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    Uttarakhand: भाजपा विधायक दुर्गेश लाल व उनकी पत्नी निशा मनरेगा श्रमिक, मामले ने पकड़ा तूल

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 09:05 PM (IST)

    उत्तराखंड के पुरोला से भाजपा विधायक दुर्गेश लाल और उनकी पत्नी निशा के मनरेगा मजदूरी भुगतान का मामला चर्चा में है। विधायक रहते हुए उनके जाब कार्ड से भु ...और पढ़ें

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    उत्तरकाशी जनपद की पुरोला विधानसभा से भाजपा विधायक दुर्गेश लाल।

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : देश में एक ओर जहां मनेरगा योजना का नाम बदले जाने से कांग्रेसियों में उबाल है। वहीं, जनपद की पुरोला विधानसभा से भाजपा विधायक दुर्गेश लाल व उनकी पत्नी निशा के खाते में मनेरगा की मजदूरी (दिहाड़ी) जाने का मामला चर्चाओं में है।

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    विधायक रहते हुए उनके जाब कार्ड के जरिये दोनों पति-पत्नी के खाते में दो बार भुगतान होना दर्शाया गया है। यह मामला इंटरनेट मीडिया में भी प्रसारित हो रहा है। हालांकि, पुरोला विधायक दुर्गेश लाल ने इसे उनकी छवि को खराब करने की साजिश बताया है।

    दरअसल, वर्ष 2022 में भाजपा के टिकट से विधायक का चुनाव जीतने वाले दुर्गेश लाल का पूर्व में मनरेगा जाब कार्ड बना हुआ था। उस कार्ड के जरिये उन्हें वर्ष 2021 से 2025 तक 11 कामों का 22962 रुपये भुगतान होना दर्शाया गया है। इसमें विधायक रहते हुए उनके जाब कार्ड पर दोनों पति-पत्नी को मनरेगा मजदूरी के भुगतान का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

    JOB Card

    मनरेगा के आनलाइन पोर्टल (https://nregastrep.nic.in/) से मिली जानकारी के अनुसार जून 2022 में जहां विधायक की पत्नी निशा को रेक्चा के आम रास्ते की पीसीसी खडिंजा निर्माण कार्य मिलना दर्शाया गया है।

    वहीं, गत वर्ष अगस्त-सितंबर 2024 व नवंबर 2024 में भी उन्हें दो बार क्रमश:बाजुडी तोक मे पीसीसी व समलाडी तोक में वृक्षारोपण कार्य मिलना दर्शाया गया है, जबकि वर्तमान वर्ष में स्वयं विधायक दुर्गेश लाल को भी पिनेक्ची तोक में भूमि विकास कार्य में रोजगार मिलना दिखाया गया है।

    पोर्टल पर विधायक रहते हुए तीन कार्यों का जहां 5214 रुपये का भुगतान दर्शाया गया है। वहीं, विधायक बनने से पूर्व के सात कार्यों के लिए दोनों पति व पत्नी के खातों में कुल 17748 रुपये का भुगतान होना दिखाया गया है।

    इस संबंध में शुक्रवार को जब ब्लाक कार्यालय में क्षेत्र के मनरेगा सहायक यशपाल सिंह से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि उनके किसी भी मस्टरोल पर हस्ताक्षर नहीं है और ब्लाक कार्यालय में इसकी फाइल व मस्टरोल भी नहीं मिल रही है।

    देशभर में इसलिए चर्चा में है योजना

    कांग्रेस शासन काल वर्ष 2005 में पहली बार मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) शुरू हुई थी, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी देती है। वर्तमान में इस योजना का नाम बदलकर वीबी-जीरामजी (विकसित भारत गारंटी फार रोजगार एंड आजीविका मिशन) किया जा रहा है। इसके बिल को लोकसभा ने मंजूरी दे दी है, जिसका कांग्रेसी विरोध कर रहे हैं।

    दलालों की दुकानें बंद हो गई, इसलिए वह मुझे ट्रोल कर रहे हैं। जब तक मनरेगा का मस्टरोल नहीं निकलता, तब तक जो काम करता है उसके साइन नहीं होते। यह मेरी छवि खराब करने की साजिश है। विधायक बनने से पूर्व जरूर मेरा जाब कार्ड था।

    -दुर्गेश लाल, विधायक पुरोला विधानसभा।

    मामला संज्ञान में आया है, शनिवार को आराकोट में आयोजित जन सेवा शिविर के बाद सोमवार को संबंधित कार्मिकों से जानकारी तलब की जाएगी। दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति से मनरेगा के तहत जारी धनराशि की पूरी रिकवरी कराई जाएगी।

    -शशिभूषण बिंजोला, खंड विकास अधिकारी मोरी।

     

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