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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में प्रवासियों को मिल रहा स्वरोजगार का मंत्र, जुड़ रहे अपनी मिट्टी से

उत्तरकाशी में कृषि विज्ञान केंद्र अपनी कृषि वैज्ञानिक तकनीक के बूते लोगों की मुश्किलें कम करने में जुटा हुआ है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 11:40 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 11:40 AM (IST)
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में प्रवासियों को मिल रहा स्वरोजगार का मंत्र, जुड़ रहे अपनी मिट्टी से
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में प्रवासियों को मिल रहा स्वरोजगार का मंत्र, जुड़ रहे अपनी मिट्टी से

उत्तरकाशी, जेएनएन। दो माह के लॉकडाउन में सीमांत जनपद उत्तरकाशी में कृषि विज्ञान केंद्र अपनी कृषि वैज्ञानिक तकनीक के बूते लोगों की मुश्किलें कम करने में जुटा हुआ है। लॉकडाउन की अवधि में कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ उत्तरकाशी ने ऐसे कुछ विशेष कार्य किए हैं, जिन्हें लॉकडाउन पॉजिटिव कहना वाजिब होगा। इन्हीं कार्यों के कारण कोरोना महामारी के दौर को अवसर में बदला जा रहा है। इसमें रिवर्स पलायन कर रहे प्रवासियों को खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अभी तक 50 प्रवासी युवकों को कृषि विज्ञान केंद्र ने चिह्नि किया है और उन्हें विभिन्न प्रकार के बीज के किट भी दिए हैं। कृषि विज्ञान केंद्र का लक्ष्य रिवर्स पलायन कर जिले में लौटे 250 युवाओं को काश्तकारी के स्वरोजगार से जोड़ना है। 

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प्रवासियों को खेती के लिए कर रहे हैं प्रेरित

शहरी क्षेत्रों से प्रवासियों का आना लगातार जारी है। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने वापस लौट रहे युवाओं को खेती-किसानी के लिए प्रेरित करने का कार्य शुरू किया है। क्वारंटाइन कैंपों में जाकर अभी तक कृषि विज्ञान केंद्र ने 50 युवाओं को विभिन्न प्रकार की सब्जियों के बीज किट उपलब्ध कराए है। केंद्र के प्रभारी डॉ. पंकज नौटियाल का कहना है कि युवाओं को बताया जा रहा है, कैसे क्वारंटाइन के दौरान वे स्कूल और पंचायत घर की क्यारियों में सब्जी के बीज बोएं। उन्हें क्वारंटाइन काल समाप्त होने के बाद घर में सब्जी उत्पादन और बागवानी के गुर सिखाए जा रहे हैं। 

अन्य जानकारियों के लिए प्रवासी युवकों को कृषि विज्ञान केंद्र के नंबर भी दिए जा रहे हैं, जिससे वो सीधे कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों को फोन कर जानकारी ले सकते हैं। डॉ. पंकज नौटियाल ने कहा कि रिवर्स पलायन कर लौटे जनपद के 250 युवाओं को काश्तकारी से जोड़ने का उन्होंने लक्ष्य रखा गया है, जिससे उन्हें यहीं स्वरोजगार मिल सके।

किसानों से आरोग्य सेतु एप करवाया डाउनलोड

कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी और कर्मचारियों ने चिन्यालीसौड़ के निकटवर्ती गांवों के साथ ही कस्बों में जाकर दुकानों, घरों, सडकों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई की। साथ ही कीटनाशक का छिडकाव भी किया गया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को मास्क का वितरण किया। केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. पंकज नौटियाल ने किसानों को आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने के लिए भी प्रेरित किया, जिसके बाद 300 से अधिक किसानों ने इस एप को डाउनलोड किया। इसके अलावा कोरोना महामारी से लड़ने के लिए बचाव संबंधित जानकारी दी गई।

25 फीसद अधिक हुआ उत्पादन

लॉकडाउन के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र ने निकरा परियोजना के तहत अंगीकृत ग्राम भडकोट में मल्चिंग शीट का प्रयोग कर छप्पन कद्दू उत्पादन का अभिनव प्रयोग किया। गांव के प्रगतिशील कृषक गंभीर सिंह राणा ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र की ओर उपलब्ध कराई गई मल्चिंग शीट का प्रयोग कर छप्पन कद्दू उत्पादन हो रहा है। अभी तक उन्होंने 40 हजार रुपये के छप्पन कद्दू बेच दिए हैं। उनका कहना है कि मल्चिंग शीट का प्रयोग कर न केवल रोगों और कीट पतंगों के प्रकोप से बचा जा सकता है, बल्कि इसके प्रयोग से फल के आकार में भी वृद्धि होती है और फल की कीमत अधिक मिलती है। निकरा परियोजना के तहत ग्रामीणों को भिंडी और छप्पन कद्दू वर्गीय सब्जियों के सीड किट भी कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से वितरित की गई। 

