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    ट्रैकिंग के हैं शौकीन, उठाना चाहते हैं रोमांच का लुत्फ तो चले आइए यहां

    By Edited By:
    Updated: Sun, 20 May 2018 05:22 PM (IST)

    डोडीताल की सुंदरता और ट्रैकिंग के रोमांच का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटक उत्तरकाशी जिले का रुख कर रहे हैं। पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों के चेहरों पर ...और पढ़ें

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    ट्रैकिंग के हैं शौकीन, उठाना चाहते हैं रोमांच का लुत्फ तो चले आइए यहां

    उत्तरकाशी, [जेएनएन]: भटवाड़ी ब्लॉक में 3024 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डोडीताल के सौंदर्य का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। 22 किमी पैदल दूरी के लंबे ट्रैक को तय करने के लिए विदेशी पर्यटकों की भी चहलकदमी शुरू हो गई है। पर्यटकों की चहलकदमी से स्थानीय लोगों को रोजगार की उम्मीद जाग उठी है।

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    संगमचट्टी से पैदल मार्ग पर पांच किमी दूर अगोड़ा गांव है। इस गांव में करीब 115 परिवार रहते हैं। यहां ग्रामीणों की आय का जरिया खेती और पर्यटक हैं। यहां विदेशी पर्यटक डोडीताल जाने के लिए अपना पहले पड़ाव के दौरान रात्रि विश्राम करते हैं। इस दौरान गांव के ग्रामीण यहां विदेशी सैलानियों को होमस्टे कराते हैं। होमस्टे के तहत वह विदेशी पर्यटकों के लिए भोजन और आवास की समुचित व्यवस्थाएं जुटाते हैं। जिसके बदले में ग्रामीणों को न्यूनतम पांच सौ रुपये प्रति पर्यटक व्यवस्था के तौर पर शुल्क अदा करते हैं। उसके बाद पर्यटक यहां से 12 किमी की पैदल दूरी तय कर दूसरे पड़ाव मांझी पहुंचते हैं। जहां वह पर्यटक फारेस्ट कैंप साइट और ग्रामीणों की छानियों में रात गुजारते हैं। 

    उसके बाद पर्यटक यहां से पांच किमी की पैदल दूरी तय करते हुए अपने मुख्य स्थान डोडीताल पहुंचते हैं। जहां वह डोडीताल में प्रकृति के नैर्सगिक सुंदरता का लुत्फ उठाते हैं। अगोड़ा निवासी संजय पंवार ने बताया कि बीते अप्रैल महीने में डोडीताल के कपाट खुल गए थे। लंबा ट्रैक होने के कारण विदेशी पर्यटकों की चहलकदमी यहां बनी रहती है। विदेशी पर्यटक डोडीताल होते हुए हनुमान चट्टी पहुंचते हैं। 

    ट्रैक के दौरान वह रात्रि विश्राम अगोड़ा गांव में करते हैं। जहां ग्रामीण पर्यटकों की होमस्टे योजना के तहत अपने गांव में ठहराते हैं। उन्होंने बताया कि गांव में विदेशी पर्यटकों की चहलकदमी होने से बच्चे से लेकर बूढ़े तक यहां फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। जिससे उन्हें विदेशी पर्यटकों के साथ वार्तालाप करने में परेशानी नहीं होती। 

    उन्होने बताया कि विदेशी पर्यटकों के साथ अंग्रेजी बोलने में परेशानी न हो इसके लिए उन्होंने जून 2017 में ग्रामीणों को गांव में एक महीने का स्पेशल इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स कराया था। जून में स्कूल की छुट्टी के चलते यहां के बच्चे विदेशी पर्यटकों संग भी अंग्रेजी बोलना सीखते हैं। कहा शीतकाल में बर्फवारी होने से यह ट्रैक सैलानियों के लिए बंद हो जाता है।

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