Move to Jagran APP

Avalanche in Uttarkashi: सूबेदार अनिल का दूसरी बार हुआ उत्‍तरकाशी में हिमस्खलन से सामना, कहा- मिला नया जीवन

Avalanche In Uttarkashi उत्‍तरकाशी में स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ( निम ) में प्रशिक्षक के तौर पर तैनात सूबेदार अनिल कुमार का एवलांच से दूसरी बार आमना सामना हुआ। वह द्रौपदी का डांडा में एवलांच से बच निकले।

By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiPublished: Thu, 06 Oct 2022 10:41 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 10:41 AM (IST)
हिमस्खलन में घायल हुए सूबेदार अनिल कुमार को हिमस्खलन से दूरी बार हुआ सामना। जागरण

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: Avalanche in Uttarkashi: पर्वतारोहण सबसे जोखिम भरा एडवेंचर है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौसम की दुश्वारियों के साथ हर समय हादसे का अंदेशा रहता है।

loksabha election banner

12 वर्ष में दो बड़े हिमस्खलन से सामना

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में प्रशिक्षक के तौर पर तैनात सूबेदार अनिल कुमार का पिछले 12 वर्ष के अंतराल में दो बड़े हिमस्खलन (एवलांच) से सामना हो चुका है। अनिल कुमार कहते हैं, दोनों हादसों में उन्हें नया जीवन मिला है।

दल का नेतृत्व कर रहे थे नेतृत्‍व

इससे पहले गुलमर्ग में उन्होंने एवलांच का सामना किया है। मंगलवार को भी अनिल कुमार द्रौपदी का डांडा आरोहण अभियान दल का नेतृत्व कर रहे थे और हिमस्खलन की चपेट में आकर घायल भी हुए हैं।

अनिल सबसे आगे बांध रहे थे रस्सी

अनिल कुमार ने बताया कि मंगलवार को द्रौपदी का डांडा के आरोहण के लिए वह सबसे आगे रस्सी बांध रहे थे। उनके पीछे पूरा दल चल रहा था। प्रशिक्षक एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल और नवमी रावत प्रशिक्षुओं की लाइन के बीच में थी।

दल 50 मीटर गहरे क्रेवास में गिरे

हिमस्खलन की कोई उम्मीद नहीं थी, मौसम भी पूरी तरह साफ था। अचानक 100 मीटर लंबे हिस्से में हिमस्खलन हुआ और वो प्रशिक्षुओं के साथ 50 मीटर गहरे क्रेवास में समा गए।

यह भी पढ़ें: Avalanche Story: कर्नल अजय कोठियाल ने बताया एवलांच का वाकया, कहा- 10 फीट बर्फ से हम सुरक्षित निकल आए थे बाहर

बर्फ में फंसे प्रशिक्षुओं को निकाला

वह किसी तरह हिमस्खलन की जद में आने के दौरान किनारे की ओर छिटके तब जाकर उनकी जान बच सकी। फिर उन्होंने प्रशिक्षक राकेश राणा और दिगंबर के साथ मिलकर क्रेवास में उतरने के लिए रस्सी बांधी। फिर बर्फ में फंसे प्रशिक्षुओं को निकाला गया।

  • प्रशिक्षक सविता कंसवाल और नवमी रावत को क्रेवास के अंदर से निकाला गया, लेकिन दोनों पहले ही दम तोड़ चुकी थीं।

यह भी पढ़ें: Uttarakhand Avalanche: एवलांच में जिंदा बचे पर्वतारोहियों ने बताया वो मंजर, कहा- चोटी से महज सौ मीटर दूर था दल

2010 में भी हुआ था हिमस्खलन से सामना

अनिल कुमार कहते हैं कि वर्ष 2010 में वह जवाहर पर्वतारोहण संस्थान (जिम) गुलमर्ग में तैनात थे। करीब 250 प्रशिक्षुओं का दल था। यह दल हिमस्खलन की चपेट में आया, जिसमें 18 प्रशिक्षुओं की मौत हुई थी। लेकिन, द्रौपदी का डांडा में हुई हिमस्खलन की घटना बेहद बड़ी और दुर्भाग्यपूर्ण है।

यह भी पढ़ें: Avalanche in Uttarkashi: आखिर क्‍या हुआ होगा द्रौपदी के डांडा में? कर्नल अजय कोठियाल ने बताई हादसे की वजह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.