाग से भैरव घाटी में सड़क चौड़ीकरण की जद में आने वाले वृक्षों पर रिपोर्ट मांगी गई। एक साल पहले सर्वेक्षण कार्य शुरू किया गया, लेकिन अभी संयुक्त सर्वेक्षण होना बाकी है। 

उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि गंगोत्री रेंज में झाला से लेकर भैरवघाटी तक हाईवे चौड़ीकरण के लिए पेड़ों की गिनती की गई है। लेकिन, सही आंकड़ा तभी मिल पाएगा, जब संयुक्त निरीक्षण होगा। वैसे यह क्षेत्र ईको सेंसिटिव जोन में आता है। इसलिए केंद्र सरकार और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की हरी झंडी जरूरी है। लेकिन, दूसरी ओर पर्यावरणविद बड़ी संख्या में पेड़ों कोकाटने के विरोध में हैं। 

लेडी इरविन कॉलेज (दिल्ली विवि) की सेवानिवृत्त प्रोफेसर अंजली कपिला व रक्षा सूत्र आंदोलन के संयोजक सुरेश भाई के नेतृत्व में हर्षिल, धराली व झाला के आसपास उन पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधे गए, जिन्हें हाईवे चौड़ीकरण की कुर्बानी के लिए चिह्नित किया गया है। इस अभियान में नदी बचाओ आंदोलन से जुड़े मनोज पांडेय, अरण्य रंजन, गिरमा मेंदीरत्ता व हमा ईमली ने भाग लिया। 

उत्तराखंड नदी बचाओ व रक्षा सूत्र आंदोलन के संयोजक सुरेश भाई ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की वन विविधता को ध्यान में रखकर ही सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई जानी चाहिए।

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