सब्जियों के लिए कराया बाजार उपलब्ध

केंद्र के प्रभारी डॉ. पंकज नौटियाल ने बताया कि उत्तरकाशी जिले में मटर एक प्रमुख नकदी फसल है। जिले से सैकड़ों टन मटर प्रतिवर्ष बिक्री के लिए बड़े बाजार और मंडियों में भेजा जाता है। लॉकडाउन के चलते उत्पादित मटर बड़े बाजार और मंडियों की पहुंच से दूर था। कृषि विज्ञान केंद्र उत्तरकाशी ने इसके विपणन की व्यवस्था के लिए किसानों को स्थानीय विक्रेताओं और सब्जी विक्रेताओं के अलावा क्षेत्र में काम कर रहे विभिन्न किसान संगठनों और गैर सरकारी संगठनों से जोड़ा। इससे किसान समय रहते अपनी सब्जी मटर को बाजार तक पहुंचा पाए। साथ ही फसल को 30 से 35 रुपये प्रति किलोग्राम में बचने में सफल रहे।

किसानों के लिए जारी कर रहे हैं एडवाइजरी 

कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को एम-किसान पोर्टल और अन्य सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी। गेहूं और मसूर की खड़ी फसल में जल भराव की स्थिति का प्रबंधन किसी तरह करना है, इसको लेकर किसानों को सलाह दी गई। डॉ. पंकज नौटियाल ने बताया कि बागवानी में कीटों और कीटों के संक्रमण जैसी बीमारियों के प्रबंधन और प्याज में स्टेमफिलियम बाइट से किसानों को अवगत कराया गया। एडवाइजरी में रबी की कटाई, खरीफ सीजन के लिए कार्ययोजना, खेतों की तैयारी, मृदा परीक्षण, कीट और व्याधियों से रोकथाम, अरहर समेत नकदी फसलों की बुवाई शामिल की गई। इसके अतिरिक्त अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, तेज हवाओं के साथ ही पंछियों से फसलों और फल वृक्षों को बचाने का जिक्र भी एडवाइजरी में किया गया।

52 गांवों में बांटे बीज किट  

रेडक्रॉस सोसायटी उत्तरकाशी की ओर से छह अप्रैल से 10 अप्रैल तक आयोजित पांच दिवसीय ग्रामीण जागरूकता अभियान में कृषि विज्ञान केंद्र का सक्रिय सहयोग रहा। इस अभियान में विकासखंड भटवाडी, डुंडा और चिन्यालीसौड के 52 गांव लाभान्वित हुए। पांच दिन तक चले इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से किसानों को भिंडी और फ्रासबीन के बीज, टमाटर की पौध वितरित की गए।

डायल आउट टेलीकॉन्फ्रेंसिंग

लॉकडाउन में 30 अप्रैल, 2020 को कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से डुंडा विकासखंड के डांग, ओल्या, मसून और जसपुर गांव के 25 किसानों के लिए डायल आउट टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता की गई। किसानों से आगामी महीनों में किये जाने वाले कार्यों को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान रबी की कटाई, खरीफ सीजन हेतु कार्ययोजना, खेतों की तैयारी, मृदा परीक्षण, कीट और व्याधियों से रोकथाम, अरहर समेत नकदी फसलों की बुवाई जैसे तमाम महत्वपूर्ण विषयों पर डायल आउट टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की गयी

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कोरोना वॉरियर भी

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. पंकज नौटियाल को जिला प्रशासन ने जिले में बाहर से प्रवेश करने वाले लोगों की स्क्रीनिंग के लिए स्टेटिक सर्विलांस टीम उत्तरकाशी का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। अभी तक उत्तरकाशी जिले में प्रवेश करने के वाले लगभग दस हजार से अधिक मुसाफिरों की प्रविष्टि पंजिका में दर्ज की है। उन्होंने आने वाले सभी प्रवासियों को आवश्यक सावधानी बरतने और सामाजिक संतुलन बनाए रखने को लेकर आवश्यक सलाह दी।

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