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इस गांव के कुदरती खजाने पर पड़ी माफिया की नजर

भिलंगना ब्लॉक के खतलिंग ग्लेशियर और पंवालीकांठा बुग्याल की तलहटी में बसे गंगी गांव में कुदरत के खजाने में माफिया की नजर पड़ गई। यहां से दुर्लभ बूटी का दोहन किया जा रहा है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 29 Dec 2016 06:35 AM (IST)
इस गांव के कुदरती खजाने पर पड़ी माफिया की नजर

नई टिहरी, [अनुराग उनियाल]: दुनिया से सदियों पीछे जी रहे गंगीवासियों को मिले कुदरती खजाने पर अब ड्रग माफिया की नजर पड़ गई है। इससे यहां मौजूद दुर्लभ जड़ी बूटियों पर खतरा मंडराने लगा है।

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समुद्रतल से 7000 फीट की ऊंचाई पर बसे गंगी गांव से लगे खतलिंग ग्लेशियर की पहाड़ियों पर एक से बढ़कर एक दुर्लभ जड़ी-बूटियां मौजूद हैं। जिनका दवाइयां बनाने में उपयोग होता है। इन्हीं के दोहन के लिए गंगी गांव के आसपास पिछले कुछ समय से माफिया के एजेंट सक्रिय हैं। वे बुग्यालों से इन दुर्लभ जड़ी-बूटियों की सप्लाई माफिया को करते हैं।

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भिलंगना ब्लॉक के खतलिंग ग्लेशियर और पंवालीकांठा बुग्याल की तलहटी में गंगी गांव बसा है। इस क्षेत्र में मौजूद जड़ी-बूटियां कैंसर से लेकर यौनवर्धक दवाएं बनाने तक के काम में आती हैं। इनमें से कई जड़ी-बूटियों पर तो खुले बाजार में बेचने पर प्रतिबंध है। बावजूद इसके माफिया गंगी गांव की पहाड़ियों पर बिखरे खजाने को लूटने पर आमादा हैं।

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ग्रामीणों ने बताया कि यहां कई लोग जड़ी-बूटी की तलाश में आते हैं। आसपास स्थित कुछ गांवों के लोग भी यहां पर माफिया का एजेंट बनकर काम कर रहे हैं। वह अपनी पहचान गुप्त रखते हैं और सीजन में घुत्तू-घनसाली आकर जड़ी बूटियों की डिलीवरी करते हैं। इसके बदले उन्हें अच्छी-खासी मिल जाती है। इस पर्यावरण के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। लेकिन, कोई भी जिम्मेदार इस पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं।

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पिछले साल भी वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि बुग्यालों में जड़ी-बूटियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। अगर बचाव नहीं किया गया तो कई दुर्लभ जड़ी-बूटियां विलुप्त हो जाएंगी।

तस्करी रोकने को होगी सख्ती

टिहरी के जिलाधिकारी इंदुधर बौड़ाई के मुताबिक गंगी के आसपास दुर्लभ जड़ी-बूटियां मिलती हैं। वन विभाग की ओर से वहां तस्करी रोकने को लगातार गश्त की जाती है। फिर भी प्रशासन की ओर से ऐहतियातन कदम उठाए जाएंगे।

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गांव में बनी है नर्सरी

गंगी गांव से एक किमी की चढ़ाई चढ़कर पहाड़ी पर एक नर्सरी तैयार की गई है। गांव का ही एक युवक वीर सिंह नर्सरी की देखभाल करता है। इस नर्सरी में अतीस, कड़वी, कुटकी जैसे पौधे उगाए गए हैं। वीर सिंह ने बताया कि उसकी नर्सरी में कई दुर्लभ जड़ी-बूटियों की पौध तैयार हो रही हैं। इसका लाभ दवा के क्षेत्र को मिलेगा। गांव के पास ही वन विभाग ने भी थुनेर के पौधों की नर्सरी लगाई है।

ये दुर्लभ जड़ी-बूटियां हैं उपलब्ध

अतीस, कुटकी, वत्सनाथ, वन ककड़ी, बज्रदंती, ककरिया, शिलाजीत, कीड़ा जड़ी आदि।

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