सरकारी नौकरी पाने को टीचर ने किया ऐसा कांड, कि अब लांग टर्म 'चक्की पीसिंग एंड पीसिंग'
Fake Degree उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में एक शिक्षक को फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी पाने के मामले में न्यायालय ने पांच साल की जेल और पंद्रह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। शिक्षक त्रिलोक सिंह कठैत ने फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी हासिल की थी जिसकी एसआईटी जांच में पुष्टि हुई थी। नीचे पढ़ें पूरी खबर विस्तार से।

संवाद सहयोगी जागरण, रुद्रप्रयाग। Fake Degree: बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड में तैनात जनपद रुद्रप्रयाग के एक शिक्षक को पांच वर्ष का कठोर कारावास तथा पन्द्रह हजार का अर्थदंड की सजा न्यायालय ने सुनाई है।
जनपद रुद्रप्रयाग में तैनात त्रिलोक सिंह कठैत पुत्र भगत सिंह द्वारा जिले के प्राथमिक विद्यालय जखोली विकास खंड में तैनात थे। बीएड की फर्जी डिग्री को लेकर वर्ष 2019 में एसआईटी एवं विभागीय जांच हुई। शिक्षक की बीएड की डिग्री का सत्यापन कराया गया, जिस पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जांच आख्या प्राप्त हुई।
कराई गई एसआईटी जांच
मालूम पड़ा कि उक्त शिक्षक के द्वारा विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड वर्ष 1993 की डिग्री जारी नहीं हुई थी। शासन स्तर से एसआईटी जांच भी कराई गई थी। जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग द्वारा उपरोक्त शिक्षक के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया गया। वर्ष 2021 में शिक्षक को निलंबित कर बर्खास्त किया गया तथा सीजेएम न्यायालय जनपद रुद्रप्रयाग के समक्ष विचारण हुआ।
कठोर कारावास और जुर्माना
गुरूवार को विद्वान माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने त्रिलोक सिंह कठैत पुत्र भगत सिंह को फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर छल व कपट से नौकरी प्राप्त करने के संबंध मे दोषी करार दिया।
उस पर धारा 420 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा तथा दस हजार रुपये रुपये जुर्माने से दण्डित किया गया, एवं जुर्माना अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई।
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धारा 471 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत दोषसिद्ध पाते हुए दो वर्ष का कठोर कारावास व 5000 (पाँच हजार रूपये) रूपये जुर्माने से दण्डित किया गया एवं जुर्माना अदा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतना होगा। दोषी शिक्षक को न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार पुरसाड़ी, (चमोली) भेजा गया है। उक्त मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी विद्वान अभियोजन अधिकारी प्रमोदचन्द्र आर्य द्वारा की गई है।
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