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केदारनाथ में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है ध्यान साधना गुफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर के बायीं ओर की पहाड़ी पर बनी जिस गुफा में शनिवार को ध्यान लगाया यह वही गुफा है जिसका निर्माण उन्हीं के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हुआ है।

By BhanuEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 10:15 AM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 08:44 PM (IST)
केदारनाथ में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है ध्यान साधना गुफा
केदारनाथ में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है ध्यान साधना गुफा

केदारनाथ, बृजेश भट्ट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर के बायीं ओर की पहाड़ी पर बनी जिस गुफा में शनिवार को ध्यान लगाया, यह वही गुफा है, जिसका निर्माण उन्हीं के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हुआ है। विशुद्ध पहाड़ी शैली में बनी पांच मीटर लंबी और तीन मीटर चौड़ी इस गुफा में ध्यान-साधना के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस गुफा में पीएम मोदी ने शनिवार की दोपहर से रविवार की सुबह तक करीब 17 घंटे ध्यान लगाया।केदारनाथ से डेढ़ किमी ऊपर इस गुफा का निर्माण निम (नेहरू पर्वतारोहण संस्थान) ने जिंदल ग्रुप के सहयोग से किया है। इस पर साढ़े आठ लाख रुपये की लागत आई। गुफा की छत और आंगन पठालों (पहाड़ी पत्थर)से तैयार किया गया है। ध्यान-साधना के दौरान गुफा का दरवाजा पूरी तरह बंद रहता है और खिड़की से ही भोजन व अन्य जरूरी सामान गुफा के अंदर पहुंचाया जाता है।

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आपातकाल के लिए गुफा में लोकल फोन की सुविधा भी उपलब्ध है। ताकि जीएमवीएन (गढ़वाल मंडल विकास निगम) कार्यालय को तत्काल सूचना प्रेषित की जा सके। शुक्रवार को गुफा बिजली भी पहुंचा दी गई थी। यहां पैदल अथवा एटीवी (ऑल टरेन व्हीकल) से जाया जा सकता है।

स्मृतियां ताजा करने गरुड़चट्टी नहीं पहुंच पाए मोदी

केदारनाथ: जून 2013 की आपदा से पूर्व केदारनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव रही गरुड़चट्टी अब दोबारा आबाद हो चुकी है। गरुड़चट्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी पसंदीदा जगह रही है। वर्ष 1985-86 में मोदी ने गरुड़चट्टी के पास ही एक गुफा में ध्यान-साधना के लिए कुछ वक्त गुजारा था। इसलिए उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान इस बार गरुड़चट्टी भी जाएंगे। लेकिन, तमाम कारणों के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया।

जून 2013 में आई आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक का पुराना पैदल मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। हालांकि, केदारनाथ से साढ़े तीन किमी पहले पहाड़ी पर स्थित गरुड़चट्टी को आपदा से कोई नुकसान नहीं पहुंचा और यहां आपदा में फंसे सैकड़ों यात्रियों को जीवनदान भी मिला। 

वर्ष 2014 से यात्रा का रास्ता बदल दिया गया और इसके बाद से यह चट्टी सूनी पड़ गई। अक्टूबर 2017 में पुनर्निर्माण कार्यों के शिलान्यास को जब प्रधानमंत्री केदारपुरी पहुंचे तो उन्होंने गरुड़चट्टी को दोबारा आबाद करने की इच्छा जताई थी। इसके बाद गरुड़चट्टी को संवारने की कवायद भी शुरू कर दी गई। 

अक्टूबर 2018 तक केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक का पैदल रास्ता भी तैयार कर लिया गया। इस पर 17 करोड़ की लागत आई। अब मंदाकिनी नदी पुल बनने के बाद गरुड़चट्टी तक की राह आसान हो गई है और यात्री भी यहां पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री के बदरी-केदार यात्रा पर आने से पूर्व कहा जा रहा था कि बाबा केदार के दर्शनों के बाद वह गरुड़चट्टी जाकर अपने वर्षों पुरानी यादों को ताजा करेंगे। प्रतिकूल मौसम समेत अन्य कारणों से प्रधानमंत्री वहां नहीं जा पाए। 

गरुड़चट्टी का पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठकर केदारनाथ आए थे। तब वह इसी चट्टी पर उतरे थे। यहां गरुड़ की मूर्ति भी है। इसीलिए इसका नाम गरुड़चट्टी पड़ा। यहां गुफाएं भी हैं, जिनमें कई साधु-संतों ने साधना की।

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