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    Kedarnath Dham Yatra: हेलीकाप्टर चुनें या पालकी! क्या है केदारनाथ धाम यात्रा के लिए सस्ता विकल्प, पढ़ें यहां

    Kedarnath Dham Yatra हेलीकाप्टर से सस्ती और पालकी से महंगी है केदारनाथ की यात्रा। छह हजार में हेलीकाप्टर से तो पालकी से 15 हजार में तीर्थयात्री पहुंचते हैं धाम। केदारनाथ धाम यात्रा के लिए हेलीकाप्टर और पालकी में से क्या बेहतर है? पढ़िए किराया समय और सुविधा के बारे में। हेलीकाप्टर से 18 मिनट में पहुंचते हैं। यात्रा के लिए घोड़े-खच्चर और पैदल यात्रा के विकल्प भी उपलब्ध हैं।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 07 May 2025 08:50 AM (IST)
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    केदारनाथ धाम यात्रा के लिए जाते श्रद्धालु। जागरण

    संवाद सहयोगी, जागरण l रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम के लिए यदि आप हेलीकाप्टर से जाने के इच्छुक हैं तो आप छह हजार रुपये में बाबा केदार के दर्शन कर हेलीकाप्टर से ही लौट भी सकते हैं। लेकिन, अगर आप पालकी से जाना चाहते हैं तो गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक जाने में 15 हजार रुपये किराया देना पड़ेगा। वहीं पालकी से आने-जाने में दस घंटे से अधिक का समय लगेगा, जबकि हेलीकाप्टर से मात्र 18 मिनट में ही आप पहुंच सकते हैं। वहीं घोड़े-खच्चर का किराया भी हेली के टिकट के लगभग बराबर है।

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    यही कारण है कि हेली के प्रति आम यात्रियों का रूझान बढ़ा है, लेकिन सीटें सीमित होने के कारण उन्हें डंडी-कंडी या घोड़े-खच्चर का सहारा लेना पड़ता है। वहीं कुछ लोग हेली टिकट की बुकिंग के नाम पर साइबर ठगी का शिकार भी हो रहे हैं। केदारनाथ धाम के दर्शन को जाने के लिए यात्रियों के पास कई विकल्प हैं। इनमें सबसे पहले पैदल, घोड़ा-खच्चर, पालकी और फिर हेली सेवा से बाबा के दर्शन को पहुंचा जा सकता है।

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    पालकी का है विकल्प

    जो भक्त पैदल चलने में समर्थ हैं, उन्हें तो दिक्कत नहीं है, लेकिन जो बाबा के दर्शन करना चाहते हैं और चलने में भी असमर्थ हैं उनके पास हेली, घोड़ा-खच्चर या फिर पालकी ही विकल्प होता है। इसमें सबसे ज्यादा सुविधाजनक हेली सेवा है, लेकिन हेली सेवा के टिकट सीमित हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति को हेली का टिकट नहीं मिल पाता है। इससे उन्हें मजबूरन घोड़ा-खच्चर या फिर पालकी से जाना पड़ता है। पालकी से वहीं यात्री जाते हैं तो काफी बुजुर्ग होते हैं और या घोड़े में बैठने में समर्थ नहीं होते हैं।

    हेली से 1300 यात्री दर्शन को पहुंच रहे

    हेली से प्रतिदिन ढाई सौ के लगभग शटल हो रही हैं, जिसमें लगभग 1300 यात्री दर्शनों को पहुंच रहे हैं, जबकि मौसम खराब होने के दौरान कई घंटे हवाई सेवा बाधित रहती है। वहीं घोड़े-खच्चर से औसतन पांच हजार तक यात्री पैदल मार्ग से दर्शन को पहुंच रहे हैं। पालकी से जाने वालों की संख्या औसतन डेढ़ सौ से दो सौ होती है।

    पालकी का ये है किराया

    वहीं पालकी की बात करें तो गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए वजन के आधार पर दर निर्धारित होती है। इस बार जो दर निर्धारित की गई है उसमें 60 किलो वजन तक गौरीकुंड से केदारनाथ आने व जाने का 14 हजार रुपये किराया तय किया है। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए 75 किलो वजन तक आने व जाने का 15 हजार रुपये किराया तय किया है। गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए 90 किलो वजन तक 17 हजार रुपये किराया तय किया है।

    हेलीकॉप्टर से किराया

    वहीं हेलीकाप्टर की बात करें तो गुप्तकाशी से केदारनाथ धाम आने व जाने का किराया 8,532 रुपये निर्धारित है, जबकि फाटा से केदारनाथ धाम आने व जाने का किराया 6,062 रुपये है। सेरशी से केदारनाथ धाम आने व जाने का किराया भी 6,060 रुपये निर्धारित है, जो कि पालकी की दरों से लगभग तीन गुना कम है। वहीं घोड़े-खच्चर की बात करें तो गौरीकुंड से केदारनाथ आने व जाने का टिकट 5,850 रुपये है, जो हेली के टिकट के लगभग बराबर है। यहीं कारण है कि केदारनाथ धाम जाने के लिए सबसे ज्यादा मारामारी हेली से रहती है।

    केदारनाथ धाम में हेलीकाप्टर से जाने के लिए यात्रियों में काफी उत्साह रहता है, लेकिन सीमित संख्या में ही यात्री हेली सेवा से केदारनाथ धाम पहुंचते हैं। इसके अलावा घोड़े-खच्चर व पालकी से भी यात्री केदारनाथ धाम जाते हैं। सभी के लिए दरें निर्धारित की गई हैं। अनिल शुक्ला, उप जिलाधिकारी, ऊखीमठ

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