Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्वारंटाइन में प्रवासियों ने तैयार किए 22 हजार बीज बम, जानिए क्या है इनकी खासियत

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sat, 06 Jun 2020 10:07 PM (IST)

    प्रवासियों ने इस क्वारंटाइन काल में रचनात्मक कार्य कर नजीर पेश की। उत्तरकाशी में 20 से अधिक प्रवासियों ने पंचायत क्वारंटाइन के समय का उपयोग बीज बम बना ...और पढ़ें

    Hero Image
    क्वारंटाइन में प्रवासियों ने तैयार किए 22 हजार बीज बम, जानिए क्या है इनकी खासियत

    उत्तरकाशी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर प्रवासियों को पंचायत क्वारंटाइन किया गया। कई प्रवासियों ने इस क्वारंटाइन काल में रचनात्मक कार्य कर नजीर पेश की। उत्तरकाशी में 20 से अधिक प्रवासियों ने पंचायत क्वारंटाइन के समय का उपयोग बीज बम बनाने में किया। इस अंतराल में प्रवासियों ने 22 हजार बीज बम तैयार किए। इन्हें तैयार करने के लिए हिमालय पर्यावरण जड़ी-बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी ने प्रवासियों को प्रेरित किया। ये बीज बम विश्व पर्यावरण दिवस यानि पांच जून को गांव के निकट के जंगलों में फेंके गए, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहतरीन पहल है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लॉकडाउन होने के बाद उत्तरकाशी जनपद में दस हजार से अधिक प्रवासी लौटे हैं। इनमें अधिकांश को पंचायत क्वारंटाइन में रहना पड़ा है। जनपद मुख्यालय से 40 किमी दूर डुंडा ब्लॉक के गाजणा पट्टी के गांवों में प्रवासियों ने क्वारंटाइन के दौरान पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश की है। इसके लिए हिमालय पर्यावरण जड़ी-बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी के अध्यक्ष द्वारिका सेमवाल और नरेश बिजल्वाण सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने बीज बम बनाने की विधि बतायी। साथ ही इसके लिए प्रेरित किया। जिसके बाद बंगलुरू से लौटे ठांडी गांव के टीकाराम सिंह पंवार और चंडीगढ़ से लौटे हिम्मत सिंह ने प्राथमिक विद्यालय दुग्डु में पंचायत क्वारंटाइन के दौरान दस हजार बीज बम तैयार किए। वहीं,  चंडीगढ़ से लौटे जालंग के गजेंद्र सिंह राणा ने तीन हजार बीज बम तैयार किए। 

    प्राथमिक विद्यालय भडकोट में भडकोट गांव के जयेंद्र मलुड़ा ने दो हजार बीज बम तैयार किए। प्राथमिक विद्यालय ठांडी में पंचायत क्वारंटाइन के दौरान बीएचयू में अध्ययनरत अभिसार नौटियाल, पंजाब से लौटे नितेश और ऋषिकेश से लौटे पंकज नौटियाल ने तीन तीन हजार बीज बम तैयार किए। इसी पट्टी के दिखोली गांव में चंडीगढ़ से लौटे सुरेश नौटियाल, देवाशीष, अंकित राधेश्याम, आशुतोष, अवशेष, तन्मय, पंकज, मृदुला, कुसुम, कामना सहित कई प्रवासियों ने क्वारंटाइन काल में चार हजार बीज बम बनाए।

    क्या है बीज बम की खासियत

    उत्तरकाशी में बीज बम की शुरुआत करने वाले द्वारिका सेमवाल ने बताया कि बीज बम बनाने में कोई खर्चा नहीं आता है। इसमें मिट्टी और गोबर को आटे की तरह गूंथ लेते हैं, जिसके बाद छोटे-छोटे गोले बनाकर उनके अंदर मौसम के अनुकूल बीज डाल देते हैं। इससे बीज अंकुरित होने तक पक्षियों और कीटों से सुरक्षित रहता है। साथ ही अंकुरित होने के बाद स्वस्थ्य पौधा भी निकलता है।

    यह भी पढ़ें: अब पौध उगाने का झंझट खत्म, धान की होगी सीधे बुआई; जानिए कैसे

    जंगली जानवरों को मिलता हो भोजन

    बीजों को गांव के निकट बंजर भूमि या फिर जंगलों में डाला जाता है। गाजणा क्षेत्र में यह प्रयास सफल हो चुका है। बीते वर्षों में जो बीज बम डाले थे, उन से जंगलों में बेल वाली सब्जियां और अन्य प्रजाति के पौधे भी पनपे हैं। इससे सबसे अच्छा फायदा यह है कि जंगली जानवरों को जंगल में ही रोका जा सकता है और खेती के नुकसान को बचाया जा सकता है।

    यह भी पढ़ें: Possitive India: पौड़ी के इस गांव की महिलाओं ने बंजर खेतों को आबाद कर जगाई उम्मीद